भोपाल। राज्य निर्वाचन आयोग (state election commission) ने नगरीय निकाय चुनाव (Urban body elections)की तैयारियां पूरी कर ली हैं. आने वाले किसी भी समय पर राज्य निर्वाचन आयोग, नगरीय निकाय चुनाव का ऐलान कर सकता है. कोरोना काल में हो रहे चुनाव ईवीएम मशीन के द्वारा होंगे. ऐसी स्थिति में वोटिंग के लिए हर मतदाता को एक दस्ताना दिया जाएगा. इसके लिए राज्य निर्वाचन आयोग ने राज्य सरकार से 20 करोड़ की अतिरिक्त से राशि की मांग की है. इसे लेकर कांग्रेस ने तंज कसते हुए कहा कि इससे अच्छा ये होता कि राज्य निर्वाचन आयोग हमारी मांग के अनुरूप मतपत्र से चुनाव करा लेता, तो खर्चा बच जाता.
- ईवीएम का बटन दबाने पर मतदाता को मिलेगा दस्ताना
कोरोना काल में मध्यप्रदेश में नगरीय निकाय चुनाव होने जा रहे हैं. राज्य निर्वाचन आयोग पहले ही निर्देश दे चुका है, कि यह चुनाव ईवीएम मशीन के जरिए होंगे. कोरोना महामारी को देखते हुए राज्य निर्वाचन आयोग ने राज्य सरकार से मतदाताओं को एक हाथ का दस्तान उपलब्ध कराने की व्यवस्था की है. इसके लिए राज्य निर्वाचन आयोग ने राज्य सरकार से 20 करोड़ अतिरिक्त पैसों की मांग की है. आगामी विधानसभा सत्र में पेश हो रहे अनुपूरक बजट में राज्य निर्वाचन आयोग के लिए 20 करोड़ रूपए की व्यवस्था की जाएगी.
- राज्य निर्वाचन आयोग के पास 144 करोड़ रुपए का बजट
मध्य प्रदेश के 344 नगरीय निकाय चुनाव की तैयारी अंतिम दौर में है. राज्य निर्वाचन आयोग ने इन चुनावों के लिए 140 करोड़ रुपए बजट का प्रावधान किया है. प्रदेश में 19784 मतदान केंद्र पर 1.52 करोड़ मतदाता वोट करेंगे. लेकिन कोरोना काल में हो रहे चुनाव में ईवीएम से होने वाले मतदान के लिए हर मतदाता को एक दस्ताना उपलब्ध कराया जाएगा. इसके लिए राज्य निर्वाचन आयोग ने 20 करोड़ अतिरिक्त बजट की मांग की है.
- इससे अच्छा तो मतपत्र से चुनाव करा लेते: कांग्रेस
राज्य निर्वाचन आयोग की सरकार से की गई मांग को लेकर मध्य प्रदेश कांग्रेस के चुनाव आयोग के प्रभारी जेपी धनोपिया का कहना है कि हमें जो राज्य निर्वाचन आयोग से जानकारी मिली है, कि चुनाव में आयोग कोविड-19 को लेकर सचेत है. कोरोना महामारी के बाद भी ईवीएम से वोटिंग का नोटिफिकेशन जारी हो चुका है. मतदाता को वोटिंग के लिए एक हाथ के दस्ताने दिए जाएंगे, उसमें भी पैसा खर्च होगा. राज्य निर्वाचन आयोग ने सरकार से 20 करोड़ अतिरिक्त राशि की मांग की है. मुझे आश्चर्य होता है, कि इस तरह राशि खर्च करने की जगह अगर मतपत्र से चुनाव करा लेते, तो इस अतिरिक्त खर्च के भार से बचा जा सकता है, सरकार की राशि का दुरुपयोग नहीं होता. लेकिन सरकार की अपनी हठधर्मिता है, और राज्य निर्वाचन आयोग के अपने अधिकार हैं.