भोपाल। भवन में कई जगह खुली वायरिंग का उपयोग हो रहा है सरकारी दस्तावेजों को बस्तों में भरकर रखा है और उन्हें इलेक्ट्रिक फिटिंग से सटाकर रखा जा रहा है. रिनोवेशन के बाद निकले फर्नीचर और कबाड़ को सीढ़ियों पर रखा गया है. इससे आने-जाने में समस्या हो रही है. मल्टीलेवल बिल्डिंग होने के बाद भी फायर कंट्रोल के लिए राइजर सिस्टम नहीं लगाया। पूरी इमारत में तत्काल फायर कंट्रोल के लिए ट्रेंड स्टाॅफ तक नहीं है। यह लाइनें हैं उस रिपोर्ट की, जो फायर पुलिस की टीम ने वर्ष 2019 में सतपुड़ा और विंध्याचल भवन के इंजीनियर को रिपोर्ट में लिखकर भेजी थी. ऐसा 12 साल में 4 बार निरीक्षण करके बताया गया और हर लिखा कि NBC को लागू करिए लेकिन लापरवाही इंजीनियर्स इन सुझावों पर बिलकुल भी ध्यान नहीं दिया. इसी लापरवाही का नतीजा यह हुआ कि 12 जून 2023 को सतपुड़ा भवन एक छोटी सी चिंगारी लगते ही सुलग उठा.
ETV Bharat के पास फायर पुलिस की वह पूरी रिपोर्ट है, जिसमें मप्र की विधानसभा, वल्लभ भवन, विंध्याचल और सतपुड़ा भवन के फायर सिस्टम को लेकर खामियां बताई गई और लिखा कि क्या सुधार करने चाहिए. इस मामले में राजधानी परियोजना प्रशासन (CPA) के रिटायर्ड इंजीनियर्स से बात की तो उन्होंने नाम न प्रकाशित करने के अनुरोध पर बताया कि हमने तो सामान्य प्रशासन विभाग को लिखकर दे दिया था, उन्होंने विभागवार बजट दे दिया, लेकिन कभी फायर सिस्टम का बजट अलॉट नहीं किया. ऐसे ही वर्तमान में मेंटनेंस का काम देख रहे लोक निर्माण विभाग (PWD) के इंजीनियर इन चीफ (ENC) आरके मेहरा से पूछा तो बोले कि मेरे सामने रिपोर्ट नहीं आई, लेकिन जिम्मेदारी हमारी नहीं है.
12 साल में 4 बार बताई खामियां और दिए सुझाव: सतपुड़ा भवन को लेकर भले ही आखिरी बार 2019 में रिपोर्ट भेजी गई हो, लेकिन ऐसा 13 साल में 4 बार हुआ, जब National Building Code (NBC) Part 4 के नियमों को लागू करने के लिए पुलिस फायर विंग ने रिकमंडेशन दी थी. यदि सिर्फ 2019 की ही बात करें तो सतपुड़ा और विंध्याचल भवन की जांच के लिए तीन सदस्यीय कमेटी बनाई गई थी. इस कमेटी में पुलिस फायर स्टेशन के सब इंस्पेक्टर, पुलिस फायर स्टेशन पीथमपुर धार और पुलिस फायर ब्रिगेड इंदौर के सब इंस्पेक्टर शामिल थे अप्रैल 2019 में यह निरीक्षण किया गया था.
रिपोर्ट में लिखा है कि निरीक्षण से पहले सब इंजीनियर पालीवाल से इस संबंध में चर्चा की गई थी. पालीवाल के निर्देश पर उनके सहायक सुभाष द्वारा सतपुड़ा और विंध्याचल भवन का निरीक्षण कराया गया. रिपोर्ट में बताया गया कि दोनों भवन व्यवसायिक बहुमंजिला भवन है, जो लगभग 7518.23 वर्गमीटर भूखण्ड पर निर्मित है दोनों को एक तरह से बनाया गया है. निरीक्षण के दौरान दोनों ही भवनों में 10 तरह की खामियां मिली थी. इसके बाद इनमें सुधार करने के लिए 5 बड़े सुझाव भी दिए थे. यह भी लिखा कि दोनों ही भवन की विस्तृत आडिट रिपोर्ट बनवाने के लिए अधिकृत फायर इंजीनियर्स/फायर कंसल्टेंट से अभिमत लिया जाए। इन अमल नहीं हुआ और जब आग लगी तो तेजी से फैल गई.
👉 इन 10 बातों पर अफसरों ने अमल किया होता तो नहीं सुलगता सतपुड़ा भवन- यथा स्थान निश्चित क्षेत्रों में फायर एक्सटिंग्विशर स्थापित कराया जाना चाहिए.
- निर्धारित दूरियों पर प्रत्येक तल पर हौज रील स्थापित कराया जाना जरूरी है.
- भवन में सीढियों पर राईजर सिस्टम स्थापित कराया जाना है.
- भवन के चारों ओर बाहर की तरफ - यार्ड हायड्रेंट स्थापित कराया जाना.
- बैसमेंट में स्टोर रूम एवं आवश्यक स्थलों पर स्प्रिंकलर सिस्टम स्थापित कराया जाना.
- निर्धारित स्थलों पर मैन्युल ऑपरेटेड इलेक्ट्रिक फायर अलार्म सिस्टम स्थापित कराया जाना.
- ऑटोमेटिक डिटेक्शन एवं अलार्म सिस्टम स्थापित कराया जाना.
- यार्ड हायड्रेंट, राईजर तथा स्प्रिंकलर के लिए केवल अग्नि शमन हेतु लगभग 2 लाख लीटर क्षमता का अंडरग्राउंड वाटर टैंक तथा 20 हजार लीटर का एक टैंक टैरेस पर स्थापित कराया जाना.
- अंडरग्राउंड वाटर टैंक के साथ फायर पंप हाउस स्थापित किया जाना, जिसमें 2850 लीटर प्रति मिनिट क्षमता का 01 इलेक्ट्रिकल तथा 01 डीजल पंप तथा एक 180 लीटर प्रति मिनिट क्षमता का जोकी पंप स्थापित कराया जाना चाहिए.
- उपरोक्त व्यवस्थाओं के संचालन के लिए भवन में एक फायर कमांड कंट्रोल स्टेशन स्थापित किया जाना, जिससे तत्कालिक रूप से अग्नि दुर्घटना की सूचना प्राप्त होने पर अग्नि दुर्घटना को प्राथमिक अवस्था में ही शमन किया जा सके.
यह सुझाव भी नहीं माने - समस्त अधिकारियों/कर्मचारियों को आगजनी की स्थिति से निपटने के लिए फायर सिस्टम की पूरी जानकारी देने के लिए ट्रेंड जाना जरूरी है.
- भवन में काम करने वाले सभी अधिकारियों एवं कर्मचारियों के ऊपर पूरी तरह से स्माेक करने पर बैन लगाया जाना चाहिए.
- एक समिति बनाकर भवन के सभी नए उपकरणों मशीनरी आदि की मॉनीटरिंग कराई जाए। हर 6 महीने में भवन के भीतर लगे फायर सिस्टम की रेंडमली जांच की जाए.
- विद्युत पाइंटों पर क्षमता से अधिक लोड़ नहीं रखा जावे। इस बारे में विद्युत अभियंता से परीक्षण कराया जावे, क्योंकि अधिकांशतः विद्युत शार्ट सर्किट से अग्निदुर्घटनाएं घटित होती हैं
- निरीक्षण में यह पाया गया कि सामग्री आदि विद्युत स्विच बोर्ड आदि के पास सटाकर रखी हुई हैं. स्पार्किंग आदि के कारण के उक्त सामग्री में कभी भी आग लग सकती है अतः उक्त सामग्री को विद्युत स्विच बोर्ड से उचित दूरी पर संधारित करवाया जाना प्रस्तावित है.
- अग्निरोधी उपचारभवन में स्थापित परदे, कपड़े, फर्नीचर आदि में शीघ्र ही आग न पकड़े इस हेतु निम्नानुसार उपाय किये जाना
- भवन में स्थापित लकड़ी के फर्नीचरों को अग्निरोधी पेंट से उपचारित किया जावे.
- कपड़े/पर्दे/ सोफे के कपड़ों को अग्निरोधी घोल से उपचारित किया जावे.