भोपाल। देश की सर्वोच्च परीक्षा यानी कि यूपीएससी (Union public service commission) में राजधानी की सृष्टि देशमुख ने ऑल इंडिया रैंकिंग में पांचवा स्थान हासिल किया है. सृष्टि की इस सफलता ने न केवल उनके माता-पिता बल्कि प्रदेश का नाम भी रोशन किया है. उनकी इस कामयाबी पर उनके माता-पिता खुशी जाहिर करते हुए कहते हैं कि आज उन्हें ऐसा लग रहा है, जैसे ये कोई सपना हो.
परीक्षा का परिणाम आने के बाद से ही सृष्टि के घर बधाई देने वालों का तांता लगा हुआ है. वहीं उनके घर पर दीपावली जैसा माहौल बना हुआ है, बच्चे पटाखे फोड़ रहे हैं और रिश्तेदार उन्हें बधाई दे रहे हैं. सृष्टि ने बचपन से ही भोपाल में पढ़ाई की है, शुरुआती शिक्षा एक प्राइवेट स्कूल से प्राप्त की है तो वहीं प्राइवेट कॉलेज से ही आगे की पढ़ाई कर भी रही हैं. सृष्टि की इस कामयाबी के पीछे की कहानी उन्होंने 'ईटीवी भारत' से साझा की है.
ईटीवी भारत से बातचीत करते हुए सृष्टि ने बताया कि उनकी बचपन से ही पढ़ाई में खास रुचि है और यूपीएससी एग्जाम के लिए उन्होंने दिन रात मेहनत की है. वो खुद इस बात से शॉक्ड हैं कि उन्होंने पहले प्रयास में ही यूपीएससी एग्जाम को पास कर लिया है, वो भी देश में पांचवे स्थान के साथ. उन्होंने इस सफलता का श्रेय अपने गुरुजनों एवं माता-पिता को दिया है.
'सोशल मीडिया लक्ष्य से भटकाता है इसलिए बना ली थी दूरी'
सृष्टि का कहना है कि यूपीएससी परीक्षा एक लंबी यात्रा के समान है, जहां आपको एक से डेढ़ साल तक लगातार पढ़ाई करनी पड़ती है. उनका कहना है कि मेरे परिजनों, दोस्तों और शिक्षकों ने मुझे पूरा सहयोग किया है इसलिए इस कामयाबी का श्रेय भी उन्हें ही जाना चाहिए. उन्होंने पहले ही तय कर लिया था कि पहला प्रयास ही अंतिम प्रयास होगा, यही कारण था कि ये परीक्षा पहले प्रयास में ही पास करना मेरा लक्ष्य था. इसके लिए उन्होंने सोशल मीडिया यानी फेसबुक, वॉट्सएप, इंस्टाग्राम से पूरी तरह दूरी बना ली थी. उनका मानना है कि इस तरह की चीजों से हम अपने लक्ष्य से भटकते हैं.
लगातार मेहनत से मिलती है सफलता, सकारात्मक पहलुओं पर दें ज्यादा ध्यानः सृष्टि
यूपीएससी एग्जाम के लिए उन्होंने अपनी पढ़ाई का समय तय कर लिया था. इस दौरान वे किसी भी काम को नहीं करती थीं. यही वजह रही है कि उन्हें यह सफलता हासिल हो सकी है. इसके साथ ही उन्होंने युवाओं को संदेश देते हुए कहा कि युवाओं को अपनी पढ़ाई-लिखाई पर ज्यादा ध्यान देना चाहिए. यदि किसी कार्य में आपको सफलता मिलती है, तो उस पर लगातार काम करते रहना चाहिए क्योंकि जब आप लगातार काम करेंगे तो सफलता आपको जरूर मिलेगीं. लेकिन, काम की असफलता से निराशा नहीं होनी चाहिए, कोई भी व्यक्ति हो उसे हमेशा सकारात्मक पहलुओं पर ध्यान देना चाहिए और हमेशा आशावादी होना चाहिए.
इन क्षेत्रों में विकास करना चाहती हैं सृष्टि
मध्यप्रदेश में स्कूल हैं, कॉलेज हैं, लेकिन शिक्षक नहीं है, जो चिंता का विषय है. उनका कहना है कि यदि उन्हें मौका मिलता है तो वे इस क्षेत्र के लिए जरूर कुछ करना चाहेंगी क्योंकि छात्र बिना शिक्षक के कुछ भी नहीं हैं. इसके अलावा समाज में और भी कई मुद्दे हैं, जिन्हें सुधारने की जरूरत है.
माता-पिता ने बेटी को दिया कामयाबी का श्रेय
सृष्टि के पिता जयंत देशमुख एक प्राइवेट जॉब करते हैं और सृष्टि की मां सुनीता देशमुख शिक्षक है. बेटी की सफलता पर उनका कहना है कि मुझे आज यकीन नहीं हो रहा है कि मेरी बेटी ने यह मुकाम हासिल किया है. निश्चित रूप से पिता होने के नाते मैं अपने आप को गौरवान्वित महसूस कर रहा हूं. उन्होंने कहा कि इस सफलता का श्रेय केवल सृष्टि को जाता है क्योंकि उसने इस परीक्षा के लिए दिन-रात मेहनत की है.