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व्यापम परीक्षा घोटाले में दो छात्रों को सात साल की सजा, जिला अदालत ने सुनाई सजा - जिला अदालत ने सुनाई सजा

जिला कोर्ट ने पुलिस विभाग के निम्न श्रेणी लिपिक और शीघ्र लेखक परीक्षा घोटाले में 2 छात्रों को 7 साल कैद की सजा सुनाई.

व्यापम परीक्षा घोटाले में जिला अदालत ने सुनाई सजा
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Published : Sep 14, 2019, 9:07 AM IST

भोपाल | प्रदेश में व्यापम के साल 2013 में आयोजित पुलिस विभाग की निम्न श्रेणी लिपिक और शीघ्र लेखक परीक्षा घोटाले में जिला न्यायालय ने दो छात्रों को सात साल की सजा और सात हजार रुपए का जुर्माना लगाया है , इसके अलावा तीन लोगों को सबूत के अभाव में बरी कर दिया गया है. व्यापम मामलों के विशेष न्यायाधीश ने सीबीआई की लचर जांच व्यवस्था पर फटकार भी लगाई है .

व्यापम परीक्षा घोटाले में जिला अदालत ने सुनाई सजा


जानकारी के अनुसार व्यापम के कंप्यूटर शाखा ने 15 जून 2013 को एमपी नगर थाने में शिकायत दर्ज कराई थी. इस शिकायत में बताया गया था कि व्यापम द्वारा 9 जून 2013 को शासकीय आर्ट्स एंड कॉमर्स कॉलेज में पुलिस विभाग के निम्न श्रेणी लिपिक वह 15 जून को शीघ्र लेखक भर्ती परीक्षा आयोजित की गई थी . जब परीक्षा संबंधी उत्तर पुस्तिका का लिफाफा खोला गया तो उसमें दो ओएमआर शीट गायब थे . विभाग की जांच के दौरान गोपनीय शाखा में पदस्थ भृत्य रितेश कोठे और शंकर सोनी से सख्ती से पूछताछ की गई थी .इस पूछताछ में कर्मचारियों ने इस बात का खुलासा किया था कि उन्होंने ही दोनों परीक्षार्थियों की ओएमआर शीट चोरी की थी . इस काम में गोपनीय कक्ष का गार्ड आशीष वर्मा भी शामिल था .


सीबीआई ने अग्रिम जांच कर मामले का चालन न्यायालय में पेश कर दिया था. जिसमें परीक्षार्थी भोपाल निवासी तरुण उसरे, राकेश पटेल व्यापम के कर्मचारी शंकर सोनी, रितेश कोठे और गार्ड आशीष वर्मा को आरोपित बनाया गया था . इस मामले में सीबीआई व्यापम के वरिष्ठ अधिकारियों की भूमिका पता लगाने में लगभग असफल रही. अदालत ने सुनवाई के दौरान मामले में आरोपित परीक्षार्थी राकेश पटेल और तरुण उसरे के खिलाफ अपराध प्रमाणित पाए जाने के बाद सात साल की सजा का फैसला सुनाया है .
जिला अदालत ने अपने फैसले में बताया है कि सीबीआई ने गंभीरता से प्रकरण की जांच नहीं की है. लापरवाही से मामले के वास्तविक अपराधियों के विरुद्ध न तो प्रकरण दर्ज हो सका है और न ही उन्हें दंडित किया जा सका है. ओएमआर शीट गायब होने में व्यापम के तत्कालीन अधिकारियों की भी भूमिका पूरी तरह संभावित है . न्यायालय ने फैसले में मुख्य आरोपियों के बचाव का कारण सीबीआई की लचर जांच को भी माना है .

भोपाल | प्रदेश में व्यापम के साल 2013 में आयोजित पुलिस विभाग की निम्न श्रेणी लिपिक और शीघ्र लेखक परीक्षा घोटाले में जिला न्यायालय ने दो छात्रों को सात साल की सजा और सात हजार रुपए का जुर्माना लगाया है , इसके अलावा तीन लोगों को सबूत के अभाव में बरी कर दिया गया है. व्यापम मामलों के विशेष न्यायाधीश ने सीबीआई की लचर जांच व्यवस्था पर फटकार भी लगाई है .

व्यापम परीक्षा घोटाले में जिला अदालत ने सुनाई सजा


जानकारी के अनुसार व्यापम के कंप्यूटर शाखा ने 15 जून 2013 को एमपी नगर थाने में शिकायत दर्ज कराई थी. इस शिकायत में बताया गया था कि व्यापम द्वारा 9 जून 2013 को शासकीय आर्ट्स एंड कॉमर्स कॉलेज में पुलिस विभाग के निम्न श्रेणी लिपिक वह 15 जून को शीघ्र लेखक भर्ती परीक्षा आयोजित की गई थी . जब परीक्षा संबंधी उत्तर पुस्तिका का लिफाफा खोला गया तो उसमें दो ओएमआर शीट गायब थे . विभाग की जांच के दौरान गोपनीय शाखा में पदस्थ भृत्य रितेश कोठे और शंकर सोनी से सख्ती से पूछताछ की गई थी .इस पूछताछ में कर्मचारियों ने इस बात का खुलासा किया था कि उन्होंने ही दोनों परीक्षार्थियों की ओएमआर शीट चोरी की थी . इस काम में गोपनीय कक्ष का गार्ड आशीष वर्मा भी शामिल था .


सीबीआई ने अग्रिम जांच कर मामले का चालन न्यायालय में पेश कर दिया था. जिसमें परीक्षार्थी भोपाल निवासी तरुण उसरे, राकेश पटेल व्यापम के कर्मचारी शंकर सोनी, रितेश कोठे और गार्ड आशीष वर्मा को आरोपित बनाया गया था . इस मामले में सीबीआई व्यापम के वरिष्ठ अधिकारियों की भूमिका पता लगाने में लगभग असफल रही. अदालत ने सुनवाई के दौरान मामले में आरोपित परीक्षार्थी राकेश पटेल और तरुण उसरे के खिलाफ अपराध प्रमाणित पाए जाने के बाद सात साल की सजा का फैसला सुनाया है .
जिला अदालत ने अपने फैसले में बताया है कि सीबीआई ने गंभीरता से प्रकरण की जांच नहीं की है. लापरवाही से मामले के वास्तविक अपराधियों के विरुद्ध न तो प्रकरण दर्ज हो सका है और न ही उन्हें दंडित किया जा सका है. ओएमआर शीट गायब होने में व्यापम के तत्कालीन अधिकारियों की भी भूमिका पूरी तरह संभावित है . न्यायालय ने फैसले में मुख्य आरोपियों के बचाव का कारण सीबीआई की लचर जांच को भी माना है .

Intro:
पुलिस विभाग के निम्न श्रेणी लिपिक और शीघ्र लेखक परीक्षा घोटाले में 2 छात्रों को न्यायालय ने सुनाई 7 साल की कैद


भोपाल | प्रदेश में वर्ष 2013 में व्यापम द्वारा आयोजित पुलिस विभाग के निम्न श्रेणी लिपिक और शीघ्र लेखक परीक्षा घोटाले में जिला न्यायालय के द्वारा 2 छात्रों को 7 साल की कैद और 7 हजार रुपए का जुर्माना दिए जाने की सजा सुनाई गई है इसके अलावा तीन अन्य लोगों को सबूत के अभाव में बरी कर दिया गया है . व्यापम मामलों के विशेष न्यायाधीश अजय श्रीवास्तव ने सुनाया है . साथ ही उन्होंने सीबीआई को लचर जांच व्यवस्था पर फटकार भी लगाई है .


Body:जिला अदालत ने अपने फैसले में बताया है कि सीबीआई ने गंभीरता से प्रकरण की जांच नहीं की है . लापरवाही से मामले के वास्तविक अपराधियों के विरुद्ध ना तो प्रकरण दर्ज हो सका है और ना ही उन्हें दंडित किया जा सका है . इस मामले में स्पष्ट है कि व्यापमं के तत्कालीन जिम्मेदार अधिकारियों के सहयोग के बिना किसी भी व्यक्ति का गोपनीय शाखा में सुरक्षित रखी ओएमआर शीट तक पहुंचना असंभव था . ओएमआर शीट गायब होने में व्यापम के तत्कालीन अधिकारियों की भी भूमिका पूरी तरह संभावित है . न्यायालय ने फैसले में मुख्य आरोपियों के बचाव का कारण सीबीआई की लचर जांच को भी माना है .


Conclusion:बता दें कि व्यापम के कंप्यूटर शाखा ने 15 जून 2013 को एमपी नगर थाने में शिकायत दर्ज कराई थी . इस शिकायत में बताया गया था कि व्यापमं द्वारा 9 जून 2013 को शासकीय आर्ट्स एंड कॉमर्स कॉलेज में पुलिस विभाग के निम्न श्रेणी लिपिक वह 15 जून को शीघ्र लेखक भर्ती परीक्षा आयोजित की गई थी . जब परीक्षा संबंधी उत्तर पुस्तिका का लिफाफा खोला गया तो उसमें दो ओएमआर शीट गायब थे . ओएमआर शीट जो लिफाफे से नदारद थी वह तरुण उसरे और राकेश पटेल की थी .विभाग की जांच के दौरान गोपनीय शाखा में पदस्थ भृत्य रितेश कोठे और शंकर सोनी से सख्ती से पूछताछ की गई थी .इस पूछताछ में कर्मचारियों ने इस बात का खुलासा किया था कि उन्होंने ही दोनों परीक्षार्थियों की ओएमआर शीट चोरी की थी . इस काम में गोपनीय कक्ष का गार्ड आशीष वर्मा भी शामिल था . सीबीआई ने अग्रिम जांच कर मामले का चालन न्यायालय में पेश कर दिया था . जिसमें परीक्षार्थी भोपाल निवासी तरुण उसरे , राकेश पटेल व्यापम के कर्मचारी शंकर सोनी, रितेश कोठे और गार्ड आशीष वर्मा को आरोपित बनाया गया था . इस मामले में सीबीआई व्यापम के वरिष्ठ अधिकारियों की भूमिका पता लगाने में लगभग असफल रही. अदालत ने सुनवाई के दौरान मामले में आरोपित परीक्षार्थी राकेश पटेल और तरुण उसरे के खिलाफ अपराध प्रमाणित पाए जाने के बाद 7 साल की सजा का फैसला सुनाया है .
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