भोपाल। सरहद पर जिस तरह जवान मुस्तैदी से दुश्मन को करारा जवाब दे रहे हैं, उसी तरह इस समय डॉक्टर, पैरामेडिकल स्टाफ भी अस्पतालों में कोरोना के खिलाफ जंग लड़ा रहे हैं. अपनी जान की परवाह किए बगैर दिन-रात काम में जुटे हैं. ताकि हमें कोरोना छू ना सके और स्वस्थ समाज बना रहे.
इस समय हमारे कोरोना योद्धा जूनियर डॉक्टर्स एक अनदेखे दुश्मन से जंग लड़ रहे हैं. अपनी पढ़ाई और प्रैक्टिस छोड़कर लोगों की सेवा में लगे हैं पर अब इन जूनियर डॉक्टर्स के सामने भी एक बड़ी समस्या आ गई है क्योंकि अगले महीने यानी जुलाई में पोस्ट ग्रेजुशन की परीक्षाएं हैं पर इन योद्धाओं को गर्व है कि वो ऐसे समय में शासन के साथ मिलकर इस युद्ध को लड़ रहे हैं.
गांधी मेडिकल कॉलेज के जूनियर डॉक्टर का कहना है कि अपने फर्ज के साथ थोड़ी चिंता भी है कि अगर कोई इस बीच संक्रमित हो गया तो उसकी परीक्षा का क्या होगा. लेकिन इन सब के बावजूद आत्मबल गिरा नहीं है.
वहीं आने वाली परीक्षाओं के लिए जूनियर डॉक्टर्स को कॉलेज प्रबंधन और टीचर्स की ओर से क्या मदद मिल सकती है इस बारे में मेडिकल टीचर्स एसोसिएशन के सचिव डॉ राकेश मालवीय का कहना है कि ऐसे समय में कॉलेज प्रबंधन और मेडिकल टीचर्स की ओर से उन्हें पूरा सहयोग दिया जाएगा.
भोपाल के गांधी मेडिकल कॉलेज के करीब 400 जूनियर डॉक्टर्स की ड्यूटी कोविड-19 मरीजों के इलाज के लिए लगाई जा रही है. ऐसे में अपने फर्ज के आगे परीक्षा के लिए समय निकालना बेहद मुश्किल भरा है वो भी तब जब 8 से 10 घंटे की ड्यूटी होती है. सवाल उन जूनियर डॉक्टरों की जिंदगी का भी है जो कोरोना संक्रमित हो चुके हैं और परीक्षा नहीं दे सकते.