भोपाल। निजी नर्सिंग कॉलेजों और संस्थाओं से जुड़े अस्पतालों में मौजूदा बिस्तरों और स्टाफ की संख्या को मनमाने ढंग से नहीं बदला जाएगा. स्वास्थ्य विभाग के अधिकारियों का कहना है कि यह बदलाव इसलिए किए गए हैं, क्योंकि नर्सिंग कॉलेज और मेडिकल संस्थाओं में मान्यता लेते समय स्टाफ की संख्या ज्यादा बताई जाती थी और यही स्थिति मान्यता के समय भी होती थी, लेकिन जब निरीक्षण किया जाता था, तब यह संख्या काफी कम होती थी.
ओटीपी जाएगा सीएमएचओ के पास : इसके लिए संस्थान और कॉलेजों को पोर्टल पर कोई भी बदलाव करने से पहले उसकी सूचना सीएमएचओ के मोबाइल नंबर पर देनी होगी.। फिर वहां एक ओटीपी पहुंचेगा सीएमएचओ के पास़. वो उस ओटीपी को दर्ज करेगा, तभी यह जानकारी अपडेट हो पाएगी.। दरअसल, सीएमएचओ ही प्राइवेट अस्पताल के सर्वेसर्वा होते हैं. ऐसे में उनके अंडर में ही प्राइवेट नर्सिंग होम संचालित होते हैं.
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सीएमएचओ ही करेंगे मॉनीटरिंग : तमाम निरीक्षण से लेकर आवेदनों की मान्यता देने का अधिकार सीएमएचओ के पास होता है. इसलिए यह खुद ही इसकी मॉनिटरिंग करेंगे. अधिकतर देखने में यही आता है कि इंडियन नर्सिंग काउंसिल के मापदंडों को पूरा करने के लिए संबंधित संस्थान फर्जी तरीके से स्टाफ और बेड़ो की संख्या बढ़ा देते हैं. इस मामले में स्वास्थ्य विभाग के अपर मुख्य सचिव ने सभी सीएमएचओ को पत्र लिखकर निजी अस्पतालों की जांच करने के निर्देश का पालन करने के लिए कहा है.