भोपाल। अयोध्या में भव्य राम मंदिर के निर्माण और रामलला के प्राण प्रतिष्ठा कार्यक्रम की जोर-शोर से तैयारियों के बीच मध्य प्रदेश में भी राम वन गमन पथ को लेकर राज्य सरकार सक्रिय हो गई है। राम वन पथ गमन विकसित करने के लिए गठित श्रीराम पथ गमन न्यास की पहली बैठक मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव ने 16 जनवरी को चित्रकूट में बुलाई है। मुख्यमंत्री की अध्यक्षता में होने वाली इस बैठक में संस्कृति, पर्यटन, धार्मिक न्यास और धर्मस्व राज्य मंत्री धर्मेन्द्र लोधी, मुख्य सचिव वीरा राणा सहित संबंधित विभागों और जिलों के अधिकारी मौजूद रहेंगे।
मध्य प्रदेश के 23 स्थानों का होना है विकास
भगवान राम के वनवास में सबसे ज्यादा सौभाग्यशाली मध्य प्रदेश रहा है. भगवान राम ने 14 साल के वनवास में से 11 साल 11 माह और 11 दिन मध्य प्रदेश में बिताए. सबसे ज्यादा समय उनका चित्रकूट में बीता. यहां पग-पग पर भगवान राम की निशानियां हैं. उत्तर प्रदेश की सीमा पर स्थित चित्रकूट से ही राम वन पथ गमन का विकास होना है. बीते करीबन 14 सालों से इसको लेकर बातें हो रही हैं.
370 किलोमीटर के बीच करीब 23 स्थान चिन्हित
चित्रकूट से लेकर अमरकंटक तक 370 किलोमीटर के बीच करीब 23 स्थान केन्द्र सरकार ने चिन्हित किए हैं. इनमें सतना, पन्ना, कटनी, जबलपुर, नर्मदापुरम, उमरिया, शहडोल और अनूपपुर जिले के स्थानों को भी चिन्हित किया गया है. इसमें स्फटिक शिला, गुप्त गोदावरी, अत्रि आश्रम, शरभंग आश्रम, अश्वमुनि आश्रम, सुतीक्ष्ण आश्रम, सिद्धा पहाड़, सीता रसोई, रामसेल, राम जानकी मंदिर, बृहस्पति कुंड, अग्निजिव्हा आश्रम, अगस्त्य आश्रम, शिव मंदिर, रामघाट, श्रीराम मंदिर, दशरथ घाट, सीमा मढ़ी शामिल हैं.
7 माह पहले गठित हुआ था न्यास
पिछले विधानसभा चुनाव के पहले राज्य सरकार राम वन गमन पथ को लेकर सक्रिय हुई थी और इसके लिए श्रीरामचंद्र पथ गमन न्यास का गठन किया गया था. इस न्यास की देख-रेख में भी रामवन पथ गमन का निर्माण किया जाना है। इसके बाद राज्य सरकार ने 250 करोड़ का बजट रखा था, इसमें ओरछा के राम राजा मंदिर, सलकनपुर और दिव्य वनवासी राम लोक के लिए रखे गए थे.
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कमलनाथ सरकार में शुरू हुआ था काम
2018 में प्रदेश में कमलनाथ सरकार बनने के बाद 2019-20 के बजट में कांग्रेस सरकार ने राम वन गमन पथ के लिए 22 करोड़ रुपए का प्रावधान किया था. इसके लिए प्रोजेक्ट तैयार कर चित्रकूट से अमरकंटर के बीच के तमाम स्थानों को चिन्हित कर लिया गया था, लेकिन बाद में कमलनाथ सरकार गिर गई थी.