भोपाल। कोरोना काल में किराए से रहने वाले लोगों को भी काफी परेशानियों का सामना करना पड़ा है. खासतौर से वह परिवार जिनके परिवार के सदस्य कोरोना पॉजिटिव आए हैं या पॉजिटिव व्यक्ति के संपर्क में आने के बाद होम क्वारंटाइन हुए हों.
कुछ लोग ऐसे भी थे जो इस दौरान भी अपने परिवार के साथ रोजी रोटी के लिए कोरोना काल में भी काम कर रहे थे. ईटीवी भारत ने एक ऐसे परिवार के व्यक्ति से बात की जिनके परिवार में एक शख्स कोरोना संक्रमित पाया गया था. जिसके बाद उन्हें मकान मालिक ने घर खाली करने के लिए कहा क्योंकि उन्हें कोरोना संक्रमण का डर था. उन्होंने संक्रमित शख्स के परिवार से घर खाली करवाया. जिसके बाद उस समय संक्रमित शख्स के परिवार को मानसिक तनाव का सामना करना पड़ा. क्योंकि उनके भाई अस्पताल में भर्ती थे, और उसी समय उन्हें घर भी बदलना था. परिवार के ही सन्तोष साहू का कहना कि ऐसे महामारी के समय लोगों को एक दूसरे की सहायता करनी चाहिए ना कि घबराकर लोगों से दूरी बनानी चाहिए.
वहीं दूसरी तरफ एक तस्वीर वह भी है जिन्होंने अपने घर में रह रहे एक किराएदार को कोरोना काल में पूरा सपोर्ट किया. राजेंद्र सिंघई है एक रिटायर्ड सरकारी कर्मचारी हैं जिनके घर में भी किराए पर एक परिवार रहता था और अक्सर नौकरी के कारण उनके बेटे को घर से बाहर जाना पड़ता था. ऐसे में कई कोरोना मरीजों के संपर्क में आने के बावजूद भी उन्होंने सावधानी बरतते हुए उस समय को निकाला ताकि परिवार के लोग भी सुरक्षित रहे और किसी का कोई मानसिक दबाव उन पर ना हो.
सिंघई का कहना है कि उस समय में उनके आस-पास रहने वाले लोग भी उन पर दबाव बनाते थे कि, आप घर खाली करवा लो क्योंकि आपके घर में रहने वाले व्यक्ति कोरोना पाॅजिटिव के सम्पर्क में रहे हैं और काॅलोनी वालों को भी संक्रमण का खतरा है. लेकिन हमने उस समय उस परिवार को मानसिक दबाव से बचाया और मोरल स्पोर्ट किया. जिससे पिछले 4 महीनों में ना तो वो व्यक्ति कोरोना संक्रमित हुए और ना ही हमारे परिवार के लोगों पर कोई प्रभाव पड़ा. इसलिए मुश्किल दौर में सभी को एक दूसरे की सहायता करना चाहिए.
भोपाल शहर में करीब दो लाख से ज्यादा लोग या परिवार किराए पर रहते हैं लेकिन कोरोना वायरस के चलते ज्यादातर छात्र-छात्राएं या अन्य छोटे-मोटे काम करने वाले लोग अपने घरों की तरफ रवाना हो गए थे. उसके बावजूद भी कई परिवार ऐसे थे जो एसेंशियल सर्विस में थे या जिनकी नौकरी चल रही थी. उन लोगों ने इस दौर में अपनी सोसाइटी कॉलोनी या मकान मालिक के दबाव के चलते अपने घर खाली किए हैं.