भोपाल। मध्यप्रदेश सरकार ने जिला और जनपद पंचायत के प्रतिनिधियों के विवेकाधीन कोटे पर रोक लगा दी है. पंचायत एवं ग्रामीण विकास मंत्री कमलेश्वर पटेल ने कहा कि सरकार नई नीति के तहत इसे फिर से लागू करेगी.
पंचायती विभाग ने सभी कलेक्टरों को साथ-साथ जिला और जनपद पंचायत के सीईओ को पत्र लिखकर कहा है विवेकाधानी कोटे से मिलने वाली राशि को न निकाला जाए और न ही इसे खर्च किया जाए. यदि निधि से कोई काम स्वीकृति हो गए हैं तो उन्हें शुरू न किया जाए.
बता दें कि राज्य वित्त आयोग के माध्यम से सरकार जिला एवं जनपद पंचायत के प्रतिनिधियों को विवेकाधीन के तौर पर देती है. सरकार ने फरवरी माह में ही पंचायत प्रतिनिधियों की निधि में बढ़ोतरी की थी. फरवरी में पंचायत प्रतिनिधियों की मांग पर जिला पंचायत के अध्यक्ष की निधि 25 से बढ़ाकर 50 लाख की गई थी. वहीं उपाध्यक्ष की 15 से 25 लाख और सदस्य की 10 से 15 लाख की गई थी. बताया जा रहा है कि जनप्रतिनिधि इस राशि से ऐसे कामों की स्वीकृति दे रहे थे जो दूसरी योजनाओं में शामिल है.
दरअसल, पंचायत प्रतिनिधियों को विवेकाधीन कोटे की राशि इसलिए दी जाती है. ताकि वे अपने विवेक से उस स्थान पर भी विकासकार्य करवा सकते हैं. जहां उन्हें विकास कार्य की जरुरत महसूस होती है. लेकिन सरकार ने फिलहाल इस पर रोक लगा दी है.