भोपाल/नई दिल्लीः जेल से पैरोल पर निकल कर निहंग नेताओं की हत्या की साजिश रच रहे एक शख्स को उसके साथी सहित स्पेशल सेल ने गिरफ्तार किया है. आरोपियों की पहचान मलकीत सिंह एवं भूपेंद्र सिंह के रूप में की गई हैं. दोनों के पास से दो पिस्तौल और 20 कारतूस बरामद किए गए हैं. मलकीत सिंह हत्या के मामले में दोषी करार दिया जा चुका है और वह कोरोना के चलते जेल से पैरोल पर निकला था. आगामी 15 मार्च को उसे जेल जाना था, लेकिन वह पैरोल जंप करना चाहता था.
मध्य प्रदेश से लिए थे हथियार
डीसीपी संजीव यादव के अनुसार, स्पेशल सेल को सूचना मिली कि हत्या के मामले में सजा पा चुका एक दोषी पैरोल पर निकला हुआ है. वह मध्य प्रदेश से अवैध हथियार लेकर किसी बड़े अपराध को अंजाम देने के लिए आ रहा है. इसकी जानकारी होने पर एसीपी जसबीर सिंह की देखरेख में इंस्पेक्टर पंकज सिंह और नीरज की टीम ने छापा मारकर मलकीत सिंह उर्फ जुझार सिंह और भूपेंद्र सिंह को शालीमार बाग इलाके से पकड़ लिया. मलकीत सिंह के पास से एक पिस्तौल और 16 जिंदा कारतूस बरामद हुए. वहीं, एक पिस्तौल और चार जिंदा कारतूस भूपेंद्र सिंह के पास से बरामद हुए. इसे लेकर आर्म्स एक्ट का मामला दर्ज किया गया.
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अपहरण के बाद हत्या को दिया था अंजाम
पूछताछ के दौरान मलकीत सिंह ने बताया कि वह पंजाब के पटियाला का रहने वाला है. उसके पिता बलदेव सिंह को आजादपुर के लाल बाग स्थित गुरुद्वारे का ग्रंथी बनाया गया था. वर्ष 2007 में पटियाला पुलिस ने बलदेव सिंह को बंता सिंह बगीची गोली कांड में गिरफ्तार किया था. इसमें चार निहंग सिख मारे गए थे. इसके बाद लखबीर सिंह उर्फ लक्खा को गुरुद्वारे का ग्रंथी बनाया गया. 2010 में मलकीत सिंह ने मां जसबीर कौर, सेवादार सुखपाल सिंह और रंजीत सिंह के साथ मिलकर लखबीर को अगवा कर उसकी हत्या कर दी थी. इस बाबत आदर्श नगर थाने में मामला दर्ज किया गया था. चारों आरोपियों को गिरफ्तार किया गया और उन्हें उम्र कैद की सजा हो चुकी है.
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2017 में भी हत्या की साजिश में शामिल
2010 में जब मलकीत को पकड़ा गया, तो पहले उसे जूविनाइल होम में रखा गया था. वहां से वह 2010 में फरार हो गया था. बाद में पता चला कि वह हत्या के समय बालिग था. बाद में उसे गिरफ्तार कर जेल भेजा गया था. 2016 में उसे 1 महीने की पैरोल मिली थी. 2017 में 4 लोगों की हत्या मुख्तसर में हुई. इसकी साजिश में वह शामिल पाया गया. 2017 में उसे बलवान गढ़ साहिब गुरुद्वारा के सेवादार प्यारा सिंह की हत्या के मामले में साजिश रचने के चलते गिरफ्तार किया गया था. तिहाड़ जेल में रहने के दौरान वह जगतार सिंह हवारा के संपर्क में आया.
दो लोगों की हत्या के लिए रची साजिश
बीते 1 अगस्त को कोरोना के चलते जमानत पर वह बाहर निकला था. जेल से बाहर आने के बाद, वह दो लोगों की हत्या की साजिश रच रहा था और इसके लिए वह हथियार भी जुटा रहा था. पूछताछ के दौरान उसने बताया है कि निहंग सिख बुद्धा दल के एक हिस्से से वह बदला लेना चाहता था. उसे लगता था कि उनकी वजह से वह और उसका परिवार जेल में है. इसके अलावा जत्थे बंदी को लेकर भी उसका झगड़ा चल रहा था. मलकीत बुलेट प्रूफ जैकेट पहनता था, ताकि उसे विरोधी ना मार सके. वह पंजाब में आयोजित होने वाले होला मोहल्ला के मौके पर इस हत्या को अंजाम देने वाला था. इसके अलावा वह अपने एक पड़ोसी को भी मारना चाहता था, जो ग्रंथी लखविंदर सिंह की हत्या के मामले में गवाह था. वह लालबाग इलाके में बिल्डिंग मटेरियल का काम करता है.
बुरहानपुर से लाया था हथियार
साजिश को कामयाब करने के लिए उसने हरविंदर सिंह पिंडा से संपर्क किया, जो नाभा जेल में बंद था. उसने हथियारों का इंतजाम करने के लिए उसे बुरहान के निवासी ज्योति आर्म्स सप्लायर का नंबर मुहैया कराया. फेसबुक के माध्यम से वह उसके संपर्क में आया. 5 मार्च को भूपेंद्र बुरहानपुर से दो पिस्तौल और 20 कारतूस लेकर आ रहा था. वह ट्रेन से दिल्ली पहुंचा था. यहां उसे पुलिस ने गिरफ्तार कर लिया. 15 मार्च को मलकीत की पैरोल खत्म होने वाली थी, लेकिन वह हत्या के लिए पैरोल जंप करने वाला था. भूपेंद्र सिंह मलकीत से एक दोस्त करण के माध्यम से मिला था. मलकीत सिंह ने उसे हत्या की साजिश के बारे में बताया था. हथियार के लिए रुपये भी भूपेंद्र ने ही दिए थे.