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हारे हुए नेताओं के लिए दिल्ली से भोपाल का चक्कर लगा रहे सिंधिया, सरकार और संगठन के लिए बना सिरदर्द

उपचुनाव में 7 विधानसभा सीटों पर सिंधिया समर्थकों की हार हुई थी, जिसके बाद से ही सिंधिया पूरा जोर लगातार नेताओं को हर हाल में सत्ता में सक्रिय भागीदारी दिलाने की तैयारी कर ने में जुटे हुए है.

Jyotiraditya Scindia
ज्योतिरादित्य सिंधिया
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Published : Dec 15, 2020, 12:06 AM IST

भोपाल। विधानसभा उपचुनाव हारने के बाद अब सिंधिया समर्थक नेता बीजेपी की सत्ता और संगठन के लिए मुसीबत बनते जा रहे है. यह नेता हर हाल में सत्ता में सक्रिय भागीदारी की जीद पर अड़े हैं. यही वजह है कि सिंधिया बार-बार दिल्ली से भोपाल का चक्कर लगा रहे हैं.

हारे हुए नेताओं को जगह देना चाहते है सिंधिया

सिंधिया अपने समर्थकों को निगम मंडल की कमान देने के साथ ही संगठन में भी भागीदारी की जिद पर अड़े हैं. यही कारण है कि ना तो प्रदेश अध्यक्ष वीडी शर्मा की टीम का विस्तार हो पा रहा है और ना ही शिवराज मंत्रिमंडल का विस्तार हो पा रहा है.

सत्ता और संगठन के लिए मुसीबत बने सिंधिया समर्थक

मध्य प्रदेश में उपचुनाव में हारे हुए सिंधिया समर्थकों का एडजस्टमेंट बीजेपी सरकार और संगठन के लिए सिरदर्द बना हुआ है. सिंधिया हाल ही में उपचुनाव हारने वाले अपने तीन समर्थक नेता इमरती देवी, गिर्राज दंडोतिया और एदल सिंह कंसाना को सत्ता में भागीदार बनाए रखने के पक्ष में हैं. वे इनको निगम मंडल की कमान दिलाना चाहते हैं, जबकि सत्ता और संगठन इन हारे हुए नेताओं की जगह निगम मंडलों में दूसरे नेताओं को मौका देने के पक्ष में है. इनमें बीजेपी के साथ-साथ सिंधिया के अन्य समर्थक के नेताओं के नाम भी शामिल हैं.

माना जा रहा है कि कुछ सिंधिया समर्थक नेताओं को मौका देने के लिए दिल्ली से पार्टी आलाकमान से चर्चा कर सकते हैं. इसी को लेकर हाल ही में सिंधिया ने मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान सहित संगठन नेताओं के साथ मंथन भी किया था. सिंधिया का यह मंथन कहीं ना कहीं अघोषित रूप से उनका, सरकार और सत्ता में स्थान देने के लिए दबाव के रूप में शक्ति प्रदर्शन भी माना जा रहा है.

हारे नेताओं को सत्ता और संगठन में स्थान मिला, तो दूसरे कार्यकर्ता होंगे नाराज

एक तरफ बीजेपी के मुखिया और सरकार के मुखिया पर सिंधिया का दबाव है, तो वहीं दूसरी तरफ उपचुनाव में हारे नेताओं को सत्ता और संगठन में स्थान देने पर अन्य मूल कार्यकर्ताओं में भी गलत संदेश जाने का डर है. खास तौर पर जो नेता और विधायक सत्ता और संगठन में जगह पाना चाहते है, उनकी नाराजगी फिर से सामने आएगी, जोकी बीजेपी के बड़े नेता नहीं चाहते.

नेताओं को सत्ता में भागीदार बनाना चाहते है सिंधिया

उपचुनाव में ग्वालियर चंबल की 16 सीटों पर चुनाव हुआ था, जिनमें से 7 सीटों पर सिंधिया समर्थकों की हार हुई. ऐसे में सिंधिया अपने आधा दर्जन नेताओं को सत्ता में लाने के लिए पद चाहते हैं. इनमें पूर्व मंत्री इमरती देवी, पूर्व मंत्री एदल सिंह कंसाना, रघुराज कंसाना, गिर्राज दंडोतिया, रणवीर सिंह जाटव, मुन्नालाल गोयल, जसवंत जाटव शामिल हैं.

ज्योतिरादित्य सिंधिया अपने 22 समर्थक विधायक के साथ भारतीय जनता पार्टी में शामिल हुए थे. उपचुनाव में उन सभी नेताओं को बीजेपी ने टिकट दिया था, लेकिन उपचुनाव में 7 विधानसभा सीटों पर सिंधिया समर्थकों की हार हुई. अब सिंधिया अपने समर्थकों को सत्ता और संगठन में एडजेस्ट कराना चाहते हैं. जानकारों के अनुसार, कुछ हद तक सहमति भी बन चुकी है, लेकिन इस पर अंतिम फैसला दिल्ली हाईकमान तय करेगा.

भोपाल। विधानसभा उपचुनाव हारने के बाद अब सिंधिया समर्थक नेता बीजेपी की सत्ता और संगठन के लिए मुसीबत बनते जा रहे है. यह नेता हर हाल में सत्ता में सक्रिय भागीदारी की जीद पर अड़े हैं. यही वजह है कि सिंधिया बार-बार दिल्ली से भोपाल का चक्कर लगा रहे हैं.

हारे हुए नेताओं को जगह देना चाहते है सिंधिया

सिंधिया अपने समर्थकों को निगम मंडल की कमान देने के साथ ही संगठन में भी भागीदारी की जिद पर अड़े हैं. यही कारण है कि ना तो प्रदेश अध्यक्ष वीडी शर्मा की टीम का विस्तार हो पा रहा है और ना ही शिवराज मंत्रिमंडल का विस्तार हो पा रहा है.

सत्ता और संगठन के लिए मुसीबत बने सिंधिया समर्थक

मध्य प्रदेश में उपचुनाव में हारे हुए सिंधिया समर्थकों का एडजस्टमेंट बीजेपी सरकार और संगठन के लिए सिरदर्द बना हुआ है. सिंधिया हाल ही में उपचुनाव हारने वाले अपने तीन समर्थक नेता इमरती देवी, गिर्राज दंडोतिया और एदल सिंह कंसाना को सत्ता में भागीदार बनाए रखने के पक्ष में हैं. वे इनको निगम मंडल की कमान दिलाना चाहते हैं, जबकि सत्ता और संगठन इन हारे हुए नेताओं की जगह निगम मंडलों में दूसरे नेताओं को मौका देने के पक्ष में है. इनमें बीजेपी के साथ-साथ सिंधिया के अन्य समर्थक के नेताओं के नाम भी शामिल हैं.

माना जा रहा है कि कुछ सिंधिया समर्थक नेताओं को मौका देने के लिए दिल्ली से पार्टी आलाकमान से चर्चा कर सकते हैं. इसी को लेकर हाल ही में सिंधिया ने मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान सहित संगठन नेताओं के साथ मंथन भी किया था. सिंधिया का यह मंथन कहीं ना कहीं अघोषित रूप से उनका, सरकार और सत्ता में स्थान देने के लिए दबाव के रूप में शक्ति प्रदर्शन भी माना जा रहा है.

हारे नेताओं को सत्ता और संगठन में स्थान मिला, तो दूसरे कार्यकर्ता होंगे नाराज

एक तरफ बीजेपी के मुखिया और सरकार के मुखिया पर सिंधिया का दबाव है, तो वहीं दूसरी तरफ उपचुनाव में हारे नेताओं को सत्ता और संगठन में स्थान देने पर अन्य मूल कार्यकर्ताओं में भी गलत संदेश जाने का डर है. खास तौर पर जो नेता और विधायक सत्ता और संगठन में जगह पाना चाहते है, उनकी नाराजगी फिर से सामने आएगी, जोकी बीजेपी के बड़े नेता नहीं चाहते.

नेताओं को सत्ता में भागीदार बनाना चाहते है सिंधिया

उपचुनाव में ग्वालियर चंबल की 16 सीटों पर चुनाव हुआ था, जिनमें से 7 सीटों पर सिंधिया समर्थकों की हार हुई. ऐसे में सिंधिया अपने आधा दर्जन नेताओं को सत्ता में लाने के लिए पद चाहते हैं. इनमें पूर्व मंत्री इमरती देवी, पूर्व मंत्री एदल सिंह कंसाना, रघुराज कंसाना, गिर्राज दंडोतिया, रणवीर सिंह जाटव, मुन्नालाल गोयल, जसवंत जाटव शामिल हैं.

ज्योतिरादित्य सिंधिया अपने 22 समर्थक विधायक के साथ भारतीय जनता पार्टी में शामिल हुए थे. उपचुनाव में उन सभी नेताओं को बीजेपी ने टिकट दिया था, लेकिन उपचुनाव में 7 विधानसभा सीटों पर सिंधिया समर्थकों की हार हुई. अब सिंधिया अपने समर्थकों को सत्ता और संगठन में एडजेस्ट कराना चाहते हैं. जानकारों के अनुसार, कुछ हद तक सहमति भी बन चुकी है, लेकिन इस पर अंतिम फैसला दिल्ली हाईकमान तय करेगा.

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