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कमलनाथ और सिंधिया गुट के मंत्रियों के बीच क्या नहीं है ऑल इज वेल, AICC ने PCC से मांगा जवाब - कांग्रेस को-ऑर्डिनेटर

सीएम कमलनाथ और ज्योतिरादित्य सिंधिया गुट के मंत्रियों के बीच बहस के बाद लगातार आ रहे इस्तीफे की खबरों को लेकर संगठन सक्रिय हो गया है.

सीएम कमलनाथ
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Published : Jun 21, 2019, 11:50 PM IST

भोपाल। सीएम कमलनाथ और ज्योतिरादित्य सिंधिया गुट के मंत्रियों के बीच बहस के बाद लगातार आ रहे इस्तीफे की खबरों को लेकर संगठन सक्रिय हो गया है. मंत्री गोविंद सिंह राजपूत के इस्तीफे की खबर के बाद एआईसीसी ने पीसीसी से जवाब मांगा है.


एआईसीसी के बाद संगठन के पदाधिकारी घटनाक्रम पर नजर रखे हुए हैं. दरअसल मध्यप्रदेश में लगातार आ रही विवाद की खबरों के बाद एआईसीसी ने प्रदेश संगठन से पूरे घटनाक्रम की रिपोर्ट मांगी थी. एआईसीसी को रिपोर्ट सौंपने के पहले पीसीसी ने एक अहम बैठक बुलाई थी. जिसमें विशेष तौर पर प्रदेश कांग्रेस के मीडिया समन्वयक, प्रदेश अध्यक्ष और प्रमुख पदाधिकारियों को बुलाया गया था.

AICC ने PCC से मांगा जवाब


कांग्रेस को-ऑर्डिनेटर नरेंद्र सलूजा का कहना है कि मुख्यमंत्री का विशेषाधिकार है, वे कभी भी किसी मंत्री को मंत्रिमंडल में शामिल करें या बाहर कर दें. या फिर अपने मंत्रिमंडल का पुनर्गठन करें. सलूजा ने कहा कि कांग्रेस के मंत्रियों के बीच इस तरह का कोई विवाद नहीं है. उन्होंने कहा कि अगर ऐसा कोई विवाद होता तो वे मंत्री मीडिया के सामने आकर बोलते लेकिन ऐसा कुछ भी नहीं है. उन्होंने इसे दुष्प्रचार और कयास का हिस्सा बताया.

भोपाल। सीएम कमलनाथ और ज्योतिरादित्य सिंधिया गुट के मंत्रियों के बीच बहस के बाद लगातार आ रहे इस्तीफे की खबरों को लेकर संगठन सक्रिय हो गया है. मंत्री गोविंद सिंह राजपूत के इस्तीफे की खबर के बाद एआईसीसी ने पीसीसी से जवाब मांगा है.


एआईसीसी के बाद संगठन के पदाधिकारी घटनाक्रम पर नजर रखे हुए हैं. दरअसल मध्यप्रदेश में लगातार आ रही विवाद की खबरों के बाद एआईसीसी ने प्रदेश संगठन से पूरे घटनाक्रम की रिपोर्ट मांगी थी. एआईसीसी को रिपोर्ट सौंपने के पहले पीसीसी ने एक अहम बैठक बुलाई थी. जिसमें विशेष तौर पर प्रदेश कांग्रेस के मीडिया समन्वयक, प्रदेश अध्यक्ष और प्रमुख पदाधिकारियों को बुलाया गया था.

AICC ने PCC से मांगा जवाब


कांग्रेस को-ऑर्डिनेटर नरेंद्र सलूजा का कहना है कि मुख्यमंत्री का विशेषाधिकार है, वे कभी भी किसी मंत्री को मंत्रिमंडल में शामिल करें या बाहर कर दें. या फिर अपने मंत्रिमंडल का पुनर्गठन करें. सलूजा ने कहा कि कांग्रेस के मंत्रियों के बीच इस तरह का कोई विवाद नहीं है. उन्होंने कहा कि अगर ऐसा कोई विवाद होता तो वे मंत्री मीडिया के सामने आकर बोलते लेकिन ऐसा कुछ भी नहीं है. उन्होंने इसे दुष्प्रचार और कयास का हिस्सा बताया.

Intro:भोपाल। कमलनाथ कैबिनेट में ज्योतिरादित्य सिंधिया के मंत्रियों का मुख्यमंत्री कमलनाथ से विवाद और मीडिया में लगातार आ रही मंत्रियों के इस्तीफे की खबरों को लेकर एआईसीसी के हस्तक्षेप के बाद अब प्रदेश संगठन सक्रिय हो गया है। खासकर कैबिनेट में विवाद की खबरों के बाद ज्योतिरादित्य सिंधिया के गुट के मंत्री गोविंद सिंह राजपूत द्वारा मुख्यमंत्री कमलनाथ द्वारा समय न दिए जाने के बयान के बाद उनके इस्तीफे की खबरें मीडिया में आने पर एआईसीसी पीसीसी से जवाब मांगा है। एआईसीसी के बाद संगठन के पदाधिकारी घटनाक्रम पर नजर रखे हुए हैं और एआईसीसी को लगातार रिपोर्ट कर रहे हैं।


Body:दरअसल मध्यप्रदेश में लगातार आ रही इन विवाद की खबरों के बाद आईसीसी ने प्रदेश संगठन से पूरे घटनाक्रम की रिपोर्ट मांगी थी। एआईसीसी को रिपोर्ट सौंपने के पहले पीसीसी ने एक अहम बैठक बुलाई थी। जिसमें विशेष तौर पर मध्यप्रदेश कांग्रेस के मीडिया समन्वयक, प्रदेश अध्यक्ष और प्रमुख पदाधिकारियों को बुलाया गया था। सूत्रों की मानें तो इस मीटिंग में सारे विवाद पर चर्चा के दौरान यह मुद्दा छाया रहा कि मीडिया में इस तरह की खबरें क्यों आ रही हैं। क्या इसके पीछे कांग्रेस के ही लोग हैं या फिर विपक्ष इन मुद्दों को मीडिया के जरिए हवा दे रहा है।क्योंकि प्रदेश संगठन का कहना है कि मुख्यमंत्री द्वारा छह मंत्रियों को हटाए जाने के लिए सोनिया गांधी को लिखी गई खबर पूरी तरह निराधार है। क्योंकि ना तो मुख्यमंत्री ने इस तरह की कोई चिट्ठी लिखी है और इस तरह के निर्णय चिट्ठी लिखकर नहीं बल्कि मुलाकात कर किए जाते हैं। लेकिन इस खबर को मीडिया ने काफी हवा दी और मंत्रिमंडल में असंतोष का कारण बनी।वहीं कैबिनेट में विवाद की खबरों को लेकर भी संगठन ने सवाल खड़े किए हैं कि आखिर कैबिनेट में कोई चर्चा या विवाद हुआ है। तो वह मीडिया में कैसे चर्चा का विषय बना। इसके अलावा गुरुवार को अचानक मीडिया में दो मंत्रियों के इस्तीफे की खबर और सिंधिया खेमे के मंत्री गोविंद सिंह राजपूत के इस्तीफे को लेकर भी पीसीसी ने मीडिया विभाग से जवाब तलब किया है। कांग्रेस सूत्रों की माने तो इस बैठक में यह भी चर्चा हुई कि सिंधिया खेमे के लोग दबाव बनाने के लिए इस तरह की खबरों को हवा दे रहे हैं। खासकर मुख्यमंत्री से विवाद की खबरें फैला कर माहौल बनाया जा रहा है। ताकि सरकार और संगठन में सिंधिया समर्थकों को विशेष महत्त्व मिले। बैठक में यह भी चर्चा सामने आई कि छह मंत्रियों के इस्तीफे की खबर के कारण सिंधिया खेमे के मंत्री अपने आप को असुरक्षित मानकर इन मुद्दों को हवा दे रहे हैं। कुल मिलाकर संगठन ने मीडिया विभाग को इस तरह की खबरों के फैलने पर अंकुश लगाने और इन खबरों के पीछे की हकीकत जानने के निर्देश दिए हैं।


Conclusion:हालांकि संगठन में हुई बैठक को लेकर मीडिया विभाग ने चुप्पी साध रखी है। लेकिन इस पूरे मसले पर मध्यप्रदेश कांग्रेस और मुख्यमंत्री के मीडिया समन्वयक नरेंद्र सलूजा का कहना है कि मुख्यमंत्री का विशेषाधिकार है। कभी भी किसी मंत्री को मंत्रिमंडल में शामिल करें या बाहर कर दें या फिर अपने मंत्रिमंडल का पुनर्गठन करें। अपने विशेषाधिकार का मुख्यमंत्री कभी भी उपयोग कर सकते हैं। लेकिन जिस तरह की बातें मीडिया में आ रही हैं, इन चर्चाओं को लेकर कोई ठोस जानकारी नहीं है। मंत्रियों के बयानों और विवादों को लेकर कांग्रेस का कहना है कि कहीं भी कोई तरह का विवाद नहीं है। बैठक के अंदर हर व्यक्ति अपना पक्ष रखता है। लेकिन जैसा प्रचारित किया गया है, ऐसा कोई विवाद नहीं है। विवाद होता तो प्रद्युम्न सिंह तोमर, गोविंद सिंह राजपूत या सुखदेव पांसे मीडिया में बोलते। लेकिन सब ने इन खबरों का खंडन किया है। ये सब कयास हैं और दुष्प्रचार का हिस्सा है।
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