भोपाल। शारदीय नवरात्रि के चौथे दिन मां दुर्गा के पांचवें स्वरूप स्कंदमाता की पूजा की जाएगी. स्कंदमाता जो कि भगवान कार्तिकेय की माता हैं और उन्होंने इस रूप में अपनी स्कंद कुमार यानी भगवान कार्तिकेय को अपनी गोद में लिया हुआ है. Shardiya Navratri 2022, Navratri 2022 fasting rules, maa skandmata, fifth day of navratri, Worship of maa skandmata on fifth day of Navratri
माता पार्वती और भगवान शिव के पुत्र हैं स्कंद: धार्मिक मान्यताओं के अनुसार माता के इस स्वरूप में देवी की चार भुजाएं हैं, जिसमें दाएं और की तरफ ऊपर वाली भुजा से कंद भगवान को गोद में पकड़े हुए हैं, नीचे वाली भुजा में कमल का पुष्प और बाएं तरफ की ऊपर वाली भुजा में वरदमुद्रा धारण की हुई है, वहीं नीचे वाली भुजा में कमल पुष्प है, नवरात्रों में मां दुर्गा का पांचवा स्वरूप स्कंदमाता का है. स्कंद भगवान जोकि भगवान शिव और माता पार्वती के पुत्र है, जिन्हें भगवान कार्तिकेय भी कहा जाता है माता का यह स्वरूप अपने भक्तों की सभी मनोकामनाएं को पूर्ण करती हैं और उन्हें मोक्ष का मार्ग दिखाती हैं.
मां बच्चों की लंबी आयु के लिए रखती हैं व्रत: मान्यता यह भी है कि स्कंदमाता का यह स्वरूप मां का स्वरूप है और स्त्रियां अपने बच्चों की सुख, शांति, समृद्धि और लंबी आयु के लिए माता के इस स्वरूप की पूजा करती हैं. उनसे यह कामना करती हैं कि जिस प्रकार से आपके पुत्र भगवान कार्तिकेय चिरंजीवी हैं, उसी प्रकार से हमारे बच्चों की भी लंबी आयु हो और वह हमेशा खुश रहे, स्वस्थ रहें, समृद्ध रहे, इस प्रकार से महिलाएं खास तौर पर अपने बच्चों के लिए माता के स्वरूप की पूजा अर्चना करती हैं, इसके साथ ही संतान प्राप्ति के लिए भी माता के स्वरूप की आराधना लाभकारी मानी गई है.
माता के स्वरूप की पूजा अर्चना के दौरान उन्हें लाल रंग के फूल अर्पित करें, माता को सेब अनार केला आदि फल भी अर्पित किया जाता है और जो भी भक्त मां स्कंदमाता इस स्वरूप की सच्चे मन और पूरी आस्था से पूजा अर्चना करता है मां उसकी मनोकामना जरूर पूर्ण करते हैं.
संतान सुख की प्राप्ति होती है: मां स्कंदमाता की कृपा से संतान सुख की प्राप्ति होती है. मां को विद्यावाहिनी दुर्गा देवी भी कहा जाता है. मां की उपासना से अलौकिक तेज की प्राप्ति होती है.
मां स्कंदमाता का स्वरूप: स्कंदमाता कमल के आसन पर विराजमान हैं, इसी कारण उन्हें पद्मासना देवी भी कहा जाता है. मां स्कंदमाता को पार्वती एवं उमा नाम से भी जाना जाता है. मां की उपासना से संतान की प्राप्ति होती है. मां का वाहन सिंह है. मां स्कंदमाता सूर्यमंडल की अधिष्ठात्री देवी हैं.
स्कंदमाता पूजा विधि:
सुबह जल्दी उठकर स्नान आदि से निवृत्त होने के बाद साफ- स्वच्छ वस्त्र धारण करें.
मां की प्रतिमा को गंगाजल से स्नान कराएं.
स्नान कराने के बाद पुष्प अर्पित करें.
मां को रोली कुमकुम भी लगाएं.
मां को मिष्ठान और पांच प्रकार के फलों का भोग लगाएं.
मां स्कंदमाता का अधिक से अधिक ध्यान करें.
मां की आरती अवश्य करें