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भ्रष्टाचार पर मुखर बोलीं बसपा विधायक रामबाई, कहा- रिश्वत कोई खत्म नहीं कर पाया, देखें Rambai Special Interview - रामबाई इंटरव्यू

रामबाई पूर्व मुख्यमंत्री कमलनाथ को दादा मानती हैं और सीएम शिवराज के बारे में कहती हैं वे उनसे इतनी जुड़ी नहीं हैं. बसपा विधायक रामबाई ने ईटीवी भारत के ब्यूरो चीफ विनोद तिवारी से खास बातचीत में कहा कि वे बसपा में ही रहेंगी और बसपा से ही चुनाव लड़ेंगी. (rambai interview)

Rambai Special Interview
रामबाई इंटरव्यू
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Published : Nov 13, 2021, 11:20 AM IST

Updated : Nov 13, 2021, 11:32 AM IST

भोपाल। मप्र की पथरिया विधानसभा क्षेत्र से विधायक और बसपा की तेजतर्रार नेता रामबाई का कहना है कि हर जगह भ्रष्टाचार है, रिश्वत पर कोई लगाम नहीं लगा पाया है. हर जगह चपरासी से लेकर अधिकारी तक रिश्वत ले रहे हैं. रामबाई पूर्व मुख्यमंत्री कमलनाथ को दादा मानती हैं और सीएम शिवराज के बारे में कहती हैं वे उनसे इतनी जुड़ी नहीं हैं. बसपा विधायक रामबाई ने ईटीवी भारत के ब्यूरो चीफ विनोद तिवारी से खास बातचीत में कहा कि वे बसपा में ही रहेंगी और बसपा से ही चुनाव लड़ेंगी. दलबदल मेरे दिलोदिमाग में नहीं है. यही मेरी मजबूती है. (rambai interview)

रामबाई इंटरव्यू.

सवाल- किस तरह से आप अपने क्षेत्र को संभालती हैं क्योंकि मध्यप्रदेश में बहुजन समाज पार्टी के विधायकों की संख्या ज्यादा नहीं है ?
जवाब- संभालती तो मैं अच्छे से हूं. पथरिया विधानसभा की जनता के लिए जो समस्या आती है उसका समाधान करती हैं. जब से जनप्रतिनिधि बनी हूं, तब से लगातार क्षेत्र में जनता के प्रति हमेशा सजग रही हूं. बल्कि मेरे यहां किसी भी विधानसभा के लोग आ जाते हैं, तो मैं सबकी सुनती हूं.

सवाल- लोग बताते हैं कि आप बहुत तेज तर्रार हैं और कई बार अधिकारी आपसे किनारा कर लेते हैं ?
जवाब- जो गलत करता है, वह किनारा करता है. जो सही होता है, वह सामना करता है. मैं तो सही के साथ हूं और जो सत्य है, वही बोलती हूं. अधिकारी, जो किनारा करते हैं वह गलत होते हैं.

सवाल- आपने एक बात बोली थी कि थोड़ा बहुत रिश्वत ले ली जाए तो चलती है, लेकिन ज्यादा नहीं लेना चाहिए ?
जवाब- आपने पूरी बाइट सुनी नहीं है, शायद! मैनें बोला था कि इन गरीबों से दस-दस, 8-8 हजार रुपए क्यों लिए. आपको ऐसा नहीं लेना चाहिए. अगर कोई आपको स्वेच्छा से हजार-पांच सौ रुपए देता है, तो वो आटे में नमक बराबर चलता है. यहा मैंने बोला था. आपसे पूछती हूं कि भारत में एक भी विभाग, एक अधिकारी, कर्मचारी और सचिव से लेकर चपरासी तक बता दो जिसने पैसे न लिए हों. है कोई ऐसा.

सवाल- मतलब रिश्वत व्यवहार बन गई है. हम ऐसा मानें ?
जवाब- सदियों से आज की बात थोड़ी है. कोई लगाम लगा पाया क्या ? मैं तो फिर भी आज बोलती हूं और कल भी बोलूंगी कि गरीब आदमी को छोड़े. आपसे सब जुड़े हैं, बैलेंस बना रहे. अमीर-गरीब सब जुड़े हैं. आप भले ही ये बोलें कि रामबाई ने रिश्वत को बढ़ावा दिया है, लेकिन रिश्वत खत्म हुई कहां है. चैनल वाले आप हैं, तो क्या आपको भी पैसे लगते होंगे ? मैं सच्चाई से वाकिफ हूं.

सवाल- ऐसा कभी कोई मौका आया कि जब आपको रिश्वत देना पड़ी हो ?
जवाब- ऐसा मौका तो कभी नहीं आया है. मेरे क्षेत्र में जो मेरा विधायक निधि है और जो गौण खनिज की राशि रहती है. अधिकारियों से मैं स्पष्ट बोल देती हूं कि ये मेरी निधि है. ये मैनें सरपंचों की दी है. इसमें आप कोई कमीशन नहीं लेगें. सरपंचों और इंजीनियरों से भी बोल दिया है कि कोई भी इसमें से पैसा लेगा तो ठीक नहीं होगा. मैं बोलती हूं कि मुझे ऐसा काम चाहिए कि दसों साल तक इसमें आंच न आए. गुणवत्ता पूर्ण काम चाहिए.

सवाल- एमपी में खाद संकट रहा. आपने कोई दबाव सरकार पर बनाया कि रैक आए. बीजेपी के नेता रैक के लिए श्रेय ले रहे हैं. आप कह रही हैं आपके कारण रैक आई. असलियत क्या है इसकी ?
जवाब- देखिए जब खाद की समस्या थी, तब मैं अस्पताल में भर्ती थी. मेरी स्थिति ऐसी थी कि मैं चल भी नहीं पाती थी, लेकिन फोन बहुत आते थे. फिर मैंने भोपाल में चौहान साहब से बात कीं. मैंने उनसे हाथ जोड़कर निवेदन किया कि मेरे यहां एक रैक जरूर लगवा दें. वरना! जनता रोड पर बैठ जाएगी. मजबूरन मुझे भी उनके साथ बैठना पड़ेगा. उन्होंने कहा था कि मेरे वचन हैं आपसे, एक-दो दिन में रैक लग जाएगी. जब एक-दो दिन के अंदर रैक लगी तो मैनें उसका वीडियो भी जारी किया था. अब अगर कोई बोल रहा है कि मैनें रैक लगवाई हैं, तो मैं तो बोलती हूं किसी ने भी लगवाईं हों. चलो, बीजेपी वाले बोल रहे हों कि उन्होंने लगवाई हैं, तो मुझे संतुष्टि इस बात की है कि किसानों तक खाद पहुंच गया. बीजेपी को सारा श्रेय मिल जाए, मुझे कोई फर्क नहीं पड़ता है.

सवाल- क्षेत्र की जनता का काम होना चाहिए श्रेय चाहे कोई भी ले ले.
जवाब- उससे मुझे कोई मतलब नहीं है. (rambai interview)

सवाल- आप बहुजन समाज पार्टी में हैं. देश में 80 प्रतिशत लोग हैं जो किसी न किसी तरह से आरक्षण की श्रेणी में आते हैं. चाहे पिछड़ा वर्ग से आए, चाहे अनुसूचित जाति से या फिर अनुसूचित जनजाति से आए. इसके बावजूद बहुजन समाज पार्टी मप्र में क्यों स्थापित नहीं हो पाई.
जवाब- देखिए कभी ये होता है कि भारत में एक तो शिक्षा की कमी है. दूसरी बात राजनीति में धर्म पर या कुछ अन्य मुद्दों पर जनता को भटका देते हैं, लेकिन कभी न कभी या फिर अगली विधानसभा 2023 में मुझे ऐसी उम्मीद है कि ज्यादा मात्रा में बीएसपी के विधायक बनेंगे. वहां अच्छी पोजीशन रहेगी.

सवाल- अभी मप्र सरकार ने जो बात कही कि हम पिछड़ों को 27 प्रतिशत आरक्षण देंगे. कमलनाथ सरकार ने भी कहा था कि हम 27 प्रतिशत आरक्षण देंगे, तो बहुजन समाज पार्टी का क्या रुख है कि पिछड़ों को 27 प्रतिशत आरक्षण मिलना चाहिए और अनुसूचित जाति, जनजाति को जो मिल रहा है वो तो है ही. इसके अलावा गरीब सामान्य वर्ग को आरक्षण की बात 10 प्रतिशत की आई है. इसको लेकर आप कितनी सहमत हैं कि आरक्षण मिलना चाहिए या आरक्षण कम होकर लोगों को सक्षम बनाना चाहिए ?
जवाब- जो आरक्षण की बात है, वो तो मिलना चाहिए और 100 परसेंट मैं सहमत हूं. पर बोलते सब हैं करता कोई नहीं. करना तो चाहिए. बोलते तो सभी हैं, मैं भी कुछ भी बोल दूं, लेकिन मैं ऐसा कुछ भी नहीं बोलती कि जो कर न पाऊं. मुझे तो ऐसा लगता है कि महिलाओं को विधानसभा के अंदर 50 प्रतिशत आरक्षण मिलना चाहिए. इससे विधानसभा का नक्शा ही अलग रहेगा.

17 साल का हिसाब मांगने वाले अपने 60 सालों का दें हिसाब, फेस-टू-फेस में बोले मंत्री भूपेन्द्र सिंह

सवाल- जातिगत आरक्षण के अलावा वर्गगत आरक्षण भी चाहती हैं. ऐसा आपका कहना है ?
जवाब- महिलाओं को आरक्षण मिलना चाहिए, क्योंकि जो महिलाएं कर सकती हैं वो पुरुष नहीं कर सकते हैं.

सवाल- बहुजन समाज पार्टी की क्या स्थिति रहने वाली है अगले चुनाव में ?
जवाब- बहुत अच्छी रहेगी, क्योंकि जो मेरी सोच है वो मैं बता रही हूं कि प्रत्याशी बस एक ऐसा होना चाहिए कि जिसे जनता पसंद करती हो. मुझे मध्यप्रदेश की जनता पर और हर वर्ग पर भरोसा है कि वो इस बार बीएसपी के विधायक ज्यादा मात्रा में आएंगे.

सवाल-आप शादी से पहले पिछड़े वर्ग से थीं और शादी सामान्य वर्ग के व्यक्ति से हुई है. बहुजन समाज पार्टी को दलितों की पार्टी माना जाता है तो आप कैसे समन्वय बना रही हैं ?
जवाब- लड़की की जाति पिता की जाति से जानी जाती है. किशोरी पटेल मेरे पिता हैं. पिछड़ा वर्ग का मेरा जाति प्रमाण पत्र है. पति के नाम से कौन जानता है. जन्मदाता तो मेरे माता-पिता हैं. वो कुर्मी समाज से हैं तो मैं भी कुर्मी समाज से हूं.

सवाल- एक चीज और मप्र में जब आप विधायक बनीं तो आपने दो मुख्यमंत्री देख लिए एक कमलनाथ और दूसरे शिवराज सिंह चौहान. दोनों में किसको श्रेष्ठ मानती हैं, कार्यप्रणाली को लेकर पूछ रहा हूं मैं ?
जवाब- दोनों एक ही जैसे हैं लेकिन जो कमलनाथ दादा थे, उनसे मेरे व्यक्तिगत संबंध थे. मेरे पिताजी की तरह थे. मुझे उनसे अच्छा कोई नहीं लगा, वो जो थे अलग थे. वो विकास की ओर ज्यादा- मप्र और भारत के प्रति उनकी अलग सोच थी. जैसे इंदौर में वो आईफा अवार्ड करा रहे थे, तो उससे दुनिया में भारत की कितना बड़ा फायदा होता. मप्र का नाम होता. आज वो कार्यक्रम होता तो विदेशों में भी नाम होता. दादा की सोच ऐसी थी कि उन्हें पैसे से कभी भी लालच नहीं था. न कभी जिंदगी में रहेगी, जो उनकी सोच थी वो विकास की थी कि कैसे मप्र के सभी श्रेणी के लोगों को उठाया जाए. (rambai interview)

सवाल- मतलब मप्र के लोगों का सर्वांगीण विकास हो ऐसा आपका कहना है. वो कमी आपको शिवराज सिंह में कहां महसूस करती है ?
जवाब- मैं उनके बारे कुछ इसलिए नहीं बोलना चाहती कि मैं उनसे जुड़ी नहीं हूं. मुझे जानकारी नहीं है. सही पूछों तो आप मैं जिनसे बीसों साल से जुड़ी हूं- कमलनाथ दादा से तो मैं उनके बारे में हर चीज जानती हूं. इनसे मैं इतनी जुड़ी नहीं हूं. जैसे बीजेपी में समर्थन था तो मैं सबसे ज्यादा जुड़ीं हूं- नरोत्तम भैय्या और भूपेंद्र सिंह से. आज अगर कुछ है भाईसाहब से भी मिलती हूं सीएम साहब से. जो भी मेरा काम होता है तो वह नरोत्तम भैय्या और भूपेंद्र सिंह से हो जाता है. इन्होंने पूरा वादा निभाया है. हर चीज में साथ देते हैं.

सवाल- बीच-बीच में जब 17 महीने की कमलनाथ की सरकार थी, तो ये चर्चा थी कि आप उनकी सरकार में मंत्री बन सकती हैं, शामिल हो सकती हैं. फिर जब बीजेपी की सरकार आई तो भी यह चर्चा रही. ये चर्चाएं मनगढंत हैं या फिर कोई ठोस आधार भी है ?
जवाब- जब कांग्रेस की सरकार थी तब एक भी वीडियो लाएं या प्रमाण बताएं कि दादा ने बोला है. उन्होंने ये बोला कि मैं तुझको मंत्री नहीं बना सकता हूं, मेरी मजबूरी है. तुझे कोई कमी नहीं होगी. चाहे क्षेत्र के विकास की बात करें. आज जो भी पीडब्ल्यूडी टेंडर लगे हैं, वो सब दादा की वजह से हैं. बीजेपी की सरकार आई तो उन्होंने लगे लगाए टेंडर निरस्त करवा दिए. आज स्थिति ये है कि खटियों पर लोग जा रहे हैं. सड़कों की हालत खराब है. मंत्रिमंडल में शामिल करने की बात दादा ने कभी नहीं बोली. मैं अपनी तरफ से जरूर लड़ती रहती थी कि मंत्री बनाएं, लेकिन उन्होंने कभी बोला नहीं. दादा की ऐसी खासियत थी कि मैं मीडिया में कुछ भी बोलूं, लेकिन उन्होंने कभी भी बुरा नहीं माना.

सवाल- आपसे वादा किया था आपको मंत्री बनाएंगे ?
जवाब- जी बिल्कुल, आपके पास पहले की भी बाइट है, तो मैं आपसे झूठ नहीं बोल सकती. जो सत्य है मैं बोलूंगी.

सवाल- वायदाखिलाफी का नुकसान आपके क्षेत्र की जनता को भी हो रहा होगा ?
जवाब- जनता को मंत्री या फिर इससे क्या फर्क पड़ता है, मैं तो विधायक हूं. काम तो मेरे बराबर बीजेपी करती है.

सवाल- आपने बताया कि आपके टेंडर बीजेपी ने निरस्त कर दिए. कहीं ऐसा तो नहीं कि बीजेपी सरकार विधायक का क्षेत्र देखकर विकास के काम कराती है ?
जवाब- ये तो मैं नहीं समझ पाती हूं. मुझे इस तरह की राजनीति समझ नहीं आती है. मैं तो यही समझती हूं कि आप अच्छा बोल रहे हैं तो आप अच्छा करेंगे. मेरी विधानसभा में कई रोड ऐसे हैं जहां घटनाएं घट जाती है कि कुछ कह नहीं सकते. बच्चे स्कूल नहीं जा पाते हैं. इनमें भरोटा, तालगांव ऐसे हैं जहां पर आज भी मरीज को खाट पर लेकर जाया जाता है. बरसात में बहुत हालत खराब हो जाती है. इसको लेकर मैं सीएम से जाकर मिली और निवेदन किया कि टेंडर लग गया था इसको बनवा दें भाईसाहब. भूपेंद्र सिंह और नरोत्तम मिश्रा से बोला. उन्होंने अधिकारियों को भी फोन लगाया था. अधिकारियों ने कहा कि टेंडर लगा था तो काम होगा, लेकिन मैंने पूछा कि कब बनेगा. ये स्थिति है. दूसरी पार्टी से हूं शायद ऐसा हो आप बोल रहे हैं तो.

सवाल- मैं इसलिए पूछ रहा हूं कि राहुल लोधी कांग्रेस छोड़कर बीजेपी में आ गए और चुनाव हार गए. अब सचिन बिरला कांग्रेस छोड़कर बीजेपी में आ गए. इस तरह से जो दलबदल चल रहा है, बीजेपी बाद मे इनको किनारा कर देती है. ऐसी आशंका आपके मन में तो नहीं आई, जिसकी वजह से आप बीजेपी में जाने से रुक गई हों ?
जवाब- जी हां.

सवाल- प्रलोभन सबको मिलते हैं. आप प्रलोभन में नहीं आईं या जो आपके सिद्धांत रहे हों उनका पालन किया है ?
जवाब- हां मैं अपने सिद्धातों पर रहती हूं. बीजेपी कभी स्वीकार नहीं करेगी. मैं अपने सिद्धांत जीते जी नहीं बदल सकती, जो सत्य है, मैं उससे हट नहीं सकती. वैसे मुझे इस बारे में कभी विचार नहीं आया. जो भी चर्चा में था कि बीजेपी में आ जाओ, लेकिन मैने अंतर आत्मा से कभी नहीं सोचा. मैं दलबदल का हिस्सा नहीं बनना चाहती. मैं बीएसपी में रहना चाहती हूं और बीएसपी से ही अगला चुनाव लड़ूंगी. मैं अपनी पार्टी कभी छोड़ नहीं सकती, क्योंकि मेरी पार्टी कभी मुझे कुछ भी कहने से भी मना नहीं करती.

सवाल- मायावती से कबसे मुलाकात नहीं हुई ?
जवाब- जब से मेरे बच्चे का एक्सीडेंट हुआ है और सब परिवार के 20 लोग बंद हैं, तो इस समय मैं अकेली ही हूं. मेरा बेटा चल नहीं पाता है, फिर भी मैं उसे निकालती हूं. मेरे क्षेत्र के लोग आते हैं. महंगाई के दौर में उनके पैसे खर्च होते हैं, तो मैं नहीं मिलूंगी तो वे परेशान होंगे, इसलिए मुझे रुकना पड़ता है.

भोपाल। मप्र की पथरिया विधानसभा क्षेत्र से विधायक और बसपा की तेजतर्रार नेता रामबाई का कहना है कि हर जगह भ्रष्टाचार है, रिश्वत पर कोई लगाम नहीं लगा पाया है. हर जगह चपरासी से लेकर अधिकारी तक रिश्वत ले रहे हैं. रामबाई पूर्व मुख्यमंत्री कमलनाथ को दादा मानती हैं और सीएम शिवराज के बारे में कहती हैं वे उनसे इतनी जुड़ी नहीं हैं. बसपा विधायक रामबाई ने ईटीवी भारत के ब्यूरो चीफ विनोद तिवारी से खास बातचीत में कहा कि वे बसपा में ही रहेंगी और बसपा से ही चुनाव लड़ेंगी. दलबदल मेरे दिलोदिमाग में नहीं है. यही मेरी मजबूती है. (rambai interview)

रामबाई इंटरव्यू.

सवाल- किस तरह से आप अपने क्षेत्र को संभालती हैं क्योंकि मध्यप्रदेश में बहुजन समाज पार्टी के विधायकों की संख्या ज्यादा नहीं है ?
जवाब- संभालती तो मैं अच्छे से हूं. पथरिया विधानसभा की जनता के लिए जो समस्या आती है उसका समाधान करती हैं. जब से जनप्रतिनिधि बनी हूं, तब से लगातार क्षेत्र में जनता के प्रति हमेशा सजग रही हूं. बल्कि मेरे यहां किसी भी विधानसभा के लोग आ जाते हैं, तो मैं सबकी सुनती हूं.

सवाल- लोग बताते हैं कि आप बहुत तेज तर्रार हैं और कई बार अधिकारी आपसे किनारा कर लेते हैं ?
जवाब- जो गलत करता है, वह किनारा करता है. जो सही होता है, वह सामना करता है. मैं तो सही के साथ हूं और जो सत्य है, वही बोलती हूं. अधिकारी, जो किनारा करते हैं वह गलत होते हैं.

सवाल- आपने एक बात बोली थी कि थोड़ा बहुत रिश्वत ले ली जाए तो चलती है, लेकिन ज्यादा नहीं लेना चाहिए ?
जवाब- आपने पूरी बाइट सुनी नहीं है, शायद! मैनें बोला था कि इन गरीबों से दस-दस, 8-8 हजार रुपए क्यों लिए. आपको ऐसा नहीं लेना चाहिए. अगर कोई आपको स्वेच्छा से हजार-पांच सौ रुपए देता है, तो वो आटे में नमक बराबर चलता है. यहा मैंने बोला था. आपसे पूछती हूं कि भारत में एक भी विभाग, एक अधिकारी, कर्मचारी और सचिव से लेकर चपरासी तक बता दो जिसने पैसे न लिए हों. है कोई ऐसा.

सवाल- मतलब रिश्वत व्यवहार बन गई है. हम ऐसा मानें ?
जवाब- सदियों से आज की बात थोड़ी है. कोई लगाम लगा पाया क्या ? मैं तो फिर भी आज बोलती हूं और कल भी बोलूंगी कि गरीब आदमी को छोड़े. आपसे सब जुड़े हैं, बैलेंस बना रहे. अमीर-गरीब सब जुड़े हैं. आप भले ही ये बोलें कि रामबाई ने रिश्वत को बढ़ावा दिया है, लेकिन रिश्वत खत्म हुई कहां है. चैनल वाले आप हैं, तो क्या आपको भी पैसे लगते होंगे ? मैं सच्चाई से वाकिफ हूं.

सवाल- ऐसा कभी कोई मौका आया कि जब आपको रिश्वत देना पड़ी हो ?
जवाब- ऐसा मौका तो कभी नहीं आया है. मेरे क्षेत्र में जो मेरा विधायक निधि है और जो गौण खनिज की राशि रहती है. अधिकारियों से मैं स्पष्ट बोल देती हूं कि ये मेरी निधि है. ये मैनें सरपंचों की दी है. इसमें आप कोई कमीशन नहीं लेगें. सरपंचों और इंजीनियरों से भी बोल दिया है कि कोई भी इसमें से पैसा लेगा तो ठीक नहीं होगा. मैं बोलती हूं कि मुझे ऐसा काम चाहिए कि दसों साल तक इसमें आंच न आए. गुणवत्ता पूर्ण काम चाहिए.

सवाल- एमपी में खाद संकट रहा. आपने कोई दबाव सरकार पर बनाया कि रैक आए. बीजेपी के नेता रैक के लिए श्रेय ले रहे हैं. आप कह रही हैं आपके कारण रैक आई. असलियत क्या है इसकी ?
जवाब- देखिए जब खाद की समस्या थी, तब मैं अस्पताल में भर्ती थी. मेरी स्थिति ऐसी थी कि मैं चल भी नहीं पाती थी, लेकिन फोन बहुत आते थे. फिर मैंने भोपाल में चौहान साहब से बात कीं. मैंने उनसे हाथ जोड़कर निवेदन किया कि मेरे यहां एक रैक जरूर लगवा दें. वरना! जनता रोड पर बैठ जाएगी. मजबूरन मुझे भी उनके साथ बैठना पड़ेगा. उन्होंने कहा था कि मेरे वचन हैं आपसे, एक-दो दिन में रैक लग जाएगी. जब एक-दो दिन के अंदर रैक लगी तो मैनें उसका वीडियो भी जारी किया था. अब अगर कोई बोल रहा है कि मैनें रैक लगवाई हैं, तो मैं तो बोलती हूं किसी ने भी लगवाईं हों. चलो, बीजेपी वाले बोल रहे हों कि उन्होंने लगवाई हैं, तो मुझे संतुष्टि इस बात की है कि किसानों तक खाद पहुंच गया. बीजेपी को सारा श्रेय मिल जाए, मुझे कोई फर्क नहीं पड़ता है.

सवाल- क्षेत्र की जनता का काम होना चाहिए श्रेय चाहे कोई भी ले ले.
जवाब- उससे मुझे कोई मतलब नहीं है. (rambai interview)

सवाल- आप बहुजन समाज पार्टी में हैं. देश में 80 प्रतिशत लोग हैं जो किसी न किसी तरह से आरक्षण की श्रेणी में आते हैं. चाहे पिछड़ा वर्ग से आए, चाहे अनुसूचित जाति से या फिर अनुसूचित जनजाति से आए. इसके बावजूद बहुजन समाज पार्टी मप्र में क्यों स्थापित नहीं हो पाई.
जवाब- देखिए कभी ये होता है कि भारत में एक तो शिक्षा की कमी है. दूसरी बात राजनीति में धर्म पर या कुछ अन्य मुद्दों पर जनता को भटका देते हैं, लेकिन कभी न कभी या फिर अगली विधानसभा 2023 में मुझे ऐसी उम्मीद है कि ज्यादा मात्रा में बीएसपी के विधायक बनेंगे. वहां अच्छी पोजीशन रहेगी.

सवाल- अभी मप्र सरकार ने जो बात कही कि हम पिछड़ों को 27 प्रतिशत आरक्षण देंगे. कमलनाथ सरकार ने भी कहा था कि हम 27 प्रतिशत आरक्षण देंगे, तो बहुजन समाज पार्टी का क्या रुख है कि पिछड़ों को 27 प्रतिशत आरक्षण मिलना चाहिए और अनुसूचित जाति, जनजाति को जो मिल रहा है वो तो है ही. इसके अलावा गरीब सामान्य वर्ग को आरक्षण की बात 10 प्रतिशत की आई है. इसको लेकर आप कितनी सहमत हैं कि आरक्षण मिलना चाहिए या आरक्षण कम होकर लोगों को सक्षम बनाना चाहिए ?
जवाब- जो आरक्षण की बात है, वो तो मिलना चाहिए और 100 परसेंट मैं सहमत हूं. पर बोलते सब हैं करता कोई नहीं. करना तो चाहिए. बोलते तो सभी हैं, मैं भी कुछ भी बोल दूं, लेकिन मैं ऐसा कुछ भी नहीं बोलती कि जो कर न पाऊं. मुझे तो ऐसा लगता है कि महिलाओं को विधानसभा के अंदर 50 प्रतिशत आरक्षण मिलना चाहिए. इससे विधानसभा का नक्शा ही अलग रहेगा.

17 साल का हिसाब मांगने वाले अपने 60 सालों का दें हिसाब, फेस-टू-फेस में बोले मंत्री भूपेन्द्र सिंह

सवाल- जातिगत आरक्षण के अलावा वर्गगत आरक्षण भी चाहती हैं. ऐसा आपका कहना है ?
जवाब- महिलाओं को आरक्षण मिलना चाहिए, क्योंकि जो महिलाएं कर सकती हैं वो पुरुष नहीं कर सकते हैं.

सवाल- बहुजन समाज पार्टी की क्या स्थिति रहने वाली है अगले चुनाव में ?
जवाब- बहुत अच्छी रहेगी, क्योंकि जो मेरी सोच है वो मैं बता रही हूं कि प्रत्याशी बस एक ऐसा होना चाहिए कि जिसे जनता पसंद करती हो. मुझे मध्यप्रदेश की जनता पर और हर वर्ग पर भरोसा है कि वो इस बार बीएसपी के विधायक ज्यादा मात्रा में आएंगे.

सवाल-आप शादी से पहले पिछड़े वर्ग से थीं और शादी सामान्य वर्ग के व्यक्ति से हुई है. बहुजन समाज पार्टी को दलितों की पार्टी माना जाता है तो आप कैसे समन्वय बना रही हैं ?
जवाब- लड़की की जाति पिता की जाति से जानी जाती है. किशोरी पटेल मेरे पिता हैं. पिछड़ा वर्ग का मेरा जाति प्रमाण पत्र है. पति के नाम से कौन जानता है. जन्मदाता तो मेरे माता-पिता हैं. वो कुर्मी समाज से हैं तो मैं भी कुर्मी समाज से हूं.

सवाल- एक चीज और मप्र में जब आप विधायक बनीं तो आपने दो मुख्यमंत्री देख लिए एक कमलनाथ और दूसरे शिवराज सिंह चौहान. दोनों में किसको श्रेष्ठ मानती हैं, कार्यप्रणाली को लेकर पूछ रहा हूं मैं ?
जवाब- दोनों एक ही जैसे हैं लेकिन जो कमलनाथ दादा थे, उनसे मेरे व्यक्तिगत संबंध थे. मेरे पिताजी की तरह थे. मुझे उनसे अच्छा कोई नहीं लगा, वो जो थे अलग थे. वो विकास की ओर ज्यादा- मप्र और भारत के प्रति उनकी अलग सोच थी. जैसे इंदौर में वो आईफा अवार्ड करा रहे थे, तो उससे दुनिया में भारत की कितना बड़ा फायदा होता. मप्र का नाम होता. आज वो कार्यक्रम होता तो विदेशों में भी नाम होता. दादा की सोच ऐसी थी कि उन्हें पैसे से कभी भी लालच नहीं था. न कभी जिंदगी में रहेगी, जो उनकी सोच थी वो विकास की थी कि कैसे मप्र के सभी श्रेणी के लोगों को उठाया जाए. (rambai interview)

सवाल- मतलब मप्र के लोगों का सर्वांगीण विकास हो ऐसा आपका कहना है. वो कमी आपको शिवराज सिंह में कहां महसूस करती है ?
जवाब- मैं उनके बारे कुछ इसलिए नहीं बोलना चाहती कि मैं उनसे जुड़ी नहीं हूं. मुझे जानकारी नहीं है. सही पूछों तो आप मैं जिनसे बीसों साल से जुड़ी हूं- कमलनाथ दादा से तो मैं उनके बारे में हर चीज जानती हूं. इनसे मैं इतनी जुड़ी नहीं हूं. जैसे बीजेपी में समर्थन था तो मैं सबसे ज्यादा जुड़ीं हूं- नरोत्तम भैय्या और भूपेंद्र सिंह से. आज अगर कुछ है भाईसाहब से भी मिलती हूं सीएम साहब से. जो भी मेरा काम होता है तो वह नरोत्तम भैय्या और भूपेंद्र सिंह से हो जाता है. इन्होंने पूरा वादा निभाया है. हर चीज में साथ देते हैं.

सवाल- बीच-बीच में जब 17 महीने की कमलनाथ की सरकार थी, तो ये चर्चा थी कि आप उनकी सरकार में मंत्री बन सकती हैं, शामिल हो सकती हैं. फिर जब बीजेपी की सरकार आई तो भी यह चर्चा रही. ये चर्चाएं मनगढंत हैं या फिर कोई ठोस आधार भी है ?
जवाब- जब कांग्रेस की सरकार थी तब एक भी वीडियो लाएं या प्रमाण बताएं कि दादा ने बोला है. उन्होंने ये बोला कि मैं तुझको मंत्री नहीं बना सकता हूं, मेरी मजबूरी है. तुझे कोई कमी नहीं होगी. चाहे क्षेत्र के विकास की बात करें. आज जो भी पीडब्ल्यूडी टेंडर लगे हैं, वो सब दादा की वजह से हैं. बीजेपी की सरकार आई तो उन्होंने लगे लगाए टेंडर निरस्त करवा दिए. आज स्थिति ये है कि खटियों पर लोग जा रहे हैं. सड़कों की हालत खराब है. मंत्रिमंडल में शामिल करने की बात दादा ने कभी नहीं बोली. मैं अपनी तरफ से जरूर लड़ती रहती थी कि मंत्री बनाएं, लेकिन उन्होंने कभी बोला नहीं. दादा की ऐसी खासियत थी कि मैं मीडिया में कुछ भी बोलूं, लेकिन उन्होंने कभी भी बुरा नहीं माना.

सवाल- आपसे वादा किया था आपको मंत्री बनाएंगे ?
जवाब- जी बिल्कुल, आपके पास पहले की भी बाइट है, तो मैं आपसे झूठ नहीं बोल सकती. जो सत्य है मैं बोलूंगी.

सवाल- वायदाखिलाफी का नुकसान आपके क्षेत्र की जनता को भी हो रहा होगा ?
जवाब- जनता को मंत्री या फिर इससे क्या फर्क पड़ता है, मैं तो विधायक हूं. काम तो मेरे बराबर बीजेपी करती है.

सवाल- आपने बताया कि आपके टेंडर बीजेपी ने निरस्त कर दिए. कहीं ऐसा तो नहीं कि बीजेपी सरकार विधायक का क्षेत्र देखकर विकास के काम कराती है ?
जवाब- ये तो मैं नहीं समझ पाती हूं. मुझे इस तरह की राजनीति समझ नहीं आती है. मैं तो यही समझती हूं कि आप अच्छा बोल रहे हैं तो आप अच्छा करेंगे. मेरी विधानसभा में कई रोड ऐसे हैं जहां घटनाएं घट जाती है कि कुछ कह नहीं सकते. बच्चे स्कूल नहीं जा पाते हैं. इनमें भरोटा, तालगांव ऐसे हैं जहां पर आज भी मरीज को खाट पर लेकर जाया जाता है. बरसात में बहुत हालत खराब हो जाती है. इसको लेकर मैं सीएम से जाकर मिली और निवेदन किया कि टेंडर लग गया था इसको बनवा दें भाईसाहब. भूपेंद्र सिंह और नरोत्तम मिश्रा से बोला. उन्होंने अधिकारियों को भी फोन लगाया था. अधिकारियों ने कहा कि टेंडर लगा था तो काम होगा, लेकिन मैंने पूछा कि कब बनेगा. ये स्थिति है. दूसरी पार्टी से हूं शायद ऐसा हो आप बोल रहे हैं तो.

सवाल- मैं इसलिए पूछ रहा हूं कि राहुल लोधी कांग्रेस छोड़कर बीजेपी में आ गए और चुनाव हार गए. अब सचिन बिरला कांग्रेस छोड़कर बीजेपी में आ गए. इस तरह से जो दलबदल चल रहा है, बीजेपी बाद मे इनको किनारा कर देती है. ऐसी आशंका आपके मन में तो नहीं आई, जिसकी वजह से आप बीजेपी में जाने से रुक गई हों ?
जवाब- जी हां.

सवाल- प्रलोभन सबको मिलते हैं. आप प्रलोभन में नहीं आईं या जो आपके सिद्धांत रहे हों उनका पालन किया है ?
जवाब- हां मैं अपने सिद्धातों पर रहती हूं. बीजेपी कभी स्वीकार नहीं करेगी. मैं अपने सिद्धांत जीते जी नहीं बदल सकती, जो सत्य है, मैं उससे हट नहीं सकती. वैसे मुझे इस बारे में कभी विचार नहीं आया. जो भी चर्चा में था कि बीजेपी में आ जाओ, लेकिन मैने अंतर आत्मा से कभी नहीं सोचा. मैं दलबदल का हिस्सा नहीं बनना चाहती. मैं बीएसपी में रहना चाहती हूं और बीएसपी से ही अगला चुनाव लड़ूंगी. मैं अपनी पार्टी कभी छोड़ नहीं सकती, क्योंकि मेरी पार्टी कभी मुझे कुछ भी कहने से भी मना नहीं करती.

सवाल- मायावती से कबसे मुलाकात नहीं हुई ?
जवाब- जब से मेरे बच्चे का एक्सीडेंट हुआ है और सब परिवार के 20 लोग बंद हैं, तो इस समय मैं अकेली ही हूं. मेरा बेटा चल नहीं पाता है, फिर भी मैं उसे निकालती हूं. मेरे क्षेत्र के लोग आते हैं. महंगाई के दौर में उनके पैसे खर्च होते हैं, तो मैं नहीं मिलूंगी तो वे परेशान होंगे, इसलिए मुझे रुकना पड़ता है.

Last Updated : Nov 13, 2021, 11:32 AM IST
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