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पंचायतों के विवेकाधीन कोटे पर लगी रोक, मंत्री कमलेश्वर पटेल ने कहा-नई नीति के साथ दोबारा करेंगे लागू

मध्यप्रदेश सरकार ने जिला और जनपद पंचायत के प्रतिनिधियों के विवेकाधीन कोटे पर रोक लगा दी है. पंचायत मंत्री कमलेश्वर पटेल कहा कि अभी सरकार के पास खर्चा ज्यादा है. इसलिए इस योजना को नए सिरे से लागू किया जाएगा.

पंचायतों के विवेकाधीन कोटे पर लगी रोक
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Published : Sep 25, 2019, 12:00 AM IST

भोपाल। मध्यप्रदेश सरकार ने जिला और जनपद पंचायत के प्रतिनिधियों के विवेकाधीन कोटे पर रोक लगा दी है. पंचायत एवं ग्रामीण विकास मंत्री कमलेश्वर पटेल ने कहा कि सरकार नई नीति के तहत इसे फिर से लागू करेगी.

पंचायतों के विवेकाधीन कोटे पर लगी रोक

पंचायती विभाग ने सभी कलेक्टरों को साथ-साथ जिला और जनपद पंचायत के सीईओ को पत्र लिखकर कहा है विवेकाधानी कोटे से मिलने वाली राशि को न निकाला जाए और न ही इसे खर्च किया जाए. यदि निधि से कोई काम स्वीकृति हो गए हैं तो उन्हें शुरू न किया जाए.

बता दें कि राज्य वित्त आयोग के माध्यम से सरकार जिला एवं जनपद पंचायत के प्रतिनिधियों को विवेकाधीन के तौर पर देती है. सरकार ने फरवरी माह में ही पंचायत प्रतिनिधियों की निधि में बढ़ोतरी की थी. फरवरी में पंचायत प्रतिनिधियों की मांग पर जिला पंचायत के अध्यक्ष की निधि 25 से बढ़ाकर 50 लाख की गई थी. वहीं उपाध्यक्ष की 15 से 25 लाख और सदस्य की 10 से 15 लाख की गई थी. बताया जा रहा है कि जनप्रतिनिधि इस राशि से ऐसे कामों की स्वीकृति दे रहे थे जो दूसरी योजनाओं में शामिल है.

दरअसल, पंचायत प्रतिनिधियों को विवेकाधीन कोटे की राशि इसलिए दी जाती है. ताकि वे अपने विवेक से उस स्थान पर भी विकासकार्य करवा सकते हैं. जहां उन्हें विकास कार्य की जरुरत महसूस होती है. लेकिन सरकार ने फिलहाल इस पर रोक लगा दी है.

भोपाल। मध्यप्रदेश सरकार ने जिला और जनपद पंचायत के प्रतिनिधियों के विवेकाधीन कोटे पर रोक लगा दी है. पंचायत एवं ग्रामीण विकास मंत्री कमलेश्वर पटेल ने कहा कि सरकार नई नीति के तहत इसे फिर से लागू करेगी.

पंचायतों के विवेकाधीन कोटे पर लगी रोक

पंचायती विभाग ने सभी कलेक्टरों को साथ-साथ जिला और जनपद पंचायत के सीईओ को पत्र लिखकर कहा है विवेकाधानी कोटे से मिलने वाली राशि को न निकाला जाए और न ही इसे खर्च किया जाए. यदि निधि से कोई काम स्वीकृति हो गए हैं तो उन्हें शुरू न किया जाए.

बता दें कि राज्य वित्त आयोग के माध्यम से सरकार जिला एवं जनपद पंचायत के प्रतिनिधियों को विवेकाधीन के तौर पर देती है. सरकार ने फरवरी माह में ही पंचायत प्रतिनिधियों की निधि में बढ़ोतरी की थी. फरवरी में पंचायत प्रतिनिधियों की मांग पर जिला पंचायत के अध्यक्ष की निधि 25 से बढ़ाकर 50 लाख की गई थी. वहीं उपाध्यक्ष की 15 से 25 लाख और सदस्य की 10 से 15 लाख की गई थी. बताया जा रहा है कि जनप्रतिनिधि इस राशि से ऐसे कामों की स्वीकृति दे रहे थे जो दूसरी योजनाओं में शामिल है.

दरअसल, पंचायत प्रतिनिधियों को विवेकाधीन कोटे की राशि इसलिए दी जाती है. ताकि वे अपने विवेक से उस स्थान पर भी विकासकार्य करवा सकते हैं. जहां उन्हें विकास कार्य की जरुरत महसूस होती है. लेकिन सरकार ने फिलहाल इस पर रोक लगा दी है.

Intro:भोपाल. मध्य प्रदेश सरकार ने जिला और जनपद पंचायत के प्रतिनिधियों के विवेकाधीन कोटे पर सरकार ने रोक लगा दी है. सरकार ने फरवरी माह में ही पंचायत प्रतिनिधियों की निधि में बढ़ोतरी की थी. पंचायत एवं ग्रामीण विकास मंत्री कमलेश्वर पटेल के मुताबिक सरकार नए सिरे से इस राशि के उपयोग के लिए प्राथमिकताएं तय करने जा रही है. उनका कहना है कि सरकार के सामने बाढ़ और भारी बारिश से प्रभावित किसानों की मदद करना पहली प्राथमिकता है.


Body:राज्य वित्त आयोग के माध्यम से प्राप्त राशि को सरकार जिला एवं जनपद पंचायत के अध्यक्ष उपाध्यक्ष और सदस्यों को विवेकाधीन नदी के तौर पर देती है फरवरी में पंचायत प्रतिनिधियों की मांग पर जिला पंचायत के अध्यक्ष की निधि 25 से बढ़ाकर 50 लाख की गई है वहीं उपाध्यक्ष की 15 से 25 लाख और सदस्य की 10 से 15 लाख की गई थी. लेकिन अब पंचायत विभाग ने सभी कलेक्टर जिला एवं जनपद पंचायत के सीईओ को पत्र लिखकर कहा है कि इस राशि को ना निकाला जाए और ना ही खर्च किया जाए और यदि निधि से कोई काम स्वीकृति हो गए हैं तो उन्हें शुरू न किया जाए. बताया जा रहा है कि जनप्रतिनिधि मनमर्जी से इस राशि का उपयोग कर रहे थे. जनप्रतिनिधि इस राशि से ऐसे कामों की स्वीकृति दे रहे थे जो दूसरी योजनाओं में शामिल है इससे ना सिर्फ कामा का दोहरा हो रहा था बल्कि सरकार की मंशा भी पूरी नहीं हो पा रही थी. अब सरकार नए सिरे से इस राशि के उपयोग के लिए प्राथमिकता तय करेगी. पंचायत एवं ग्रामीण विकास मंत्री कमलेश्वर पटेल के मुताबिक नियमों में संशोधन करके जल्द ही इसे लागू किया जाएगा. उनका कहना है कि सरकार बाढ़ पीड़ित किसानों की मदद करना सरकार की पहली प्राथमिकता है उसके बाद ही बाकी मुद्दों पर ध्यान दिया जाएगा .


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