ETV Bharat / state

राइट टू हेल्थ कॉन्क्लेव का हुआ आयोजन, स्वास्थ्य सुविधा को बढ़ावा देने विशेषज्ञों ने दी टिप्पणी

राजधानी में राइट टू हेल्थ कॉन्क्लेव क्षेत्र से जुड़े कई विशेषज्ञों ने अपनी राय स्वास्थ्य विभाग के सामने रखी. देश में स्वास्थ्य सुविधा को बढ़ावा देने के लिए सभी कई अहम पहलुओं को स्वास्थ्य विभाग के सामने रखा.

author img

By

Published : Nov 3, 2019, 7:04 PM IST

राइट टू हेल्थ कॉन्क्लेव का हुआ आयोजन

भोपाल। राजधानी में राइट टू हेल्थ कॉन्क्लेव का आयोजन हुआ, जिसमें क्षेत्र से जुड़े कई विशेषज्ञों ने भाग लिया था. राइट टू हेल्थ के बारे में सेंटर फॉर इक्विटी स्टडीज के डायरेक्टर हर्ष मंदर का कहना है कि सबसे जरूरी यह सुनिश्चित करना है कि अधिकार या सुविधा तबके के आखिरी व्यक्ति तक पहुंचे.

राइट टू हेल्थ कॉन्क्लेव का हुआ आयोजन


कार्यक्रम में सभी ने अपनी राय स्वास्थ्य विभाग के सामने रखी. हर्ष मंदर ने बताया कि मध्यमवर्ग अब सरकारी अस्पताल या स्कूलों की सुविधाओं पर निर्भर नहीं है. सभी निजी क्षेत्र की सुविधाएं ही लेते हैं. इसलिए अभी यह कल्पना करना कि स्वास्थ्य का अधिकार समाज के आखिरी व्यक्ति को भी मिले थोड़ा मुश्किल है हालांकि राइट टू हेल्थ का यह कदम सराहनीय है, लेकिन इसमें अभी भी कई तरह के सवाल हैं.


निजी क्षेत्र पर इसकी जिम्मेदारी देना इससे असहमति है. क्योंकि यूके में भी इस तरह से पहले सेवाओं की जिम्मेदारी निजी क्षेत्रों को दी गई थी, लेकिन अब कई संस्थाएं इस बात की आलोचना कर रही है. सरकार को स्वास्थ्य व्यवस्थाओं को बहुत मजबूत करने की जरूरत है.

भोपाल। राजधानी में राइट टू हेल्थ कॉन्क्लेव का आयोजन हुआ, जिसमें क्षेत्र से जुड़े कई विशेषज्ञों ने भाग लिया था. राइट टू हेल्थ के बारे में सेंटर फॉर इक्विटी स्टडीज के डायरेक्टर हर्ष मंदर का कहना है कि सबसे जरूरी यह सुनिश्चित करना है कि अधिकार या सुविधा तबके के आखिरी व्यक्ति तक पहुंचे.

राइट टू हेल्थ कॉन्क्लेव का हुआ आयोजन


कार्यक्रम में सभी ने अपनी राय स्वास्थ्य विभाग के सामने रखी. हर्ष मंदर ने बताया कि मध्यमवर्ग अब सरकारी अस्पताल या स्कूलों की सुविधाओं पर निर्भर नहीं है. सभी निजी क्षेत्र की सुविधाएं ही लेते हैं. इसलिए अभी यह कल्पना करना कि स्वास्थ्य का अधिकार समाज के आखिरी व्यक्ति को भी मिले थोड़ा मुश्किल है हालांकि राइट टू हेल्थ का यह कदम सराहनीय है, लेकिन इसमें अभी भी कई तरह के सवाल हैं.


निजी क्षेत्र पर इसकी जिम्मेदारी देना इससे असहमति है. क्योंकि यूके में भी इस तरह से पहले सेवाओं की जिम्मेदारी निजी क्षेत्रों को दी गई थी, लेकिन अब कई संस्थाएं इस बात की आलोचना कर रही है. सरकार को स्वास्थ्य व्यवस्थाओं को बहुत मजबूत करने की जरूरत है.

Intro:भोपाल- राइट टू हेल्थ कॉन्क्लेव में क्षेत्र से जुड़े कई विशेषज्ञों ने भाग लिया था जिन्होंने इस बारे में अपनी अपनी राय स्वास्थ्य विभाग के सामने रखी।
राइट टू हेल्थ के बारे में सेंटर फॉर इक्विटी स्टडीज के डायरेक्टर हर्ष मंदर का कहना है कि यदि हम स्वास्थ्य के अधिकार की बात करते हैं तो सबसे जरूरी है कि हम यह सुनिश्चित करें कि अधिकार या सुविधा तबके के आखिरी व्यक्ति तक पहुंचे पर फिलहाल ऐसी स्थिति नजर नहीं आ रही है।


Body:चूंकि इसमें जिम्मेदारी निजी क्षेत्र को देने के बाद सरकार कर रही है पर इससे शायद ही जनता को लाभ मिले।
मध्यमवर्ग अब सरकारी अस्पताल या स्कूलों की सुविधाओं पर निर्भर नहीं है हम सभी निजी क्षेत्र की सुविधाएं ही लेते हैं इसलिए अभी यह कल्पना करना कि स्वास्थ्य का अधिकार समाज के आखिरी व्यक्ति को भी मिले थोड़ा मुश्किल है।
हालांकि राइट टू हेल्थ का यह कदम सराहनीय है पर इसमें अभी भी कई तरह के सवाल है।


Conclusion:निजी क्षेत्र पर इसकी जिम्मेदारी देना इससे असहमति है क्योंकि यूके में भी इस तरह से पहले सेवाओं की जिम्मेदारी निजी क्षेत्रों को दी गई थी पर अब कई संस्थाएं इस बात की आलोचना कर रही है।
सरकार को स्वास्थ्य व्यवस्थाओं को बहुत मजबूत करने की जरूरत है।
सरकार कभी भी राइट टू हेल्थ नहीं करेंगी,राइट टू हेल्थ केअर ही करेंगी।

बाइट- हर्ष मन्दर
निदेशक, सेंटर फॉर इक्विटी स्टडीज
ETV Bharat Logo

Copyright © 2024 Ushodaya Enterprises Pvt. Ltd., All Rights Reserved.