भोपाल। अगर आपको प्रदेश के सरकारी स्कूलों में चौसर, गिल्ली-डंडा, लंगड़ी जैसे खेल खेलते बच्चे दिखें तो चौंकिएगा नहीं क्योंकि इन पारंपरिक खेलों के जरिए छात्र गणित और अंग्रेजी जैसे विषयों की पढ़ाई कर रहे हैं, यही नहीं स्कूल के शिक्षक छात्रों को हिंदी की बाराखड़ी को भी नृत्य और अभिनय के माध्यम से बढ़ी ही असानी से सिखा रहे हैं. शासन के इस अनोखे प्रयास से छात्र सरल और मनोरंजक तरीके से शिक्षा का बेस मजबूत कर रहे हैं.
स्कूली शिक्षा का स्तर सुधारने और पढ़ाई-लिखाई में छात्रों की रूचि बढ़ाने के उद्देश्य से शासन ने इस अनोखे कार्यक्रम को सरकारी स्कूलों में लागू किया है. शिक्षा विभाग ने तीन स्तर पर कार्यक्रम तैयार किया है. जिसमें प्राथमिक और माध्यमिक कक्षा के छात्रों के लिए 'जॉय फुल लर्निंग' 'दक्षता उन्नयन' कार्यक्रम चला रहा है. वहीं हाईस्कूल और हायर सेकेंड्री के छात्रों के लिए 'सतत व्यापक मूल्यांकन' (सीसीएल) कार्यक्रम तैयार किया गया है.
इन कार्यक्रमों के लिए विभाग ने प्रदेश स्तर पर मास्टर ट्रेनर नियुक्त किए हैं. लोक शिक्षण संचालनालय ने सभी ब्लॉक से सीसीएल के तहत करीब 3 हजार मास्टर ट्रेनर तैयार किए गये हैं, जिनको लगभग 2 महीने तक ट्रेनिंग दी गई है. जिसके बाद सभी मास्टर ट्रेनर सरकारी स्कूलों में शिक्षक बच्चों को नृत्य, गायन, अभिनय और खेल के माध्यम से कठिन विषयों को रुचिकर बनाकर पढ़ाई करा रहे हैं. सीसीएल की स्टेट रिसोर्स पर्सन साधना श्रीवास्तव ने कहा कि इस कार्यक्रम के जरिए छात्र पढ़ाई में इंटरेस्ट लेंगे. साथ ही सरल और मनोरंजक तरीके से मिले ज्ञान से बच्चों की बेसिक भी मजबूत हो रही है.