भोपाल। रक्षा बंधन के पवित्र त्यौहार पर भद्रा काल का प्रभाव रहेगा. करीब 57 वर्ष बाद ये योग आ रहा है इसमें रक्षाबंधन का त्यौहार मनाने से भाई-बहन की समृद्धि होगी. सूर्यादय से भद्राकाल रात तक होने से दिनभर राखी नहीं बंधेगी. भद्राकाल समाप्त होने पर राखी बंधवाने का शुभ मुहूर्त रात्रि 8 बजे के बाद है. ऐसे में भद्रा को लेकर लोगों में थोड़ी मायूसी भी है.
भद्राकाल सुबह 10.17 बजे से रात 8.30 तक: पंडित रामबिहारी शर्मा के मुताबिक, रक्षाबंधन पर्व पर सुबह 10.17 बजे से रात्रि 8.37 बजे तक भद्राकाल की स्थिति निर्मित हो रही है. इस दौरान राखी बंधवाना शुभ नहीं है. यह काल समाप्त होने के बाद राखी बंधवाना श्रेष्ठ रहेगा.
उपाकर्म किया जा सकता है: भद्राकरण इस दिन प्रातः 10.17 बजे से 8.37 बजे रात तक रहने से रक्षाबंधन पर्व रात 8.27 मिनट बाद होगा. उपाकर्म में भद्रा दोष मान्य नहीं है. अतः भद्रा में उपाकर्म किया जा सकेगा. उन्होंने बताया कि, ''चंद्र मास, सूर्य व चंद्रमा की एक बार युति होने के समय से अर्थात अमावस्या से अगली अमावस्या तक का काल चंद्र मास होता है. त्योहार, उत्सव, व्रत, उपासना, हवन, शांति, विवाह आदि हिंदू धर्म शास्त्रों के सभी कार्य चंद्रमास अर्थात चंद्रमा की गति से निश्चित है. चंद्रमास के नाम उस माह में आने वाली पूर्णिमा के नक्षत्रों के अनुसार हैं. उदाहरणार्थ चैत्र माह की पूर्णिमा को चित्रा नक्षत्र होता है.''
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भाई बहन के रिश्ते का पवित्र पर्व है रक्षा बंधन: रक्षाबंधन पर्व को लेकर घर-घर में तैयारियां शुरू हो गई हैं. महिलाओं का मायके आना शुरू हो गया है. बाजारों में भीड़ दिखने लगी है. इस बार 30 अगस्त को रक्षाबंधन पर्व अधिमास योग में मनेगा. लोगों में भ्रम की स्थिति है, बहनें और महिलाएं पंडितों से इस बारे में पूछ रहीं.