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सिंधिया और नरेंद्र तोमर अपनी सीटों से नहीं लड़ना चाहते चुनाव, जानें वजह - ग्वालियर

सांसद ज्योतिरादित्य सिंधिया और नरेंद्र सिंह तोमर अपनी सीट शिफ्ट करने की कोशिश में जुटे हैं क्योंकि विधानसभा चुनाव में दोनों ही पार्टियों ने एक- दूसरे की सीटों पर जमकर सेंध लगाई है

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Published : Mar 15, 2019, 7:16 PM IST

भोपाल। लोकसभा चुनाव को लेकर मध्य प्रदेश में दोनों ही दिग्गज पार्टी बीजेपी-कांग्रेस में टिकट के लिए विचार मंथन चल रहा है. प्रदेश में पिछले दिनों हुए विधानसभा चुनाव में बीजेपी अपनी 15 साल पुरानी कुर्सी को बचाने में नाकाम रही थी. वहीं कांग्रेस ने 15 सालों के वनवास के बाद सत्ता में वापसी की है. विधानसभा चुनाव में भले ही कांग्रेस की जीत हुई हो, लेकिन ऐसी कई सीटों को कांग्रेस ने गवां दिया जो पार्टी का गढ़ मानी जाती थी.


कांग्रेस ने जिन सीटों को खोया है उनमें पूर्व नेता प्रतिपक्ष और कांग्रेस के दिग्गज नेता अजय सिंह की चुरहट विधानसभा सीट भी शामिल है. बीजेपी भले ही कांग्रेस के गढ़ों को भेदने में कामयाब रही हो, लेकिन अपनी कई पारंपरिक सीटों को भी बचाने में वो नाकाम रही है. बीजेपी के दिग्गज नेता और पूर्व उच्च शिक्षा मंत्री जयभान सिंह पवैया ग्वालियर से चुनाव हार गए हैं. यही कारण है कि दोनों ही पार्टियां लोकसभा चुनाव में कोई कोताही नहीं बरतना चाहती.

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विधानसभा चुनाव के नतीजों के बाद ग्वालियर और गुना लोकसभा सीट को लेकर कांग्रेस और बीजेपी दोनों ही दलों में परेशानी साफ देखी जा सकती है. लिहाजा, मौजूदा सांसद ज्योतिरादित्य सिंधिया और नरेंद्र सिंह तोमर अपनी सीट शिफ्ट करने की कोशिश में जुटे हैं क्योंकि विधानसभा चुनाव में दोनों ही पार्टियों ने एक-दूसरे की सीटों पर जमकर सेंध लगाई है. लिहाजा, जहां गुना सीट इस बार ज्योतिरादित्य सिंधिया को सुरक्षित नहीं लग रही, वहीं ग्वालियर लोकसभा सीट नरेंद्र सिंह तोमर को खतरे में दिखाई दे रही है.

सीट शिफ्ट करने का सबसे बड़ा कारण विधानसभा चुनाव की नतीजे ही हैं क्योंकि चुनाव अभियान की कमान संभाल रहे ज्योतिरादित्य सिंधिया के संसदीय क्षेत्र में बीजेपी ने 3 सीटें जीती थी. हालांकि, इसके बाद भी बीजेपी का वोट परसेंटेज घटा है. वहीं केंद्रीय मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर के संसदीय क्षेत्र ग्वालियर में कांग्रेस ने 7 सीटें जीतकर बीजेपी को तगड़ा झटका दिया था.

ग्वालियर लोकसभा सीट को देखा जाए तो यहां विधानसभा चुनाव में 12 लाख 99 हजार 812 लोगों ने वोटिंग की थी, जिसमें कांग्रेस को 5 लाख 58 हजार 648 वोट मिले थे, जबकि बीजेपी को 4 लाख 24 हजार 301 वोट मिले. ग्वालियर लोकसभा क्षेत्र में ग्वालियर ग्रामीण, ग्वालियर, ग्वालियर पूर्व, ग्वालियर दक्षिण, भितरवार, डबरा, करेरा और पोहरी सीट आती हैं. कांग्रेस ने पिछले विधानसभा चुनाव में बीजेपी के दिग्गज नेता और मंत्री जयभान सिंह पवैया को हराया है, जो पूर्व में लोकसभा चुनाव भी लड़ चुके हैं.

पूर्व सांसद अनूप मिश्रा को भी विधानसभा चुनाव में हार का सामना करना पड़ा है. लिहाजा लोकसभा चुनाव में इन दोनों कद्दावर नेताओं की स्थिति कमजोर मानी जा रही है. वहीं विधानसभा नतीजों को देखते हुए मौजूदा सांसद और केंद्रीय मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर को ग्वालियर लोकसभा सीट खतरे में दिखाई दे रही है यही वजह है कि वह किसी सुरक्षित सीट की तलाश में जुटे हैं.

गुना लोकसभा सीट की बात की जाए तो इसमें शिवपुरी, पिछोर, कोलारस, बमोरी, गुना, अशोक नगर, चंदेरी और मुंगावली विधानसभा सीटें आती हैं. अगर पिछले विधानसभा चुनाव की वोटिंग परसेंटेज के हिसाब से देखा जाए तो बीजेपी को वोटों के लिहाज से यहां सिर्फ 16 हजार वोटों की ही बढ़त मिली है. लिहाजा, बीजेपी को यह सीट आगामी लोकसभा चुनाव में अपने खाते में आती दिखाई दे रही है. अब देखना ये होगा कि पार्टियां इन नेताओं की सीटें शिफ्ट करती हैं या फिर इन्हीं नेताओं पर एक बार फिर दांव लगाएंगी.

भोपाल। लोकसभा चुनाव को लेकर मध्य प्रदेश में दोनों ही दिग्गज पार्टी बीजेपी-कांग्रेस में टिकट के लिए विचार मंथन चल रहा है. प्रदेश में पिछले दिनों हुए विधानसभा चुनाव में बीजेपी अपनी 15 साल पुरानी कुर्सी को बचाने में नाकाम रही थी. वहीं कांग्रेस ने 15 सालों के वनवास के बाद सत्ता में वापसी की है. विधानसभा चुनाव में भले ही कांग्रेस की जीत हुई हो, लेकिन ऐसी कई सीटों को कांग्रेस ने गवां दिया जो पार्टी का गढ़ मानी जाती थी.


कांग्रेस ने जिन सीटों को खोया है उनमें पूर्व नेता प्रतिपक्ष और कांग्रेस के दिग्गज नेता अजय सिंह की चुरहट विधानसभा सीट भी शामिल है. बीजेपी भले ही कांग्रेस के गढ़ों को भेदने में कामयाब रही हो, लेकिन अपनी कई पारंपरिक सीटों को भी बचाने में वो नाकाम रही है. बीजेपी के दिग्गज नेता और पूर्व उच्च शिक्षा मंत्री जयभान सिंह पवैया ग्वालियर से चुनाव हार गए हैं. यही कारण है कि दोनों ही पार्टियां लोकसभा चुनाव में कोई कोताही नहीं बरतना चाहती.

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विधानसभा चुनाव के नतीजों के बाद ग्वालियर और गुना लोकसभा सीट को लेकर कांग्रेस और बीजेपी दोनों ही दलों में परेशानी साफ देखी जा सकती है. लिहाजा, मौजूदा सांसद ज्योतिरादित्य सिंधिया और नरेंद्र सिंह तोमर अपनी सीट शिफ्ट करने की कोशिश में जुटे हैं क्योंकि विधानसभा चुनाव में दोनों ही पार्टियों ने एक-दूसरे की सीटों पर जमकर सेंध लगाई है. लिहाजा, जहां गुना सीट इस बार ज्योतिरादित्य सिंधिया को सुरक्षित नहीं लग रही, वहीं ग्वालियर लोकसभा सीट नरेंद्र सिंह तोमर को खतरे में दिखाई दे रही है.

सीट शिफ्ट करने का सबसे बड़ा कारण विधानसभा चुनाव की नतीजे ही हैं क्योंकि चुनाव अभियान की कमान संभाल रहे ज्योतिरादित्य सिंधिया के संसदीय क्षेत्र में बीजेपी ने 3 सीटें जीती थी. हालांकि, इसके बाद भी बीजेपी का वोट परसेंटेज घटा है. वहीं केंद्रीय मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर के संसदीय क्षेत्र ग्वालियर में कांग्रेस ने 7 सीटें जीतकर बीजेपी को तगड़ा झटका दिया था.

ग्वालियर लोकसभा सीट को देखा जाए तो यहां विधानसभा चुनाव में 12 लाख 99 हजार 812 लोगों ने वोटिंग की थी, जिसमें कांग्रेस को 5 लाख 58 हजार 648 वोट मिले थे, जबकि बीजेपी को 4 लाख 24 हजार 301 वोट मिले. ग्वालियर लोकसभा क्षेत्र में ग्वालियर ग्रामीण, ग्वालियर, ग्वालियर पूर्व, ग्वालियर दक्षिण, भितरवार, डबरा, करेरा और पोहरी सीट आती हैं. कांग्रेस ने पिछले विधानसभा चुनाव में बीजेपी के दिग्गज नेता और मंत्री जयभान सिंह पवैया को हराया है, जो पूर्व में लोकसभा चुनाव भी लड़ चुके हैं.

पूर्व सांसद अनूप मिश्रा को भी विधानसभा चुनाव में हार का सामना करना पड़ा है. लिहाजा लोकसभा चुनाव में इन दोनों कद्दावर नेताओं की स्थिति कमजोर मानी जा रही है. वहीं विधानसभा नतीजों को देखते हुए मौजूदा सांसद और केंद्रीय मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर को ग्वालियर लोकसभा सीट खतरे में दिखाई दे रही है यही वजह है कि वह किसी सुरक्षित सीट की तलाश में जुटे हैं.

गुना लोकसभा सीट की बात की जाए तो इसमें शिवपुरी, पिछोर, कोलारस, बमोरी, गुना, अशोक नगर, चंदेरी और मुंगावली विधानसभा सीटें आती हैं. अगर पिछले विधानसभा चुनाव की वोटिंग परसेंटेज के हिसाब से देखा जाए तो बीजेपी को वोटों के लिहाज से यहां सिर्फ 16 हजार वोटों की ही बढ़त मिली है. लिहाजा, बीजेपी को यह सीट आगामी लोकसभा चुनाव में अपने खाते में आती दिखाई दे रही है. अब देखना ये होगा कि पार्टियां इन नेताओं की सीटें शिफ्ट करती हैं या फिर इन्हीं नेताओं पर एक बार फिर दांव लगाएंगी.

Intro:विधानसभा नतीजों के बाद ग्वालियर और गुना लोकसभा सीट को लेकर कांग्रेस और बीजेपी दोनों ही खेमा परेशान है लिहाजा मौजूदा सांसद ज्योतिराज सिंधिया और नरेंद्र सिंह तोमर अपनी सीट शिफ्ट करने की कोशिश में जुटे हैं। विधानसभा चुनाव में दोनों ही सीटों पर बीजेपी और कांग्रेस को जहां भी तगत का सामना करना पड़ा वहीं दोनों ही पार्टियों ने एक दूसरे की सीट पर जमकर सेंध लगाई है लिहाजा जहां गुना सीट इस बार ज्योतिराज सिंधिया को सुरक्षित नहीं लग रही वहीं ग्वालियर लोकसभा सीट नरेंद्र सिंह तोमर को खतरे में दिखाई दे रही है।


Body:विधानसभा चुनाव के दौरान बीजेपी और कांग्रेस को एक जैसा झटका लगा था दोनों ही दलों के चुनाव अभियान की कमान संभाल रहे ज्योतिराज सिंधिया के घर में बीजेपी केंद्रीय मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर के क्षेत्र में कांग्रेस के वोट बैंक में इजाफा हुआ था तोमर की संसदीय क्षेत्र ग्वालियर में कांग्रेस ने 7 सीटें जीतकर बीजेपी को तगड़ा झटका दिया है वही सिंधिया के गढ़ में बीजेपी को ज्यादा वोट मिले। विधानसभा चुनाव में बीजेपी ने सिंधिया की संसदीय क्षेत्र में 3 सीटें जीती लेकिन इसके बाद भी बीजेपी का वोट परसेंटेज घटा है। हालांकि गुना संसदीय क्षेत्र में बीजेपी की बात वोटों के लिहाज से 17 हजार से भी कम है। अगर ग्वालियर लोकसभा सीट को देखा जाए तो यहां विधानसभा चुनाव में कुल वोटिंग 12 लाख 99 हजार 812 हुई थी जिसमें से कांग्रेस के पक्ष में 5 लाख 58 हजार 648 वोट मिले थे वहीं बीजेपी को चार लाख 24 हजार 301 पोर्ट मिले। ग्वालियर लोकसभा क्षेत्र में ग्वालियर ग्रामीण ग्वालियर ग्वालियर पूर्व ग्वालियर दक्षिण भितरवार डबरा करेरा और पोहरी सीट आती है। कांग्रेस ने पिछले विधानसभा चुनाव में बीजेपी के दिग्गज नेता और मंत्री जयभान सिंह पवैया को धूल चटाई है जो पूर्व में लोकसभा चुनाव भी लड़ चुके हैं इसी तरह पूर्व सांसद अनूप मिश्रा को भी विधानसभा चुनाव में हार का सामना करना पड़ा है लिहाजा लोकसभा चुनाव में इन दोनों कद्दावर नेता की स्थिति कमजोर मानी जा रही है वहीं विधानसभा नतीजों को देखते हुए मौजूदा सांसद और केंद्रीय मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर को ग्वालियर लोकसभा सीट खतरे में दिखाई दे रही है यही वजह है कि वह किसी सुरक्षित सीट की तलाश में जुटे हैं।
वहीं गुना लोकसभा सीट की बात की जाए तो इसमें शिवपुरी पिछोर कोलारस बमोरी गुना अशोक नगर चंदेरी मुंगावली आते हैं। अगर पिछले विधानसभा चुनाव की वोटिंग परसेंटेज के हिसाब से देखा जाए तो बीजेपी को वोटों के लिए हादसे यहां सिर्फ 16 हजार वोटों की ही बढ़त मिली है। लिहाजा बीजेपी को यह सीट आगामी लोकसभा चुनाव में अपने खाते में आती दिखाई दे रही है।



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