भोपाल। पूर्व केंद्रीय मंत्री और मध्यप्रदेश कांग्रेस के मजबूत स्तंभ रहे ज्योतिरादित्य सिंधिया की बगावत के बाद अस्तित्व में आयी शिवराज सरकार के सामने अब सबसे बड़ा संकट मंत्रिमंडल के विस्तार को लेकर खड़ा हो गया है. लिहाजा मध्यप्रदेश बीजेपी के दिग्गज नेता व मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान इस संकट का हल निकालने में जुट गए हैं. हैदराबाद के मंदिरों में पूजा और तिरुपति बालाजी में दर्शन के बाद उन्होंने अब दिल्ली का रुख अख्तियार किया है और पार्टी आलाकमान से मुलाकात भी की है. सियासी गलियारों में ये चर्चा जोरों पर है कि शिवराज सिंह चौहान दिल्ली में केंद्रीय नेतृत्व से वन-टू-वन चर्चा कर अपने खासम-खास लोगों को मंत्रिमंडल में शामिल करना चाहते हैं. इसके लिए वे केंद्रीय नेताओं को भरोसे में लेकर सरकार चलाने को लेकर आश्वस्त करना चाहते हैं.
रविवार को शिवराज सिंह चौहान ने राष्ट्रीय अध्यक्ष जेपी नड्डा, केंद्रीय मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर, गृह मंत्री अमित शाह से मुलाकात की थी और आज मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से भी मिलने जा रहे हैं. इसके पीछे की वजह मध्यप्रदेश में मंत्रिमंडल का विस्तार होना ही माना जा रहा है. शिवराज सिंह चौहान के नेताओं से मुलाकात को लेकर राजनीतिक विश्लेषक शिव अनुराग पटेरिया का कहना है कि शिवराज अपनी टीम बनाना चाहते हैं और संभवत: जिस तरीके से उत्तर प्रदेश की राज्यपाल आनंदीबेन पटेल को मध्य प्रदेश का प्रभारी बनाया गया है इससे यह अंदेशा लगाया जा सकता है कि मंगलवार को शिवराज कैबिनेट का विस्तार होगा.
इस बात पर फंसा है पेंच
सरकार बनने के बाद से ही मंत्रिमंडल की चर्चा जोरों पर है लेकिन अब तक शिवराज सिंह अपनी टीम नहीं बना सके हैं. इसकी सबसे बड़ी वजह सिंधिया समर्थक विधायक हैं, जिनकी बदौलत मध्यप्रदेश में शिवराज सिंह का कमबैक हुआ है. सिंधिया के साथ बीजेपी में शामिल हुए 22 विधायकों में से किसे शिवराज मंत्रिमंडल में जगह दी जाए, इस बात को लेकर पूरा पेंच फंसा हुआ है, बीजेपी में पहले से ही मंत्रिपद के दावेदारों की लंबी कतार हैं. ऐसे में केंद्रीय नेतृत्व का भरोसा जीतने के लिए शिवराज सिंह ने कवायद तेज कर दी है.
क्या चाहते हैं शिवराज सिंह ?
राजनीतिक जानकारों का मानना है कि शिवराज चाहते हैं कि वह अपने चहेते लोगों को मंत्रिमंडल में शामिल करें, ताकि वह अपने विश्वस्त लोगों के साथ सरकार को चला पाएं. शायद यही वजह है कि शिवराज सभी बड़े नेताओं से मिलकर अपने उन चहेतों के नाम पर सहमति बनाना चाहते हैं, क्योंकि उनके पास अपने विश्वसनीय पुराने चेहरे होंगे, जिनमें खासतौर से रीवा से राजेंद्र शुक्ल रायसेन से रामपाल सिंह जबलपुर से अजय विश्नोई सागर से भूपेंद्र सिंह, गोपाल भार्गव शामिल हैं.
सिंधिया समर्थक नेताओं को मंत्री बनाना जरूरी !
मौजूदा समय में शिवराज की मजबूरी है कि सिंधिया समर्थक नेताओं को मंत्री बनाना जरूरी है, क्योंकि इनकी मदद से ही बीजेपी सरकार में आई है. इसलिए इन नेताओं को नजरअंदाज नहीं किया जा सकता है. यही वजह है कि इसको लेकर शिवराज ने दिल्ली में सिंधिया से भी मुलाकात की है. वहीं 20 जुलाई को विधानसभा का मानसून सत्र बुलाया गया गया है. ऐसे में सरकार में कम से कम 12 मंत्रियों का होना आवश्यक है, क्योंकि मानसून सत्र में बजट पारित होगा तो कहीं ना कहीं यह भी एक संवैधानिक संकट मौजूद सरकार पर है. अब देखना यही है कि शिवराज का ये दिल्ली दौरा उनके लिए कितना सफल साबित होता है, क्या वह अपने चहेतों को मंत्रिमंडल में शामिल करा पाते हैं या नहीं.