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Unique Patriotism: बिलासपुर का एक परिवार हर दिन क्यों फहराता है तिरंगा, जानें 20 वर्ष पुरानी कहानी - national anthem

हमारे देश में कुछ देशभक्त ऐसे भी हैं जो पिछले 20 वर्षों से घर की छत पर ध्वजारोहण कर रहे हैं. उनकी देशभक्ति को पूरी दुनिया सलाम कर रही है. यही वजह है कि इस अनोखी देशभक्ति को गोल्डन बुक ऑफ रिकार्ड ने दर्ज किया है.

Unique patriotism
बिलासपुर का अनोखा परिवार
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Published : Aug 14, 2021, 12:49 PM IST

Updated : Aug 14, 2021, 1:45 PM IST

बिलासपुर/भोपाल। देश भक्ति का जुनून ऐसा की पिछले 20 सालों से एक शिक्षक दंपति पूरे विधि-विधान से अपने घर के छत पर ध्वजारोहण कर रहे हैं. ध्वजारोहण कर पति-पत्नी तिरंगे को सलाम कर राष्ट्रगान भी गाते हैं. इतना ही नहीं उन्होंने घर के बाउंड्रीवाल को भी तिरंगा यानि तीन रंगों में पुतवा रखा है. इसके लिए रिटायर्ड प्रोफेसर का नाम गोल्डन बुक ऑफ वर्ल्ड रिकॉर्ड में भी दर्ज हो गया है.

बिलासपुर के परिवार की अनोखी देशभक्ति.

ये कहानी है नेहरू नगर में आईटीआई के रिटायर्ड प्रोफेसर केके श्रीवास्तव की. उन्होंने अपने घर में इस परंपरा को वर्ष 2002 से शुरू किया है जो आज तक जारी है. इनके घर में अगर कोई मेहमान आता है तो उसे भी तिरंगे के सामने सलामी देना जरूरी है. उसके बाद ही घर में आगे की बात होती है. पूछने पर केके श्रीवास्तव बताते हैं कि बचपन में 15 अगस्त के दौरान उन्हें उनके स्कूल के किसी शिक्षक ने झंडे की छांव के नीचे खड़ा होने पर मना किया था. नहीं मानने पर उन्हें धक्का देकर हटाया गया. यही बात उनके जेहन में घर कर गई. तब वे छोटे थे. पर तभी से उन्होंने ठान लिया था कि एक न एक दिन वे भी तिरंगा फहराएंगे. वे इससे पहले नौकरी के दौरान अपने शासकीय कार्यालय में तिरंगा फहराते थे.

लेकिन सन 2002 में नवीन जिंदल ने सुप्रीम कोर्ट में अर्जी देकर कहा तो सुप्रीम कोर्ट के आदेश के बाद से वे शासकीय आवास में और रिटायर होने के बाद से निजी आवास में नितदिन तिरंगा फहराकर सलामी देते हैं और राष्ट्र गान गाते हैं. वह अपने परिवार को भी इसके लिए प्रेरित करते हैं. केके श्रीवास्तव ने बताया कि उन्होंने शादी के बाद अपनी पत्नी से यह बात शेयर की तो पत्नी ने भी उन्हें इस काम को करने के लिए साथ दिया और आज तक वे साथ दे रही हैं. इसी का नतीजा है कि पति के आदर्श को घर का हर मेंबर अपना चुका है. इनके घर में हर दिन तिरंगा फहराया जाता है.

Unique patriotism
2002 से शुरू की थी परंपरा.

बेटे-बेटियों ने भी परंपरा को निरंतर जारी रखा

श्रीवास्तव फैमिली ने तिरंगा फहराना और उसके सम्मान को अपनी धरोहर मान लिया है. केके श्रीवास्तव की पत्नी नीरजा श्रीवास्तव ने बताया कि उनकी एक बेटी श्वेता दिल्ली में डॉक्टर है और दूसरी बेटी नीलम बिजली विभाग में हैं. साथ ही बेटे ने भी आईआईटी किया है और पीएससी की तैयारी कर रहा है और उनके अंदर भी तिरंगा फहराने और देश के प्रति जुनून है.

सुप्रीम कोर्ट के फैसले के बाद से नियमित कर रहे झंडारोहण

रिटायर्ड प्रोफेसर केके श्रीवास्तव ने बताया कि सरकार ने वर्ष 2002 के बाद से घर या आफिस में नियमपूर्वक तिरंगा फहराने की अनुमति दी है. तभी से वे ऐसा करने में लगे हैं. इसके पीछे का मकसद लेागों का अपने देश और राष्ट्रीय ध्वज के प्रति गंभीर बनाना है. वे चाहते हैं कि अपना राष्ट्रीय ध्वज हर घर में लहराता रहे, फहरता रहे. इससे उन्हें खुशी होगी. उनके बच्चे भी उन्हें इस काम में आगे आने के लिए प्रेरित करते हैं.

Unique patriotism
झंडे फहराने से इस परिवार के दिन की होती है शुरुआत.

गोल्डन बुक ऑफ रिकॉर्ड में हुआ नाम दर्ज

प्रोफेसर के इस जुनून का किस्सा इतना प्रचलित हुआ कि गोल्डन बुक ऑफ रिकॉर्ड की टीम ने उनसे संपर्क किया और उनका नाम गोल्डन बुक ऑफ रिकॉर्ड में दर्ज हो गया है. इस कार्य का सारा श्रेय वह अपने परिवार को देते हैं. उनके यहां किसी भी पर्व की शुरुआत भी राष्ट्रगान से होती है.

आसपास के लोग भी करते हैं सहयोग

श्रीवास्तव ने बताया कि उनके पड़ोस में रहने वाले भी उनका सहयोग करते हैं और कहते हैं ऐसा कोई दिन नहीं होगा जब प्रोफेसर दंपति ने अपने घर पर ध्वजारोहण न किया हो. चाहे ठंड हो, बरसात हो या फिर भीषण गर्मी. रोजाना इनके छत पर ध्वजारोहण होता है.

देशवासियों को लेनी चाहिए सीख

इन देशभक्त दंपति से ऐसे नेताओं और नागरिकों को सीख लेनी चाहिए, जो सिर्फ 15 अगस्त और 26 जनवरी को ही राष्ट्र ध्वज फहराते हैं और भूल जाते हैं. देश प्रेम की यह अनोखी मिसाल हम सबको अपनाने की जरूरत है ताकि हमारा युवा वर्ग इसके लिए प्रेरित हो सके.

बिलासपुर/भोपाल। देश भक्ति का जुनून ऐसा की पिछले 20 सालों से एक शिक्षक दंपति पूरे विधि-विधान से अपने घर के छत पर ध्वजारोहण कर रहे हैं. ध्वजारोहण कर पति-पत्नी तिरंगे को सलाम कर राष्ट्रगान भी गाते हैं. इतना ही नहीं उन्होंने घर के बाउंड्रीवाल को भी तिरंगा यानि तीन रंगों में पुतवा रखा है. इसके लिए रिटायर्ड प्रोफेसर का नाम गोल्डन बुक ऑफ वर्ल्ड रिकॉर्ड में भी दर्ज हो गया है.

बिलासपुर के परिवार की अनोखी देशभक्ति.

ये कहानी है नेहरू नगर में आईटीआई के रिटायर्ड प्रोफेसर केके श्रीवास्तव की. उन्होंने अपने घर में इस परंपरा को वर्ष 2002 से शुरू किया है जो आज तक जारी है. इनके घर में अगर कोई मेहमान आता है तो उसे भी तिरंगे के सामने सलामी देना जरूरी है. उसके बाद ही घर में आगे की बात होती है. पूछने पर केके श्रीवास्तव बताते हैं कि बचपन में 15 अगस्त के दौरान उन्हें उनके स्कूल के किसी शिक्षक ने झंडे की छांव के नीचे खड़ा होने पर मना किया था. नहीं मानने पर उन्हें धक्का देकर हटाया गया. यही बात उनके जेहन में घर कर गई. तब वे छोटे थे. पर तभी से उन्होंने ठान लिया था कि एक न एक दिन वे भी तिरंगा फहराएंगे. वे इससे पहले नौकरी के दौरान अपने शासकीय कार्यालय में तिरंगा फहराते थे.

लेकिन सन 2002 में नवीन जिंदल ने सुप्रीम कोर्ट में अर्जी देकर कहा तो सुप्रीम कोर्ट के आदेश के बाद से वे शासकीय आवास में और रिटायर होने के बाद से निजी आवास में नितदिन तिरंगा फहराकर सलामी देते हैं और राष्ट्र गान गाते हैं. वह अपने परिवार को भी इसके लिए प्रेरित करते हैं. केके श्रीवास्तव ने बताया कि उन्होंने शादी के बाद अपनी पत्नी से यह बात शेयर की तो पत्नी ने भी उन्हें इस काम को करने के लिए साथ दिया और आज तक वे साथ दे रही हैं. इसी का नतीजा है कि पति के आदर्श को घर का हर मेंबर अपना चुका है. इनके घर में हर दिन तिरंगा फहराया जाता है.

Unique patriotism
2002 से शुरू की थी परंपरा.

बेटे-बेटियों ने भी परंपरा को निरंतर जारी रखा

श्रीवास्तव फैमिली ने तिरंगा फहराना और उसके सम्मान को अपनी धरोहर मान लिया है. केके श्रीवास्तव की पत्नी नीरजा श्रीवास्तव ने बताया कि उनकी एक बेटी श्वेता दिल्ली में डॉक्टर है और दूसरी बेटी नीलम बिजली विभाग में हैं. साथ ही बेटे ने भी आईआईटी किया है और पीएससी की तैयारी कर रहा है और उनके अंदर भी तिरंगा फहराने और देश के प्रति जुनून है.

सुप्रीम कोर्ट के फैसले के बाद से नियमित कर रहे झंडारोहण

रिटायर्ड प्रोफेसर केके श्रीवास्तव ने बताया कि सरकार ने वर्ष 2002 के बाद से घर या आफिस में नियमपूर्वक तिरंगा फहराने की अनुमति दी है. तभी से वे ऐसा करने में लगे हैं. इसके पीछे का मकसद लेागों का अपने देश और राष्ट्रीय ध्वज के प्रति गंभीर बनाना है. वे चाहते हैं कि अपना राष्ट्रीय ध्वज हर घर में लहराता रहे, फहरता रहे. इससे उन्हें खुशी होगी. उनके बच्चे भी उन्हें इस काम में आगे आने के लिए प्रेरित करते हैं.

Unique patriotism
झंडे फहराने से इस परिवार के दिन की होती है शुरुआत.

गोल्डन बुक ऑफ रिकॉर्ड में हुआ नाम दर्ज

प्रोफेसर के इस जुनून का किस्सा इतना प्रचलित हुआ कि गोल्डन बुक ऑफ रिकॉर्ड की टीम ने उनसे संपर्क किया और उनका नाम गोल्डन बुक ऑफ रिकॉर्ड में दर्ज हो गया है. इस कार्य का सारा श्रेय वह अपने परिवार को देते हैं. उनके यहां किसी भी पर्व की शुरुआत भी राष्ट्रगान से होती है.

आसपास के लोग भी करते हैं सहयोग

श्रीवास्तव ने बताया कि उनके पड़ोस में रहने वाले भी उनका सहयोग करते हैं और कहते हैं ऐसा कोई दिन नहीं होगा जब प्रोफेसर दंपति ने अपने घर पर ध्वजारोहण न किया हो. चाहे ठंड हो, बरसात हो या फिर भीषण गर्मी. रोजाना इनके छत पर ध्वजारोहण होता है.

देशवासियों को लेनी चाहिए सीख

इन देशभक्त दंपति से ऐसे नेताओं और नागरिकों को सीख लेनी चाहिए, जो सिर्फ 15 अगस्त और 26 जनवरी को ही राष्ट्र ध्वज फहराते हैं और भूल जाते हैं. देश प्रेम की यह अनोखी मिसाल हम सबको अपनाने की जरूरत है ताकि हमारा युवा वर्ग इसके लिए प्रेरित हो सके.

Last Updated : Aug 14, 2021, 1:45 PM IST
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