भोपाल। पार्टी के आदेश पर दरी उठाने को तैयार शिवराज पार्टी की मर्जी को माथे पर बिठाकर दक्षिण जाने को भी तैयार हैं. लेकिन इतनी आसानी से एमपी छोड़ने तैयार नहीं. अपने सरकारी निवास को मध्य प्रदेश की जनता के लिए मामा का स्थाई घर बना देने के बाद ये तय होता दिखाई दे रहा है कि शिवराज का अठारह बरस का मजबूत जोड़ इतनी आसानी से टूटने वाला नहीं है. हैरत की बात ये है कि मुख्यमंत्री पद के ऐलान से पहले बीजेपी की हारी हुई सीटों पर जो शिवराज की यात्रा पर चल रही थी उस पर अचानक ब्रेक लग गया है. क्या शिवराज एमपी में अब समानान्तर शक्ति केन्द्र बनने की तैयारी में दिखाई दे रहे है.
क्यों बंद हो गई हारी हुई सीटों पर शिवराज की यात्रा ? : विधानसभा चुनाव के नतीजे आते ही पूर्व सीएम शिवराज सिंह चौहान ने नई सरकार के गठन का भी इंतजार नहीं किया था और हारी हुई सीटों पर कार्यकर्ताओं का मनोबल बढ़ाने निकल गए थे. शिवराज का बयान था कि 29 लोकसभा सीटों पर जीत के साथ 29 कमल के फूलों की माला पीएम मोदी को पहनाएंगे, ये कवायद उसी के लिए है. लेकिन मुख्यमंत्री पद पर चेहरा घोषित होते हुए ही शिवराज की इन यात्राओं पर ब्रेक लग गया, इसकी क्या वजह है.
ये भी पढ़ें: |
2018 में भी सत्ता बदल जाने के बाद शिवराज ने पूरे प्रदेश में आभार यात्रा निकालनी शुरु कर दी थी, लेकिन तब पार्टी की ओर से अनुमति ना मिल पाने की वजह से यात्राएं बंद हो गई. अब तो शिवराज को दक्षिण के दौरे करने की जिम्मेदारी मिल चुकी है. शिवराज विकसित भारत यात्रा में दक्षिण भारच जाएंगे.
शिवराज का संदेश चिट्ठी किसके नाम की... : विधानसभा चुनाव के दौरान से दिए गए शिवराज के बयानों पर गौर कीजिए तो अंदाजा लगता है कि उन्हें आभास था कि चुनाव लड़ना चाहिए या नहीं. "ऐसा सीएम दोबारा नहीं मिलेगा" से लेकर अब दिया गया शिवराज का बयान कि "कई बार राजतिलक होते होते वनवास हो जाता है". शिवराज लगातार जनता में भी अपनी मौजूदगी जता रहे हैं और ये बता रहे हैं कि शिवराज को इग्नोर नहीं किया जा सकता.
वरिष्ठ राजनीतिक विश्लेषक प्रकाश भटनागर कहते हैं- "इसमें दो राय नहीं कि शिवराज की अपनी एक पब्लिक इमेज है एमपी के चुनिंदा राजनेताओं में से हैं वे जिनकी पब्लिक अपील है. और वो जानते हैं जनता में और खबरों में बने रहना. बाकी वे पार्टी के ऐसे कार्यकर्ता हैं जिनके लिए पार्टी का हर आदेश सिर माथे है."