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झीलों के शहर में 300 साल पुराना महल, जानिए क्यों है खास...

झीलों का शहर भोपाल अपने तलाब के सिवा अपने पुरातत्व धरोहर के लिए भी काफी प्रसिद्ध हैं. भोपाल के रानी कमलापति का महल करीब 300 साल पुराना हैं.

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Published : Jan 19, 2020, 1:36 PM IST

Updated : Jan 19, 2020, 3:16 PM IST

Queen Kamalapati's palace of bhopal is three centuries old
300 साल पुराना रानी कमलापति का महल

भोपाल। रानी कमलापति का महल जो भोपाल में बड़े तालाब और छोटे तलाब के मध्य में बना हुआ है. कमलापति के महल का निर्माण आज से करीब 300 वर्ष पूर्व हुआ था. इस महल से दोनों झीलो का खूबसूरत मंजर देखा जा सकता है. ये महल लखोरी ईटों और मिट्टी से बना हुआ है. महल के नीचे के हिस्से में भारी-भरकम पत्थरों का आधार तैयार किया गया था ताकि ये झील के पानी में धंस ना जाए.

300 साल पुराना रानी कमलापति का महल

बता दें कि सात मंजिला इस महल की कुछ मंजिलें पानी में डूबने की वजह से आज दिखाई नहीं देती. प्राचीन काल में रात के समय महल को रोशन करने के लिए उसकी खिड़कियों और रोशनदान में मशाले जलाकर रखी जाती थी. इसका प्रतिबिंब बड़े तालाब में जहाज की तरह दिखता था तभी इसे जहाज महल भी कहा जाता था.

भोपाल। रानी कमलापति का महल जो भोपाल में बड़े तालाब और छोटे तलाब के मध्य में बना हुआ है. कमलापति के महल का निर्माण आज से करीब 300 वर्ष पूर्व हुआ था. इस महल से दोनों झीलो का खूबसूरत मंजर देखा जा सकता है. ये महल लखोरी ईटों और मिट्टी से बना हुआ है. महल के नीचे के हिस्से में भारी-भरकम पत्थरों का आधार तैयार किया गया था ताकि ये झील के पानी में धंस ना जाए.

300 साल पुराना रानी कमलापति का महल

बता दें कि सात मंजिला इस महल की कुछ मंजिलें पानी में डूबने की वजह से आज दिखाई नहीं देती. प्राचीन काल में रात के समय महल को रोशन करने के लिए उसकी खिड़कियों और रोशनदान में मशाले जलाकर रखी जाती थी. इसका प्रतिबिंब बड़े तालाब में जहाज की तरह दिखता था तभी इसे जहाज महल भी कहा जाता था.

Intro:ताल तो भोपाल ताल बाकी सब तलैया रानी तो कमलापति बाकी सब गधे गधययां यहां यह कहावत तो आपने सुनी होगी चलिए उसी रानी के महल का दर्शन हम आपको करवाते हैं यानी रानी कमलापति के महल का


Body:रानी कमलापति का महल जो भोपाल में बड़े तालाब और छोटे तलाब के मध्य में बना हुआ है कमलापति के महल का निर्माण आज से करीब 300 वर्ष पूर्व हुआ था इस महल से दोनों झीलो का खूबसूरत मंजर देखा जा सकता है यह महल लखोरी ईटों और मिट्टी से बना हुआ है महल के नीचे के हिस्से में भारी-भरकम पत्थरों का आधार तैयार किया गया था ताकि यह झील के पानी में धसा ना जाए सात मंजिला इस महल की कुछ मंजिलें पानी में डूबने की वजह से आज दिखाई नहीं देती प्राचीन काल में रात के समय महल को रोशन करने के लिए उसकी खिड़कियों और रोशनदान में मशाले जलाकर रखी जाती थी इसका प्रतिबिंब बड़े तालाब में जहाज की तरह दिखता था तभी इसे जहाज महल भी कहा जाता था


Conclusion:इस महल को सन 1989 में भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण द्वारा संरक्षित किया गया था
बाइट
सिकंदर
हिस्ट्री टेलर
Last Updated : Jan 19, 2020, 3:16 PM IST
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