भोपाल। मध्यप्रदेश में नए पीसीसी चीफ की ताजापोशी की चर्चाओं के बीच सिंधिया खेमे ने एक बार फिर मोर्चा खोल दिया है. सिंधिया समर्थक मंत्री लगातार मांग कर रहे हैं कि प्रदेश की कमान ज्योतिरादित्य सिंधिया को सौंपी जाए. इससे पहले अगस्त-सितंबर महीने में भी प्रदेशाध्यक्ष बदले जाने की चर्चा ने तेजी से जोर पकड़ा था और इसके लिए कई दावेदार सामने आए थे. कई नेताओं की दावेदारी से कांग्रेस की गुटबाजी भी सामने आई थी, जिसे देखते हुए पार्टी आलाकमान ने फैसला टाल दिया था.
सीएम कमलनाथ अपना मत कर चुके हैं स्पष्ट
अब माना जा रहा है कि झाबुआ विधानसभा उपचुनाव के फैसले के बाद नए पीसीसी चीफ की ताजापोशी हो सकती है. इस बारे में सिंधिया समर्थकों और कांग्रेस के राष्ट्रीय प्रवक्ता पंकज चतुर्वेदी का कहना है कि सीएम कमलनाथ जब 8-9 माह पहले मुख्यमंत्री बने थे, तो उन्होंने स्पष्ट कर दिया था कि प्रदेश कांग्रेस कमेटी के दायित्व से मुक्त होना चाहते हैं.
सिंधिया समर्थकों की मांग
अध्यक्ष के रूप में कांग्रेस पार्टी का शीर्ष नेतृत्व किस को तय करता है, वह कमलनाथ सहित सभी कार्यकर्ताओं को भी स्वीकार होगा. पंकज चतुर्वेदी ने कहा कि जहां तक ज्योतिरादित्य सिंधिया का विषय है, तो हम सब जानते हैं कि उनकी जो राजनीतिक क्षमताएं हैं और जिस प्रकार की कार्यशैली है, निश्चित तौर पर हम लोगों ने पहले भी कहा है कि कमलनाथ सीएम और सिंधिया प्रदेश अध्यक्ष होंगे. यदि यह जोड़ी मध्यप्रदेश में होगी, तो मध्यप्रदेश का लाभ होगा और कांग्रेस संगठन भी सशक्त होगा.
गुटबाजी बनी थी रोड़ा
कमलनाथ के मुख्यमंत्री बनते ही मध्यप्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष बदले जाने की अटकलें तेज हो गई थीं, लेकिन कमलनाथ को मुख्यमंत्री बने 10 महीने बीत चुके हैं और वो प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष पद छोड़े जाने का अनुरोध कांग्रेस आलाकमान से कर चुके हैं. लेकिन पार्टी की गुटबाजी और दूसरे कारणों से अब तक मप्र कांग्रेस अध्यक्ष का नाम तय नहीं हो सका है.
इस वजह से टला था फैसला
इससे पहले प्रदेशाध्यक्ष के चयन को टालने के पीछे यह माना जा रहा था कि झाबुआ उपचुनाव पर प्रदेशाध्यक्ष के चयन को लेकर गुटबाजी या सियासत का कोई असर ना पड़े. सोनिया गांधी के अंतरिम अध्यक्ष बनने के बाद कांग्रेस ने जिन प्रदेशों में प्रदेशाध्यक्ष बदले जाने थे, उनमें चयन की कवायद शुरू कर दी थी. मध्यप्रदेश कांग्रेस के प्रभारी राष्ट्रीय महासचिव दीपक बावरिया ने भोपाल पहुंचकर पार्टी नेताओं और कार्यकर्ताओं से रायशुमारी भी की थी, लेकिन इस बीच ज्योतिरादित्य सिंधिया, दिग्विजय सिंह, अजय सिंह समर्थकों और आदिवासी विधायकों ने प्रदेशाध्यक्ष पद के लिए मोर्चा खोल दिया था. प्रदेशाध्यक्ष बनने के लिए मचे घमासान को देखते हुए पार्टी आलाकमान ने फैसला टालना ही बेहतर समझा था.
झाबुआ विस उपचुनाव के बाद हो सकता है पीसीसीचीफ का एलान
चर्चा सामने आई थी कि झाबुआ उपचुनाव के बाद प्रदेशाध्यक्ष पद पर नए व्यक्ति का चयन किया जाएगा. झाबुआ उपचुनाव के लिए 21 अक्टूबर को मतदान होने जा रहा है, 24 अक्टूबर को चुनाव परिणाम घोषित हो जाएगा. उम्मीद की जा रही है कि झाबुआ उपचुनाव के बाद कभी भी नए प्रदेश अध्यक्ष के नाम का ऐलान पार्टी आलाकमान कर सकती है. इस हलचल को देखते हुए सिंधिया समर्थकों ने एक बार फिर उन्हें प्रदेशाध्यक्ष बनाए जाने की मांग करना शुरू कर दी है.