भोपाल। प्रदेश में 28 सीटों पर हुए उपचुनाव के बाद अब सिंधिया समर्थक अपने पुनर्वास का इंतजार कर रहे हैं. सबको उम्मीद थी की प्रदेश कार्यकारिणी में उन्हें स्थान मिलेगा लेकिन टीम में किसी भी सिंधिया समर्थक नेताओं को जगह नहीं मिल पाई. सिंधिया समर्थक और उपचुनाव में हारे पूर्व विधायक मुन्ना लाल गोयल भी संगठन में शामिल होना चाहते थे, लेकिन खाली हाथ रहे. गोयल का कहना है कि सत्ता और संगठन में पद की लालसा सभी को होती है, उम्मीद है आगे सबको एडजस्ट किया जाएगा.
उम्मीद है आगे एडजस्ट किया जाएगा
पूर्व विधायक मुन्ना लाल गोयल उपचुनाव हारने के बाद कई बार बीजेपी के वरिष्ठ नेताओं से मिल चुके हैं. सबसे पहले तो गोयल ने पार्टी कार्यकर्ताओं पर उपचुनाव में काम नहीं करने का आरोप लगाते, हुए चुनाव हराने की बात कही थी. उसके बाद से लगातार प्रदेश कार्यालय में वरिष्ठ नेताओं से मुलाकात भी कर रहे थे.
गोयल को उम्मीद थी कि उन्हें प्रदेश कार्यकारिणी में एडजस्ट किया जाएगा लेकिन ऐसा नहीं हुआ. प्रदेश कार्यकारिणी में जगह नहीं मिलने पर मुन्नालाल गोयल का दर्द सामने आया. गोयल का कहना है कि सबको उम्मीद होती है कि वह सत्ता और संगठन में उनकी सहभागिता हो. लेकिन हाईकमान का फैसला है सब को मानना पड़ेगा.
सत्ता परिवर्तन में थी अहम भूमिका
पूर्व विधायक मुन्ना लाल गोयल की भी प्रदेश में सत्ता परिवर्तन करने में अहम भूमिका थी. गोयल ग्वालियर से विधायक थे और सिंधिया के साथ विधायक पद से इस्तीफा देकर बीजेपी में शामिल हुए थे. हालांकि उपचुनाव में हारने के बाद से ही गोयल अपने आप को स्थापित करने के लिए लड़ाई लड़ रहे हैं. अब देखना यही होगा क्या बीजेपी आने वाले समय में सिंधिया समर्थक और खास तौर से उपचुनाव हारने वाले नेताओं को संगठन में स्थान देगी या नहीं.