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सीधी बस हादसा: पीड़ित परिवारों को बीमा दिलाने कोर्ट में केस लड़ेगी सरकार

आज विधानसभा की कार्यवाही में सीधी बस हादसे का मुद्दा गूंजा. पक्ष और विपक्ष में सीधी हादसे को लेकर तीखी बहस हुई. विधानसभा में स्थगन प्रस्ताव पर परिवहन मंत्री गोविंद सिंह राजपूत ने कहा कि मृतकों के परिजनों को सरकार की ओर से वकील उपलब्ध कराने के लिए वे मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान से चर्चा करेंगे. हालांकि मंत्री के जवाब से अंसतुष्ट होकर विपक्ष ने सदन से वाॅकआउट कर दिया.

गृहमंत्री नरोत्तम मिश्रा
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Published : Mar 1, 2021, 8:20 PM IST

Updated : Mar 1, 2021, 10:30 PM IST

भोपाल। सीधी बस हादसे में मृतकों के परिजनों को बीमा की राशि ज्यादा से ज्यादा दिलाने के लिए प्रदेश सरकार कोर्ट में केस लड़ेगी. विधानसभा में स्थगन प्रस्ताव पर चर्चा के जवाब में परिवहन मंत्री गोविंद सिंह राजपूत ने कहा कि मृतक के परिजनों को सरकार की ओर से वकील उपलब्ध कराने के लिए वे मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान से चर्चा करेंगे. हालांकि मंत्री के जवाब से अंसतुष्ट होकर विपक्ष ने सदन से बर्हिगमन किया.

सरकार के जवाब से असंतुष्टि कांग्रेस ने किया वाॅकआउट
विधानसभा में सीधी बस हादसे में जान गंवाने वाले 54 यात्रियों के मामले को कांग्रेस ध्यानाकर्षण प्रस्ताव लेकर आई. प्रस्ताव पर चर्चा के दौरान विपक्ष ने मुख्यमंत्री और मंत्री के इस्तीफे की मांग की. कांग्रेस विधायक कमलेश्वर पटेल, पूर्व विधानसभा अध्यक्ष एनपी प्रजापति सहित करीब एक दर्जन विधायकों ने चर्चा में हिस्सा लिया.

कमलेश्वर पटेल, विधायक

विधायक कमलेश्वर पटेल ने कहा कि इस पूरे मामले में छोटे कर्मचारियों पर कार्रवाई कर खानापूति की गई, लेकिन 54 लोगों की जान लेने वाले किसी भी बड़े अधिकारी पर कार्रवाई नहीं की गई. कांग्रेस विधायक डाॅ. गोविंद सिंह ने कहा कि हादसे में कई परिवारों का सहारा छिन गया है. उनके सामने रोजी-रोटी का संकट पैदा हो गया है. इसलिए सरकार मृतकों के परिजनों को नौकरी दें. उधर सरकार के जवाब से असंतुष्ट होकर कांग्रेस ने सदन से वाॅकआउट किया.

मंत्री बोले- दोषियों के खिलाफ होगी सख्त कार्रवाई
प्रस्ताव पर अपना जवाब पेश करते हुए परिवहन मंत्री गोविंद सिंह राजपूत ने कहा कि हादसे की मजिस्ट्रियल जांच हो रही है. जांच में जो भी दोषी पाया जाएगा, उसके खिलाफ कार्रवाई की जाएगी. इस घटना के 54 मृतकों में से 47 के परिजनों को केन्द्र और राज्य सरकार की ओर से घोषित सहायता दी जा चुकी है. बाकी के वारिस या उत्तराधिकारी अभी तय नहीं हो सके हैं. उधर कांग्रेस के वाॅकआउट पर गृहमंत्री नरोत्तम मिश्रा ने कहा कि कांग्रेस के आधा दर्जन से अधिक सदस्य, जिन्होंने स्थगन प्रस्ताव दिया था, वो सदन में मौजूद नहीं थे. जो इस बात को प्रतिबिंबित करते है कि वो कितने गंभीर थे सीधी घटना को लेकर. इतनी गंभीर घटना को लेकर जो बचे थे, वो पुनरावृति करते रहे. हम उम्मीद करते थे कि कुछ नए तथ्य आयेंगे, तो हमने देखा कि जो विषय ध्यान में लाए गए है, उसी विषय पर पुनरावृति हो रही थी.

स्थगन प्रस्ताव

नरोत्तम मिश्रा ने कहा कि उसी दिन मुख्यमंत्री खुद गए. सात लाख रुपये देकर आए. जहां तक उनके सवाल की बात है, उन्होंने आज तक किसी को दी हो तो बता दें. इस तरह के घटनाओं की आज तमाम चीजों पर जीक्र हुआ और आज से 20 साल पहले से लेकर अभी तक जिक्र हुआ. सिर्फ विरोध करने के लिए विरोध करना एक इन लोगों की आदत हो गई है.

सदन में गूंजा 54 लोगों की मौत का मामला

सदन में गूंजा सीधी हादसा

मध्यप्रदेश विधानसभा में आज सिटी बस हादसे को लेकर स्थगन पर चर्चा हुई. जिसमें विधायक कमलेश्वर पटेल ने सरकार की लेटलतीफी और कार्यशैली पर सवाल उठाते हुए कहा कि आखिर जब हादसे हो जाते हैं, तभी क्यों सरकार जाती है. क्योंकि हादसे में सबसे बड़ी लापरवाही बस ऑपरेटर की है. जो 32 सीटर बस में 60 से ज्यादा सवारी बैठाए हुए था. वहीं परिवहन मंत्री इस मामले में चुप्पी साधे रहे और मस्ती के मूड में नजर आए.

सतना की जगह और भी सेंटर होते तो हादसा नहीं होता

सीधी कांड को लेकर सदन में ऊर्जा स्थगन प्रस्ताव पर चर्चा करते हुए कमलेश्वर पटेल ने सरकार पर आरोप लगाते हुए कहा कि अगर केवल सतना में सेंटर नहीं होता तो शायद यह दुर्घटना नहीं होती. एक ही स्थान पर सेंटर होने के चलते ज्यादातर लोग एक ही स्थान पर परीक्षा देने पहुंचे थे. यही वजह है कि एक बस में ज्यादा सवारियां बैठाई गई. जबकि सरकार को चाहिए था कि हर जिले मुख्यालय पर परीक्षा का सेंटर बनाना चाहिए.

हादसे के लिए जिम्मेदार लोगों पर हत्या का मामला दर्ज होना चाहिए. कांग्रेस विधायक कमलेश्वर पटेल ने सीधी बस हादसे को लेकर सरकार पर गंभीर आरोप लगाते हुए कहा, कि जब एक मच्छर के काटने पर अधिकारी को बर्खास्त कर दिया जाता है, तो दूसरी तरफ सीधी बस हादसे में 54 लोगों की मौत हुई. ऐसे में जिम्मेदारों पर हत्या का मामला दर्ज होना चाहिए. एक तरफ इतना बड़ा हादसा हो जाता है, दूसरी तरफ परिवहन मंत्री उसी दिन यहां मस्ती कर रहे थे. जबकि हादसे में 54 लोगों की मौत हुई है. ऐसे में सरकार में बैठे जिम्मेदार लोगों को नैतिकता के आधार पर इस्तीफा देना चाहिए था.

राहत और बचाव सुचारू रूप से चलाएं इसलिए खुद कर रहा था मॉनिटरिंग

बस हादसे को लेकर विपक्ष के आरोप पर मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने सदन में बोलते हुए कहा कि राहत और बचाव कार्य सुचारू रूप से चल सके, इसके लिए वे खुद कंट्रोल रूम बनाकर जानकारी ले रहे थे. राहत और बचाव कार्य प्रभावित ना हो इसलिए तत्काल दो मंत्रियों को भेजकर घटनास्थल पर जानकारी लेने के निर्देश दिए थे. हालात सामान्य होने के बाद ही तुरंत पीड़ित परिवारों से भी मिला था.

भोपाल। सीधी बस हादसे में मृतकों के परिजनों को बीमा की राशि ज्यादा से ज्यादा दिलाने के लिए प्रदेश सरकार कोर्ट में केस लड़ेगी. विधानसभा में स्थगन प्रस्ताव पर चर्चा के जवाब में परिवहन मंत्री गोविंद सिंह राजपूत ने कहा कि मृतक के परिजनों को सरकार की ओर से वकील उपलब्ध कराने के लिए वे मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान से चर्चा करेंगे. हालांकि मंत्री के जवाब से अंसतुष्ट होकर विपक्ष ने सदन से बर्हिगमन किया.

सरकार के जवाब से असंतुष्टि कांग्रेस ने किया वाॅकआउट
विधानसभा में सीधी बस हादसे में जान गंवाने वाले 54 यात्रियों के मामले को कांग्रेस ध्यानाकर्षण प्रस्ताव लेकर आई. प्रस्ताव पर चर्चा के दौरान विपक्ष ने मुख्यमंत्री और मंत्री के इस्तीफे की मांग की. कांग्रेस विधायक कमलेश्वर पटेल, पूर्व विधानसभा अध्यक्ष एनपी प्रजापति सहित करीब एक दर्जन विधायकों ने चर्चा में हिस्सा लिया.

कमलेश्वर पटेल, विधायक

विधायक कमलेश्वर पटेल ने कहा कि इस पूरे मामले में छोटे कर्मचारियों पर कार्रवाई कर खानापूति की गई, लेकिन 54 लोगों की जान लेने वाले किसी भी बड़े अधिकारी पर कार्रवाई नहीं की गई. कांग्रेस विधायक डाॅ. गोविंद सिंह ने कहा कि हादसे में कई परिवारों का सहारा छिन गया है. उनके सामने रोजी-रोटी का संकट पैदा हो गया है. इसलिए सरकार मृतकों के परिजनों को नौकरी दें. उधर सरकार के जवाब से असंतुष्ट होकर कांग्रेस ने सदन से वाॅकआउट किया.

मंत्री बोले- दोषियों के खिलाफ होगी सख्त कार्रवाई
प्रस्ताव पर अपना जवाब पेश करते हुए परिवहन मंत्री गोविंद सिंह राजपूत ने कहा कि हादसे की मजिस्ट्रियल जांच हो रही है. जांच में जो भी दोषी पाया जाएगा, उसके खिलाफ कार्रवाई की जाएगी. इस घटना के 54 मृतकों में से 47 के परिजनों को केन्द्र और राज्य सरकार की ओर से घोषित सहायता दी जा चुकी है. बाकी के वारिस या उत्तराधिकारी अभी तय नहीं हो सके हैं. उधर कांग्रेस के वाॅकआउट पर गृहमंत्री नरोत्तम मिश्रा ने कहा कि कांग्रेस के आधा दर्जन से अधिक सदस्य, जिन्होंने स्थगन प्रस्ताव दिया था, वो सदन में मौजूद नहीं थे. जो इस बात को प्रतिबिंबित करते है कि वो कितने गंभीर थे सीधी घटना को लेकर. इतनी गंभीर घटना को लेकर जो बचे थे, वो पुनरावृति करते रहे. हम उम्मीद करते थे कि कुछ नए तथ्य आयेंगे, तो हमने देखा कि जो विषय ध्यान में लाए गए है, उसी विषय पर पुनरावृति हो रही थी.

स्थगन प्रस्ताव

नरोत्तम मिश्रा ने कहा कि उसी दिन मुख्यमंत्री खुद गए. सात लाख रुपये देकर आए. जहां तक उनके सवाल की बात है, उन्होंने आज तक किसी को दी हो तो बता दें. इस तरह के घटनाओं की आज तमाम चीजों पर जीक्र हुआ और आज से 20 साल पहले से लेकर अभी तक जिक्र हुआ. सिर्फ विरोध करने के लिए विरोध करना एक इन लोगों की आदत हो गई है.

सदन में गूंजा 54 लोगों की मौत का मामला

सदन में गूंजा सीधी हादसा

मध्यप्रदेश विधानसभा में आज सिटी बस हादसे को लेकर स्थगन पर चर्चा हुई. जिसमें विधायक कमलेश्वर पटेल ने सरकार की लेटलतीफी और कार्यशैली पर सवाल उठाते हुए कहा कि आखिर जब हादसे हो जाते हैं, तभी क्यों सरकार जाती है. क्योंकि हादसे में सबसे बड़ी लापरवाही बस ऑपरेटर की है. जो 32 सीटर बस में 60 से ज्यादा सवारी बैठाए हुए था. वहीं परिवहन मंत्री इस मामले में चुप्पी साधे रहे और मस्ती के मूड में नजर आए.

सतना की जगह और भी सेंटर होते तो हादसा नहीं होता

सीधी कांड को लेकर सदन में ऊर्जा स्थगन प्रस्ताव पर चर्चा करते हुए कमलेश्वर पटेल ने सरकार पर आरोप लगाते हुए कहा कि अगर केवल सतना में सेंटर नहीं होता तो शायद यह दुर्घटना नहीं होती. एक ही स्थान पर सेंटर होने के चलते ज्यादातर लोग एक ही स्थान पर परीक्षा देने पहुंचे थे. यही वजह है कि एक बस में ज्यादा सवारियां बैठाई गई. जबकि सरकार को चाहिए था कि हर जिले मुख्यालय पर परीक्षा का सेंटर बनाना चाहिए.

हादसे के लिए जिम्मेदार लोगों पर हत्या का मामला दर्ज होना चाहिए. कांग्रेस विधायक कमलेश्वर पटेल ने सीधी बस हादसे को लेकर सरकार पर गंभीर आरोप लगाते हुए कहा, कि जब एक मच्छर के काटने पर अधिकारी को बर्खास्त कर दिया जाता है, तो दूसरी तरफ सीधी बस हादसे में 54 लोगों की मौत हुई. ऐसे में जिम्मेदारों पर हत्या का मामला दर्ज होना चाहिए. एक तरफ इतना बड़ा हादसा हो जाता है, दूसरी तरफ परिवहन मंत्री उसी दिन यहां मस्ती कर रहे थे. जबकि हादसे में 54 लोगों की मौत हुई है. ऐसे में सरकार में बैठे जिम्मेदार लोगों को नैतिकता के आधार पर इस्तीफा देना चाहिए था.

राहत और बचाव सुचारू रूप से चलाएं इसलिए खुद कर रहा था मॉनिटरिंग

बस हादसे को लेकर विपक्ष के आरोप पर मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने सदन में बोलते हुए कहा कि राहत और बचाव कार्य सुचारू रूप से चल सके, इसके लिए वे खुद कंट्रोल रूम बनाकर जानकारी ले रहे थे. राहत और बचाव कार्य प्रभावित ना हो इसलिए तत्काल दो मंत्रियों को भेजकर घटनास्थल पर जानकारी लेने के निर्देश दिए थे. हालात सामान्य होने के बाद ही तुरंत पीड़ित परिवारों से भी मिला था.

Last Updated : Mar 1, 2021, 10:30 PM IST
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