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सैनिकों की नर्सरी है नरेला, हर घर का बेटा भारतीय सेना में दे रहा है सेवाएं - नरेला गांव

राजधानी के 7 किलोमीटर दूर नरेला गांव है. इस गांव के हर घर से एक बेटा फौज में है. देश का भक्ति का जज्बा इतना है कि गांव का हर युवा सेना में भर्ती होना चाहता है.

सैनिकों की नर्सरी है नरेला
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Published : Aug 13, 2019, 3:21 PM IST

Updated : Aug 14, 2019, 12:00 PM IST

भोपाल। सेना में जाने का का सपना, देश के लिए जान देने का जज्बा, दुश्मनों को सबक सिखाने का जोश और देश के लिए सब कुछ न्योछावर करने का जुनून वाले देशभक्त जवानों का गांव है नरेला. मध्य प्रदेश की राजधानी भोपाल से महज सात किलोमीटर दूर रातीबड़ रोड पर स्थित नरेला गांव वीर सपूतों की धरती है.

सैनिकों की नर्सरी है नरेला

यहां के युवा सेना में भर्ती होने के लिए रोजाना पसीना बहाते हैं. सुबह जल्दी उठकर नौजवान मैदान पर पहुंचते हैं और फिर शुरु होता एक्सरसाइज का दौर. युवा खुद को आर्मी के काबिल बनाने के लिए कड़ी मेहनत करते हैं. उनका एक ही सपना होता है. सेना में शामिल होकर देश सेवा करना.

गांव के युवाओं का कहना है कि देश सेवा का जज्बा इस गांव में पीढ़ियों से चला रहा है. गांव का बच्चा-बच्चा सेना में भर्ती के लिए ट्रेनिंग कर रहा है. जब ईटीवी भारत की टीम नरेला गांव पहुंची तो गांव के नौजवान खुद को फिट रखने के लिए पसीना बहा रहे थे. कोई अपनी दौड़ परफेक्ट करने में जुटा था तो कोई सीना चौड़ा करने में.

गांव में ऐसा एक भी घर नहीं जहां से एक बेटा फौज में ना हो. गांव के जो युवा सेना में अब तक भर्ती नहीं हो सके हैं वे इन दिनों तैयारियों में लगे हैं.
आर्मी से रिटायर्ड श्यामकरण गांव के युवाओं को पूरी तरह तैयार कर रहे हैं.

श्याम करण के बड़े भाई आतंकवादियों से मुकाबला करते हुए शहीद हो गए थे, श्याम करण ने बताया कि गांव के युवाओं में देशसेवा का जोश है. गांव में पढ़ने की कोई खास सुविधा नहीं है. इसके बावजूद युवाओं में देश भक्ति का जज्बा कम नहीं हुआ.

भारतीय सेना से गांव के कुछ जवान रिटायर्ड हो चुके हैं तो कुछ देश के लिए दुश्मनों से लड़ते हुए अपनी जान की बाजी लगाते हुए शहीद हो गए हैं. इन सबके बावजूद यहां के युवाओं में देशसेवा और देश के लिए लड़ते-लड़ते मर मिटने का जज्बा कम नहीं हुआ. सलाम है ऐसे वीर जवानों को

भोपाल। सेना में जाने का का सपना, देश के लिए जान देने का जज्बा, दुश्मनों को सबक सिखाने का जोश और देश के लिए सब कुछ न्योछावर करने का जुनून वाले देशभक्त जवानों का गांव है नरेला. मध्य प्रदेश की राजधानी भोपाल से महज सात किलोमीटर दूर रातीबड़ रोड पर स्थित नरेला गांव वीर सपूतों की धरती है.

सैनिकों की नर्सरी है नरेला

यहां के युवा सेना में भर्ती होने के लिए रोजाना पसीना बहाते हैं. सुबह जल्दी उठकर नौजवान मैदान पर पहुंचते हैं और फिर शुरु होता एक्सरसाइज का दौर. युवा खुद को आर्मी के काबिल बनाने के लिए कड़ी मेहनत करते हैं. उनका एक ही सपना होता है. सेना में शामिल होकर देश सेवा करना.

गांव के युवाओं का कहना है कि देश सेवा का जज्बा इस गांव में पीढ़ियों से चला रहा है. गांव का बच्चा-बच्चा सेना में भर्ती के लिए ट्रेनिंग कर रहा है. जब ईटीवी भारत की टीम नरेला गांव पहुंची तो गांव के नौजवान खुद को फिट रखने के लिए पसीना बहा रहे थे. कोई अपनी दौड़ परफेक्ट करने में जुटा था तो कोई सीना चौड़ा करने में.

गांव में ऐसा एक भी घर नहीं जहां से एक बेटा फौज में ना हो. गांव के जो युवा सेना में अब तक भर्ती नहीं हो सके हैं वे इन दिनों तैयारियों में लगे हैं.
आर्मी से रिटायर्ड श्यामकरण गांव के युवाओं को पूरी तरह तैयार कर रहे हैं.

श्याम करण के बड़े भाई आतंकवादियों से मुकाबला करते हुए शहीद हो गए थे, श्याम करण ने बताया कि गांव के युवाओं में देशसेवा का जोश है. गांव में पढ़ने की कोई खास सुविधा नहीं है. इसके बावजूद युवाओं में देश भक्ति का जज्बा कम नहीं हुआ.

भारतीय सेना से गांव के कुछ जवान रिटायर्ड हो चुके हैं तो कुछ देश के लिए दुश्मनों से लड़ते हुए अपनी जान की बाजी लगाते हुए शहीद हो गए हैं. इन सबके बावजूद यहां के युवाओं में देशसेवा और देश के लिए लड़ते-लड़ते मर मिटने का जज्बा कम नहीं हुआ. सलाम है ऐसे वीर जवानों को

Intro:भोपाल से 7 किलोमीटर दूर रातीबड़ रोड से लगा हुआ नरेला गांव जहां हर परिवार का एक सदस्य फौज में देश सेवा कर रहा है देश सेवा का जज्बा इस गांव में पीढ़ियों से चला रहा है यही कारण है कि यह गांव बाकी से बिल्कुल अलग है इस गांव में युवा बचपन से ही सेना में भर्ती के लिए ट्रेनिंग शुरू कर देते हैं जब हम इस गांव में पहुंचे तो यहां कोई एक्सरसाइज कर रहा था तो कोई दौड़ रहा था सेना में जाने का या जज्बा इन युवाओं में पीढ़ियों से है देश के लिए मर मिटने की इच्छा इनकी आंखों में साफ नजर आती है


Body:शहर से 7 किलोमीटर दूर एक गांव जहां तपती धूप में भी कोई अपनी दौड़ को परफेक्ट करने में लगा है तो कोई अपना सीना चौड़ा करने के लिए एक्सरसाइज कर रहा है यहां सब की आंखों में एक ही सपना है सेना में जाकर देश की सेवा करने का देश सेवा का यह जज्बा यहां पीढ़ियों से चला रहा है आलम यह है कि गांव में ऐसा एक भी घर नहीं जहां से एक बेटा फौज में ना हो यही कारण है की भोपाल के रातीबड़ इलाके से लगा नरेला गांव बाकी से अलग है गांव के जो युवा सेना में अब तक भर्ती नहीं हो सके हैं वे इन दिनों तैयारियों में लगे हैं तू वही इस गांव में 600 परिवार रहते हैं और हर घर से एक व्यक्ति फौज में है कुछ रिटायर हो चुके हैं तो कुछ शहीद हो चुके हैं और जो है वह ट्रेनिंग कर रहे हैं इस गांव में देशभक्ति के लिए या जज्बा पीढ़ियों से चला आ रहा है

वहीं जब ईटीवी भारत की टीम इस गांव में पहुंची तब हमने देखा यंहा ज्यादातर लड़के दौड़ की तैयारी में जुटे हुए थे आर्मी से रिटायर्ड श्यामकरण एक्स आर्मी इन युवाओं को यहां ट्रेनिंग देते हैं श्याम करण के बड़े भाई आतंकवादी हमले में शहीद हो गए थे श्याम करण ने बताया कि उनके परिवार से उनके बड़े भाई आर्मी में थे जो शहीद हो गए जिसके बाद उन्हें आर्मी में जाने की इच्छा जागी और उन्होंने सेना में देशसेवा में अपना जीवन बिता दिया श्यामकर्ण ने बताया कि यंहा के युवाओ में देशसेवा के लिए जोश साफ नजर आता है इस गांव में पढ़ने की कोई खास सुविधा नही है लेकिन इनके अंदर जागी देशभक्ति के चलते सेना में जाने का जुनून है।

बाइट- श्यामकर्ण एक्स आर्मी
बाइट-गांव के युवा




Conclusion:राजधानी के करीब नरेला गांव जहां हर परिवार से एक बेटा फौज में है दिन और रात मेहनत करिए युवा देश के लिए मर मिटने की तैयारी कर रहे हैं
Last Updated : Aug 14, 2019, 12:00 PM IST
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