भोपाल। बजट पेश करने की तैयारी में जुटी मध्यप्रदेश सरकार एक बार फिर कर्ज लेने जा रही है. इस बार यह रकम 3 हजार करोड़ रुपए की है. भारतीय रिजर्व बैंक के जरिए लिए जा रहे इस कर्ज को 2033 तक चुकाने की मियाद रखी गई है. बजट के एक दिन लिए जा रहे इस कर्ज को लेकर मुख्य विपक्षी पार्टी कांग्रेस ने सरकार पर हमले तेज कर दिए हैं. वहीं, सरकार इसे लिमिट के अंदर बताकर बात संभालने में जुटी है. बता दें कि शिवराज सरकार 30 दिन में यह पांचवी बार कर्ज ले रही है.
वित्त मंत्री बोले- यह कर्ज ओवरड्राफ्ट नहीं : पिछले एक महीने में मध्यप्रदेश सरकार को पांचवी बार कर्ज लेना पड़ रहा है. इसके ब्याज के रूप में ही हर साल 50 हजार करोड़ रुपए देने पड़ रहे हैं. यह बात उठाते हुए कांग्रेस प्रवक्ता केके मिश्रा ने कहा, 'शिवराज सरकार मध्यप्रदेश के हर नागरिक को कर्ज में डुबाकर ही छोड़ेगी. दरअसल, भाजपा की इस सरकार के नेता और मंत्री कंबल ओढ़कर घी पी रहे हैं.' वहीं, वित्त मंत्री जगदीश देवड़ा ने इसका जवाब देते हुए कहा, 'विकास योजना और वित्तीय गतिविधियों को बढ़ावा देने के लिए 3000 करोड़ का कर्ज लिया जा रहा है. हम जो कर्ज ले रहे हैं, वह हमारी लिमिट के अंदर है. हम ओवरड्राफ्ट नही हैं.'
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इसके पहले कब-कब कर्ज लिया : इससे पहले 31 जनवरी को राज्य सरकार ने ₹2000 करोड़ का कर्ज लिया. यह 15 साल के लिए है. 7 फरवरी को 3000 करोड़ रुपए का कर्ज बाजार से 10 साल के लिए लिया गया. 13 फरवरी को 3000 करोड़ का कर्ज बाजार से उठाया. इसे 11 साल में चुकाना है. इस तरह मध्यप्रदेश सरकार पर अब तक तीन लाख करोड़ से ज्यादा का कर्ज चढ़ चुका है. अभी तक खुले बाजार से 1 लाख 64 हजार करोड़ का कर्ज जबकि वित्तीय संस्थाओं की देनदारी 10 हजार करोड़ रुपए से ज्यादा है. केंद्र सरकार के ऋण एवं अग्रिम के करीब 32 हजार करोड़ सहित अन्य दायित्व के 21 हजार करोड़ भी सरकार पर लदे कर्ज में शामिल हैं.