भोपाल। एमपी की सियासत में घमासान मचाने वाला राज्यसभा चुनाव कोरोना महामारी के कारण टल गया था, लेकिन चुनाव की नई तारीख आते ही फिर सियासी घमासान के आसार नजर आ रहे हैं. दरअसल भारत निर्वाचन आयोग ने राज्यसभा चुनाव का कार्यक्रम जारी कर दिया है. तय कार्यक्रम के तहत राज्यसभा की 18 सीटों के लिए 19 जून को मतदान होगा. कोरोना लॉकडाउन के पहले राज्यसभा निर्वाचन की प्रक्रिया लगभग पूरी हो गई थी, सिर्फ मतदान शेष रह गया था. तब 55 में से 37 सीटों पर उम्मीदवार निर्विरोध चुने गए थे. जिसके बाद 18 सीटों पर चुनाव बाकी था.
चुनाव कार्यक्रम घोषित होते ही एमपी की सियासत में फिर उबाल के आसार दिखाई देने लगे हैं. अब ज्योतिरादित्य सिंंधिया का भविष्य पूरी तरह भाजपा पर निर्भर है. कमलनाथ सरकार गिराने में सिंधिया ने अपने समर्थक 22 विधायकों की बलि दी थी. अब मौका आ गया है कि, बीजेपी उन्हेंं राज्यसभा भेजे.
तात्कालिक परिस्थितियों में चुनाव हो जाते तो बीजेपी के लिए ज्यादा तनाव नहीं रहता और राज्यसभा की एक सीट बढ़ने के साथ-साथ मध्यप्रदेश में आराम से सरकार काम करती, लेकिन कोरोना के कारण हुए लॉकडाउन के चलते जिस तरह की परिस्थितियां बनीं हैं, वह भाजपा के असंतोष और सिंधिया समर्थकों की उपेक्षा की तरफ इशारा कर रही है.
ज्योतिरादित्य सिंंधिया अब भाजपा भरोसे
एमपी की कमलनाथ सरकार गिराने के लिए बीजेपी ने ऑपरेशन लोटस चलाया था. उसमें लक्ष्य राज्यसभा की एक सीट भी थी, क्योंकि कमलनाथ सरकार के रहते हुए कांग्रेस 3 सीटों में से 2 सीटें जीत रही थी. लेकिन सिंधिया और उनके समर्थकों के बागी होने से कांग्रेस एक सीट पर पहुंच गई, वहीं बीजेपी 2 सीटें जीतती नजर आ रही है.
लेकिन सिंधिया समर्थक सभी 22 विधायकों के इस्तीफे स्वीकार हो जाने से उन्हें वोटिंग का अधिकार नहीं होगा. अब वोट करने वाले सभी भाजपा के विधायक होंगे. इसके अलावा निर्दलीय और अन्य दलों के विधायक भाजपा के समर्थन में वोट कर सकते हैं. इन परिस्थितियों मेंं सिंधिया का भविष्य पूरी तरह भाजपा पर निर्भर होगा. इस बीच अगर कांग्रेस, भाजपा के असंतोष को भुनाने में कामयाब हो गयी, तो हो सकता है कि ज्योतिरादित्य सिंधिया संकट में फंस जाएं.
टलेगा मंत्रीमंडल विस्तार, बढ़ेगी सिंंधिया समर्थक और बीजेपी विधायकों की नाराजगी
भाजपा की सरकार बनवाने वाले ज्योतिरादित्य सिंधिया के समर्थक पिछले 2 महीने से अपने आप को ठगा हुआ महसूस कर रहे हैं. सिर्फ दो समर्थक गोविंद सिंह राजपूत और तुलसी सिलावट शिवराज सरकार में मंत्री बन पाए हैं. वहीं बीजेपी के अंदर बढ़ रहे असंतोष को देखते हुए शिवराज मंत्रिमंडल का विस्तार टलता रहा है. अब राज्यसभा की तारीख आ जाने के कारण मंत्रिमंडल विस्तार फिर टलने के आसार हैं.
इसका कारण है कि, बीजेपी को डर होगा कि मंत्रिमंडल विस्तार से उपजने वाले असंतोष से भाजपा के विधायक बगावत ना कर दें और सरकार तो जाए ही, साथ ही राज्यसभा की सीट ना चली जाए, क्योंकि कमलनाथ की तरफ से लगातार बयान आ रहे हैं कि, मंत्रिमंडल का विस्तार तो करने दीजिए, फिर पता चलेगा कि शिवराज सरकार कितनी मजबूत है.
राज्यसभा चुनाव के लिए क्या होगा वोटों का गणित
राज्यसभा चुनाव में विधानसभा की वर्तमान सदस्य संख्या 206 के हिसाब से प्रथम प्राथमिकता के 52 मत पर प्रत्याशी चुनाव जीत पाएगा. वर्तमान में बीजेपी के पास 107 विधायक और कांग्रेस के पास विधायकों की संख्या 92 है. इसके अलावा चार निर्दलीय, दो बसपा और एक सपा विधायक है. वोटों के गणित में भाजपा 2 सीटें आसानी से जीत रही है, लेकिन असंतोष का फायदा उठाकर कांग्रेस कोई चाल चलती है, तो निर्दलीय और बसपा, सपा के विधायक भी कांग्रेस के पाले में नजर आएंगे.
ऐसी स्थिति में बड़े उलटफेर के आसार भी हैं. लेकिन ये उलटफेर कांग्रेस तभी कर पाएगी, जब वह सीधे तौर पर भाजपा के विधायकों को तोड़ने में कामयाब होगी और संख्या बल के लिहाज से इतने विधायक तोड़ने होंगे कि निर्दलीय और अन्य भी कांग्रेस के साथ आ जाएं. इन परिस्थितियों में शिवराज सरकार का मंत्रिमंडल विस्तार टलना तय है.
मामले में एमपी कांग्रेस के प्रवक्ता अजय सिंह यादव कहते हैं कि, मप्र में राज्यसभा चुनाव की तारीख की घोषणा के बाद हम उम्मीद करते हैं कि, चुनाव परिणाम चौंकाने वाले आएंगे. कांग्रेस के दोनों उम्मीदवार राज्यसभा में पहुंचेंगे. भाजपा में जिस तरह का विवाद और आपकी रस्साकशी मची हुई है. उसका लाभ कांग्रेस पार्टी को मिलेगा.
उधर एमपी बीजेपी के प्रवक्ता रजनीश अग्रवाल का कहना है कि, राज्यसभा चुनाव के लिए भाजपा पहले दिन से ही तैयार है, जो पूर्ववत स्थिति थी, उसके अनुसार बीजेपी अपने दोनों उम्मीदवारों को विजय दिलाएगी. कांग्रेस यह भी तय करे कि, प्राथमिकता के आधार पर दिग्विजय सिंह होंगे या दलित वंचित वर्ग से आने वाले फूल सिंह बरैया होंगे. कांग्रेस जवाब दे, क्योंकि उनकी तरफ एक ही सीट जीतने की संभावना है, वो सीट किसको दे रहे हैं.