भोपाल। रूस-यूक्रेन संकट का असर अब वैश्विक बाजार और मार्केट में भी दिखने लगा है. कोरोना महामारी के चलते बेपटरी हुई स्पलाई चेन फिर से पटरी पर लौट ही रही थी कि यूक्रेन और रूस के बीच जारी युद्ध ने इस पर फिर से विराम लगा दिया. युद्ध के कारण इंपोर्ट में भारी कमी आई, जिससे महंगाई का स्तर फिर से बढ़ने लगा है. 4 दिन पहले 2 हजार रुपए प्रति क्विंटल बिकने वाला गेहूं 2300 रुपए प्रति क्विंटल हो गया. रूस से इम्पोर्ट होने वाला स्टील रॉ मटेरियल और सन फ्लावर सीड्स के आवक में भी भारी कमी आई है. (russia crisis on business)
ड्राय फ्रूट्स, खड़े मसालों के भी बढ़े दाम
देश में फिलहाल तक ईरान से पिस्ता और अफगानिस्तान से अन्य ड्राय फ्रूट्स इम्पोर्ट होता था, लेकिन इन दिनों शिपिंग मैनेजमेंट बिगड़ने और तीन गुना तक चार्ज बढ़ने से इसका असर इंदौर के व्यापार पर भी हुआ है. ड्राय फ्रूट्स और खड़े मसाले में 2 प्रतिशत तक की वृद्धि हुई है. ऐसा अनुमान लगाया जा रहा है कि आने वाले दिनों में इनकी कीमतें 10 से 20 प्रतिशत तक बढ़ सकती हैं.
पिग आयरन की उपलब्धता कम, दाम ज्यादा
पिग आयरन का उपयोग कास्टिंग व मोल्डिंग के लिए ऑटो मोबाइल, रेलवे सहित कई आइटम्स में किया जाता है. इंदौर के औद्योगिक क्षेत्रों में बड़ी मात्रा में स्टील का इम्पोर्ट किया जाता है, जिसकी कीमत 30 से 35 रुपये हुआ करती थी. युद्ध छिड़ने के बाद इसमें 40 से 200 प्रतिशत की बढ़ोतरी हुई है. इनके दाम बढ़कर 67 से 72 रुपए प्रति किलो हो गए हैं. इसकी उपलब्धता भी पहले के मुकाबले बहुत कम हो गई है. (Ukraine war reduced imports).
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500 रुपये और महंगा हो सकता है गेहूं
भारत से तेजी से गेहूं एक्सपोर्ट हो रहा है, लेकिन इंपोर्ट में कमी आई है. चार दिन पहले गेहूं 2 हजार रुपए प्रति क्विंटल बिक रहा था, जो अब 2300 रुपए प्रति क्विंटल पर पहुंच गया है. अनुमान लगाया जा रहा है कि अगले हफ्ते इसमें 500 रुपए तक का इजाफा हो सकता है. खास बात यह है कि गेहूं जन-जन का मुद्दा है. लोग मार्च-अप्रैल में घरों में थोक में गेहूं भरवाना शुरू कर देते हैं. ऐसे में आने वाले दिनों में उनका बजट बिगड़ सकता है.
फूड प्रोसेसिंग आइटम्स के दामों में भी बढ़त
युद्ध से यूक्रेन से इम्पोर्ट होने वाला सनफ्लावर सीड्स पर भी काफी असर हुआ है. ऐसे में खाद्य तेल की कीमतों में और बढ़ोतरी होने की संभावना है. इसके अलावा फूड प्रोसेसिंग से जुड़े आइटम भी अब जल्द ही महंगे हो सकते हैं. युद्ध से दूसरे देशों से इम्पोर्ट होने वाले आइटम की कीमतों में भी इजाफा होगा.