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लॉकडाउन के दौरान बढ़ा बच्चों में डिप्रेशन, मनोचिकित्सक ने अभिभावकों को ठहराया जिम्मेदार

लॉकडाउन के दौरान से बच्चों में डिप्रेसन और आत्महत्या के मामले बढ़ गए हैं. ताजा मामला भोपाल में रविवार को आया जहां बच्ची ने आत्महत्या कर ली. बच्चों के इस हाल पर ईटीवी भारत ने बात की मनोचिकित्सक रूमा भट्टाचार्या से...

Psychiatrist considered parents negligence cause of children depression
मनोचिकित्सक रूमा भट्टाचार्या
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Published : Oct 4, 2020, 8:42 PM IST

भोपाल। कोरोना संक्रमण के बीच लगे लॉकडाउन में तेज़ी बच्चों में डिप्रेशन के मामले बढ़े हैं. छोटे-छोटे बच्चे मोबाइल फोन के कारण या परीक्षा में कम नम्बर आने पर डिप्रेशन का शिकार हो रहे हैं. राजधानी भोपाल में एक हफ्ते प्रतिदिन एक मामला आत्महत्या का दर्ज किया गया है. बीते दिनों 17 वर्षीय छात्रा ने फांसी लगाकर आत्महत्या की. इसी तरह बीबीए के छात्र ने परीक्षा में कम नम्बर आने पर आत्महत्या की इसी तरह राजधानी में प्रतिदिन आत्महत्या के मामले तेज़ी से बढ़ रहे है. वहीं रविवार को मां की डांट के कारण एक बच्ची ने फांसी लगा ली.

मनोचिकित्सक रूमा भट्टाचार्या

रूमा भट्टाचारिया का कहना है कि माता पिता भी बच्चो को पर्याप्त समय नहीं दे पाते. ऐसे में बच्चो के पास मनोरंजन के लिए केवल टीवी और स्मार्टफोन का ही सहारा बचता है और यह मनोरंजन का साधन मोबाइल फोन ही बच्चों के लिए हथियार बन जाता है. राजधानी भोपाल में 9 साल की बच्ची ने आत्महत्या के मामले पर मनोचिकित्सक की परिवार को सलाह दिया, कि बच्चों को ज़्यादा से ज़्यादा समय दें. कहीं न कही पेरेंटिंग की कमी के कारण ऐसे केस सामने आ रहे हैं.

इस तरह बढ़ रहे आत्महत्या के मामलों पर मनोचिकित्सक रूमा भट्टाचार्य का कहना है कि डिप्रेशन और आत्महत्या के मामले लॉकडाउन के बीच तेज़ी से बढ़े हैं. जुलाई माह से अब तक 2 हज़ार से ज़्यादा डिप्रेशन के मामलों पर कॉउंसलिंग चल रही है. मनोचिकित्सक ने बताया ज़्यादातर मामले बच्चों में मोबाइल फोन की लत के चलते बढ़े हैं. वहीं कई मामलों में वो पैरेंट्स की कमी मान रही हैं.

भोपाल। कोरोना संक्रमण के बीच लगे लॉकडाउन में तेज़ी बच्चों में डिप्रेशन के मामले बढ़े हैं. छोटे-छोटे बच्चे मोबाइल फोन के कारण या परीक्षा में कम नम्बर आने पर डिप्रेशन का शिकार हो रहे हैं. राजधानी भोपाल में एक हफ्ते प्रतिदिन एक मामला आत्महत्या का दर्ज किया गया है. बीते दिनों 17 वर्षीय छात्रा ने फांसी लगाकर आत्महत्या की. इसी तरह बीबीए के छात्र ने परीक्षा में कम नम्बर आने पर आत्महत्या की इसी तरह राजधानी में प्रतिदिन आत्महत्या के मामले तेज़ी से बढ़ रहे है. वहीं रविवार को मां की डांट के कारण एक बच्ची ने फांसी लगा ली.

मनोचिकित्सक रूमा भट्टाचार्या

रूमा भट्टाचारिया का कहना है कि माता पिता भी बच्चो को पर्याप्त समय नहीं दे पाते. ऐसे में बच्चो के पास मनोरंजन के लिए केवल टीवी और स्मार्टफोन का ही सहारा बचता है और यह मनोरंजन का साधन मोबाइल फोन ही बच्चों के लिए हथियार बन जाता है. राजधानी भोपाल में 9 साल की बच्ची ने आत्महत्या के मामले पर मनोचिकित्सक की परिवार को सलाह दिया, कि बच्चों को ज़्यादा से ज़्यादा समय दें. कहीं न कही पेरेंटिंग की कमी के कारण ऐसे केस सामने आ रहे हैं.

इस तरह बढ़ रहे आत्महत्या के मामलों पर मनोचिकित्सक रूमा भट्टाचार्य का कहना है कि डिप्रेशन और आत्महत्या के मामले लॉकडाउन के बीच तेज़ी से बढ़े हैं. जुलाई माह से अब तक 2 हज़ार से ज़्यादा डिप्रेशन के मामलों पर कॉउंसलिंग चल रही है. मनोचिकित्सक ने बताया ज़्यादातर मामले बच्चों में मोबाइल फोन की लत के चलते बढ़े हैं. वहीं कई मामलों में वो पैरेंट्स की कमी मान रही हैं.

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