भोपाल। राजधानी भोपाल की एकमात्र आदिवासी पंचायत केकड़िया धर्मांतरण मामले को लेकर सुर्खियों में छाया हुआ है. गांव के आदिवासियों को एकत्रित कर हिंदू धर्म के प्रति गलत बातें बताकर और लालच देकर ईसाई धर्म स्वीकारने पर मजबूर जानें का मामला सामने आया था. जिसके बाद कुछ हिंदू संगठनों के गांव में जानें पर ईसाई धर्म के प्रचारक हीरालाल जामोद व अन्य लोगों के विरोध का सामना करना पड़ा था. मामले में कई लोगों पर पुलिस ने FIR भी दर्ज की है. इसी मामले में ETV BHARAT के संवाददाता ने गांव और आदिवासी परिवार हीरालाल जामोद के घर पहुंचकर की पड़ताल की ,जिसमें कई चौंकाने वाले तथ्य सामने आए हैं.
धर्म नहीं छोड़ा केवल प्रार्थना करते हैं: धर्मांतरण मामले में आरोपी बनाए गए हीरालाल जामोद की मां गुड्डी बाई ने बताया कि हम नहीं जानते कि बागेश्वर महाराज कौन हैं? हमें तो प्रभु ईसा मसीह की प्रार्थना से शांति मिलती है. हमने कोई धर्म थोड़े ही छोड़ा है केवल प्रार्थना करते हैं. यह जवाब उन्होंने ईटीवी भारत संवाददाता के उस सवाल के जवाब में दिया, जिसमें पूछा कि समस्याओं का समाधान तो बागेश्वर धाम में भी हो जाता है, फिर ईसा की शरण में क्यों गई? इस पूरे मामले में गुड्डी बाई ने मुखर होकर अपनी बात कही और यह भी माना कि हमारे बेटे ने हमें यह प्रार्थना सिखाई, लेकिन धर्म नहीं बदला. आज भी हम अपने पीर महाराज के यहां राखी चढ़ाते हैं और उन्हें पूजते हैं.
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घर में नहीं था एक भी पूजन स्थल: जिस घर के भीतर की तस्वीरें वायरल हुई, वहां एक भी स्थान पर पूजा या धार्मिक चिन्ह का नामोनिशान तक नहीं था. सिर्फ एक पोस्टर लगा था, जिस पर लिखा था कि “तेरी शहरपनाह के भीतर शांति और तेरे महलों में कुशल होवे”. इसके अलावा वहां सिर्फ खाने पीने की चीजें थी पूरा परिवार खेती बाड़ी का काम करता है.
इंदौर से सीखी प्रार्थना: आरोपी हीरालाल कुछ साल पहले इंदौर गया था. वहां से प्रार्थना के तौर तरीके सीखकर आया और बीते 5 साल से वह प्रार्थना करवा रहा था. दो बार पहले भी विवाद हो चुका है. इस बार बड़ा मामला सामने आया. बड़ी बात यह है कि प्रार्थना करने और कराने वाले दोनों ही आदिवासी समाज के लोग थे. जब गुड्डी बाई से पूछा कि कब से वे यह प्रार्थना कर रही हैं तो उन्होंने बताया कि उनका बेटा इंदौर गया था. उसने पहले सीखा और फिर हमें सिखाया लेकिन किसी को नहीं बुलाया. आरोपों को लेकर बोली कि हमारे गांव के कुछ लोग जमीन हथियाना चाहते हैं, इसलिए वे हमें फंसा रहे हैं.
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गांव में लगा चेतावनी बोर्ड: केकड़िया गांव शहर से करीब 20 किलोमीटर दूर है और भोपाल जिले की एकमात्र आदिवासी पंचायत है. इस पंचायत का सरपंच आदिवासी और युवा है. पंचायत में कुल 7 गांव शामिल हैं और यह बावड़ियों के लिए फेमस है. यह पंचायत मध्य प्रदेश की हुजूर विधानसभा में आती है. यहां भाजपा से रामेश्वर शर्मा विधायक हैं. केकड़िया गांव इतना संवेदनशील है कि इसमें जाने से पहले ही एक बोर्ड मिलता है, जिस पर ईसाई मिशनरी के प्रवेश पर प्रतिबंध वाली चेतावनी लिखी है.