भोपाल। राजधानी में राइट टू हेल्थ कॉन्क्लेव का आयोजन हुआ, जिसमें क्षेत्र से जुड़े कई विशेषज्ञों ने भाग लिया था. राइट टू हेल्थ के बारे में सेंटर फॉर इक्विटी स्टडीज के डायरेक्टर हर्ष मंदर का कहना है कि सबसे जरूरी यह सुनिश्चित करना है कि अधिकार या सुविधा तबके के आखिरी व्यक्ति तक पहुंचे.
कार्यक्रम में सभी ने अपनी राय स्वास्थ्य विभाग के सामने रखी. हर्ष मंदर ने बताया कि मध्यमवर्ग अब सरकारी अस्पताल या स्कूलों की सुविधाओं पर निर्भर नहीं है. सभी निजी क्षेत्र की सुविधाएं ही लेते हैं. इसलिए अभी यह कल्पना करना कि स्वास्थ्य का अधिकार समाज के आखिरी व्यक्ति को भी मिले थोड़ा मुश्किल है हालांकि राइट टू हेल्थ का यह कदम सराहनीय है, लेकिन इसमें अभी भी कई तरह के सवाल हैं.
निजी क्षेत्र पर इसकी जिम्मेदारी देना इससे असहमति है. क्योंकि यूके में भी इस तरह से पहले सेवाओं की जिम्मेदारी निजी क्षेत्रों को दी गई थी, लेकिन अब कई संस्थाएं इस बात की आलोचना कर रही है. सरकार को स्वास्थ्य व्यवस्थाओं को बहुत मजबूत करने की जरूरत है.