भोपाल| मध्यप्रदेश में उद्योगों को निवेश के लिए आकर्षित करने के लिए सरकार प्रदेश में सिंगल विंडो सिस्टम लागू करने की तैयारी में है. इसे 'तेलंगाना मॉडल' के तौर पर देखा जा रहा है. इंदौर में 18 अक्टूबर को मैग्निफिसेंट एमपी समिट करने जा रही कमलनाथ सरकार जल्द ही इस प्रस्ताव को मंजूरी देगी. इस प्रस्ताव को लागू करने के बाद समिट में सरकार को जो भी प्रस्ताव मिलेंगे उसकी फाइल विभागों में अब यहां वहां नहीं घूम पाएगी.
उद्योग विभाग प्रस्ताव का परीक्षण करके सीधे निवेश संवर्धन की कैबिनेट कमेटी में प्रस्ताव रखेगा और अंतिम फैसला भी तुरंत किया जाएगा. इसके लिए अधिकतम सीमा 3 महीने की रहेगी. प्रस्ताव मिलने के 1 सप्ताह बाद ही इसकी प्रक्रिया भी शुरू हो जाएगी. मुख्यमंत्री सचिवालय निवेश प्रस्तावों की सीधी निगरानी भी करेगा .
शिवराज सरकार ने भी किया था लागू
बताया जा रहा है कि शिवराज सरकार ने उद्योगपतियों को कुछ सहूलियत देने के लिए पहले ही सिंगल विंडो सिस्टम लागू किया था. लेकिन सही देखरेख ना होने की वजह से यह कुछ खास असर नहीं दिखा पाया. जिसकी वजह से उद्योगपतियों को काफी मुश्किलों का सामना भी करना पड़ा था. उद्योगपति मंत्रालय और विभागों में लगातार चक्कर लगाते रहते थे. जिसकी वजह से प्रदेश में उद्योग लगाने की व्यवस्था सही ढंग से सुचारू नहीं हो पाई.
सीएम कमलनाथ को ऐसे आया आईडिया
प्रदेश में सत्ता परिवर्तन के बाद मुख्यमंत्री कमलनाथ ने उद्योगपतियों के साथ मुंबई और भोपाल में लगातार बैठक आयोजित की हैं. इन बैठकों के दौरान भी सिंगल विंडो सिस्टम की बात कई बार उठाई गई है. पिछले दिनों मुख्यमंत्री जब वर्ल्ड इकोनॉमिक फोरम की बैठक में हिस्सा लेने के लिए नई दिल्ली गए थे. तब उनकी तेलंगाना के पूर्व मुख्यमंत्री चंद्रशेखर राव से भी इस मामले को लेकर बातचीत हुई थी. उन्होंने स्टेट इंडस्ट्रियल प्रोजेक्ट अप्रूव एंड सेल्फ सर्टिफिकेशन सिस्टम के बारे में जानकारी दी थी .
यह नई व्यवस्था मुख्यमंत्री कमलनाथ को बेहद पसंद भी आई और उन्होंने तुरंत राजधानी लौट कर उद्योग विभाग के अधिकारियों को इस प्रोजेक्ट पर नया प्रस्ताव बनाकर लाने के निर्देश भी दिए थे.
रोजगार देना प्राथमिकता
मुख्यमंत्री कमलनाथ की प्राथमिकता में वे सभी उद्योग हैं जो ज्यादा रोजगार उपलब्ध करा सकते हैं. इन्हें ना सिर्फ प्रदेश में विशेष स्थान देने का प्रावधान किया जा रहा है, बल्कि प्रोत्साहन सहायता भी अधिक दिए जाने की व्यवस्था की जा रही है. प्रोत्साहन राशि का इस्तेमाल लेकिन मध्यप्रदेश में ही करना होगा. उद्योगों को 70 प्रतिशत रोजगार स्थानीय लोगों को देना होगा यह प्रदेश सरकार की शर्त रहेगी.