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भोपाल में 21 मार्च से शुरू होगा शूटिंग वर्ल्ड कप, देश की पहली बुलेट कवर क्रेशर मशीन में डिस्ट्रॉय होंगे बुलेट - State Shooting Academy Bhopal

भोपाल में 21 मार्च से शूटिंग का वर्ल्ड कप होने जा रहा है. इसमें 33 देश के खिलाड़ी हिस्सा लेंगे. इस टूर्नामेंट में सबसे आकर्षण का केंद्र बुलेट कवर डिस्ट्रॉय मशीन होगी. इस मशीन के माध्यम से शूटिंग में उपयोग होने वाले बुलेट के कवर यानी खाली खोके आसानी से डिस्ट्रॉय हो जाएंगे.

Bhopal Shooting World Cup
भोपाल शूटिंग का वर्ल्ड कप
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Published : Mar 9, 2023, 9:44 PM IST

भोपाल। आपने खेलों में बंदूक चलाते हुए तो कई बार खिलाड़ियों को देखा होगा और शूटिंग रेंज में भी पूरी ड्रेस के साथ यह खिलाड़ी सुरक्षा के साथ गोलियां चलाते हैं, लेकिन क्या आपको पता है इन गोलियों के चल जाने के बाद बुलेट से निकलने वाले गोली के खाली खोके कहां जाते हैं. दरअसल हर बंदूक की गोली के आगे की ओर मेनबुलेट होता है. पीछे की ओर उसका खोका या उसका कवर कई तरह की धातुओं का होता है. मुख्य रूप से यह पीतल का भी होता है.

bullet cover crusher machine
बुलेट कवर क्रेशर मशीन

बुलेट का हिसाब निकालने में आसानी: इन बुलेट के खाली कवर को गिन कर यह पता लगाया जाता है कि, कितनी गोलियों का उपयोग हुआ है. सीधे शब्दों में कहें तो अगर जहां शूटिंग का टूर्नामेंट होता है. वहां कितनी गोलियां उपयोग की गई और किस खिलाड़ी को कितने बुलेट दिए गए इसका हिसाब निकाला जाता है. अब मध्य प्रदेश के खेल विभाग ने शूटिंग रेंज में बुलेट कवर डिस्ट्रॉय की मशीन स्थापित की है. जिसके माध्यम से यह बुलेट वही की वही,सामने कि सामने डिस्ट्रॉय हो जाएंगे. आपको बता दें कि जब कोई टूर्नामेंट या खिलाड़ियों को शूटिंग के लिए गोलियां दी जाती हैं इन बुलेट के कवर को डिस्ट्रॉय करने के लिए पहले कलेक्टर लेवल द्वारा इसकी पूरी गिनती की जाती थी. लंबी प्रोसेस के बाद ही यह पता चलता था कि कितनी गोलियों का उपयोग खिलाड़ियों द्वारा किया गया है. अब मशीन के लगने से तमाम दिक्कतों से निजात मिलेगी.

दो मशीनें होंगी स्थापित: मशीनों के लगने का एक कारण यह भी माना जा रहा है कि पहले कई बार यह शिकायतें भी खेल विभाग के सामने आई थी कि, कई खिलाड़ी बुलेट चोरी करके अपने दूसरे साथियों को या मित्रों को दे देते या बेच देते थे. पुराने खोके के माध्यम से उसको गिनती में गिरवा देते थे, लेकिन इन तथ्यों की पुष्टि नहीं हो पाई थी. ऐसे में अगर यह मशीन वही स्थापित हो रही हैं तो इससे बुलेट चोरी की घटनाओं पर भी अंकुश लगेगा. खेल विभाग के ज्वाइंट डायरेक्टर बीएस यादव के अनुसार खेल अकादमी में अभी कुछ समय पहले ही एक मशीन बुलेट कवर डिस्ट्रॉय की लगाई गई थी. जो देश की पहली मशीन थी. जिसके बेहतर परिणाम सामने आए हैं. अब वर्ल्ड कप शूटिंग का होने जा रहा है. ऐसे में यहां ज्यादा खिलाड़ी आएंगे. जिसको देखते हुए एक और मशीन मिला कर कुल दो मशीनें विभाग स्थापित करने जा रहा है.

शूटिंग वर्ल्ड कप से जुड़ी ये खबरें जरूर पढ़ें...

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राज्य शूटिंग अकादमी की खास बातें

  1. 10 मीटर, 25 मीटर एवं 50 मीटर के फायनल रेंज.
  2. अत्याधुनिक स्कोर बोर्ड और टार्गेट स्थापित किए गए हैं.
  3. 400 दर्शकों के बैठने की व्यवस्था.
  4. 37 एकड़ क्षेत्रफल में बनी है शूटिंग अकादमी.
  5. देश की सबसे अत्याधुनिक शूटिंग अकादमी.
  6. परिसर छात्रावास मे लगभग 240 खिलाड़ियों के रूकने की व्यवस्था.
  7. लायब्रेरी, मिनी जिम, डायनिंग एरिया, मेडिटेशन हॉल,एन्टरटेनमेंट जोन है

भोपाल आएंगे 4 एक्सपर्ट: राज्य शूटिंग अकादमी में 33 देशों के 325 खिलाड़ी शामिल होंगे. चैम्पियनशिप देश की पहली 83 मी.x27 मी. वातानुकूलित इण्डोर रेंज पर होगी. वर्ल्ड कप का आयोजन भारतीय राष्ट्रीय रायफल महासंघ (NRAI) नई दिल्ली के तकनीकी सहयोग से होगा. साथ ही वर्ल्ड कप में तकनीकी सहयोग के लिए एसआईयूएस स्विटजरलैण्ड के 4 एक्सपर्ट भी भोपाल आएंगे.

भोपाल। आपने खेलों में बंदूक चलाते हुए तो कई बार खिलाड़ियों को देखा होगा और शूटिंग रेंज में भी पूरी ड्रेस के साथ यह खिलाड़ी सुरक्षा के साथ गोलियां चलाते हैं, लेकिन क्या आपको पता है इन गोलियों के चल जाने के बाद बुलेट से निकलने वाले गोली के खाली खोके कहां जाते हैं. दरअसल हर बंदूक की गोली के आगे की ओर मेनबुलेट होता है. पीछे की ओर उसका खोका या उसका कवर कई तरह की धातुओं का होता है. मुख्य रूप से यह पीतल का भी होता है.

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बुलेट कवर क्रेशर मशीन

बुलेट का हिसाब निकालने में आसानी: इन बुलेट के खाली कवर को गिन कर यह पता लगाया जाता है कि, कितनी गोलियों का उपयोग हुआ है. सीधे शब्दों में कहें तो अगर जहां शूटिंग का टूर्नामेंट होता है. वहां कितनी गोलियां उपयोग की गई और किस खिलाड़ी को कितने बुलेट दिए गए इसका हिसाब निकाला जाता है. अब मध्य प्रदेश के खेल विभाग ने शूटिंग रेंज में बुलेट कवर डिस्ट्रॉय की मशीन स्थापित की है. जिसके माध्यम से यह बुलेट वही की वही,सामने कि सामने डिस्ट्रॉय हो जाएंगे. आपको बता दें कि जब कोई टूर्नामेंट या खिलाड़ियों को शूटिंग के लिए गोलियां दी जाती हैं इन बुलेट के कवर को डिस्ट्रॉय करने के लिए पहले कलेक्टर लेवल द्वारा इसकी पूरी गिनती की जाती थी. लंबी प्रोसेस के बाद ही यह पता चलता था कि कितनी गोलियों का उपयोग खिलाड़ियों द्वारा किया गया है. अब मशीन के लगने से तमाम दिक्कतों से निजात मिलेगी.

दो मशीनें होंगी स्थापित: मशीनों के लगने का एक कारण यह भी माना जा रहा है कि पहले कई बार यह शिकायतें भी खेल विभाग के सामने आई थी कि, कई खिलाड़ी बुलेट चोरी करके अपने दूसरे साथियों को या मित्रों को दे देते या बेच देते थे. पुराने खोके के माध्यम से उसको गिनती में गिरवा देते थे, लेकिन इन तथ्यों की पुष्टि नहीं हो पाई थी. ऐसे में अगर यह मशीन वही स्थापित हो रही हैं तो इससे बुलेट चोरी की घटनाओं पर भी अंकुश लगेगा. खेल विभाग के ज्वाइंट डायरेक्टर बीएस यादव के अनुसार खेल अकादमी में अभी कुछ समय पहले ही एक मशीन बुलेट कवर डिस्ट्रॉय की लगाई गई थी. जो देश की पहली मशीन थी. जिसके बेहतर परिणाम सामने आए हैं. अब वर्ल्ड कप शूटिंग का होने जा रहा है. ऐसे में यहां ज्यादा खिलाड़ी आएंगे. जिसको देखते हुए एक और मशीन मिला कर कुल दो मशीनें विभाग स्थापित करने जा रहा है.

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राज्य शूटिंग अकादमी की खास बातें

  1. 10 मीटर, 25 मीटर एवं 50 मीटर के फायनल रेंज.
  2. अत्याधुनिक स्कोर बोर्ड और टार्गेट स्थापित किए गए हैं.
  3. 400 दर्शकों के बैठने की व्यवस्था.
  4. 37 एकड़ क्षेत्रफल में बनी है शूटिंग अकादमी.
  5. देश की सबसे अत्याधुनिक शूटिंग अकादमी.
  6. परिसर छात्रावास मे लगभग 240 खिलाड़ियों के रूकने की व्यवस्था.
  7. लायब्रेरी, मिनी जिम, डायनिंग एरिया, मेडिटेशन हॉल,एन्टरटेनमेंट जोन है

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