भोपाल। कोरोना संक्रमण के चलते लॉकडाउन किया गया है, जिससे वर्ग के लोग इन दिनों परेशान हैं. हर वर्ग आर्थिक तंगी का सामना कर रहा है, ऐसे में यात्री बसें जो सुबह से रात तक राजधानी की सड़कों पर दौड़ती थी. वो भी बंद बंद पड़ी हैं, जिसकी वजह से बस ड्राइवरों के सामने भी बड़ा संकट खड़ा हो गया है. ऊपर से बसें खड़े-खड़े खराब हो रही हैं. बसों में जंग लग रही है. जिसकी वजह से जब बस को चालू किया जाएगा तो उसमें हजारों रुपए खर्च आएगा. ऐसे में ड्राइवरों की दिक्कत ये है कि लॉकडाउन के चलते किसी प्रकार की कोई कमाई नहीं हो रही है और जब लॉकडाउन खुलेगा, बस चलाने का टाइम आएगा तो उससे पहले बस पर हजारों रुपए लगाने पड़ेंगे.
निजी बस चालकों की रोजी-रोटी इन्हीं बसों से चलती थी, आज शहर में आम जनता की आवाजाही बंद है. जिसकी वजह से बसें भी बंद हैं. ड्राइवरों का कहना है कि पिछले दो माह से खड़े-खड़े बसों में जंग लग गई है. जब रोजाना बसें चलती थी ते बसों में हर हफ्ते कोई न कोई नया काम कराना पड़ता था, लेकिन अब जब बसें 2 माह से बंद हैं. ऐसे में जब लॉकडाउन खुलेगा और बसों को दोबारा चालू किया जाएगा तो उसमें हजारों रुपए का खर्च आएगा.
वैसे शहर में फंसे प्रवासी मजदूरों के लिए सरकारी बसें शुरू हो चुकी हैं, जिससे इन कंपनी में काम करने वाले ड्राइवरों को कंपनी से मदद मिल जाती है, लेकिन निजी बस चालकों को न सरकार से मदद मिल रही है और न ही बसें चल रही हैं. जिसकी वजह से आमदनी बंद है, ऐसे में लॉकडाउन निजी बस चालकों के लिए साल भर की मुसीबत लेकर आया है.
बस ड्राइवरों के घर में राशन पानी समेत हर चीज की समस्या आने लगी है, जो पहले कभी नहीं हुआ क्योंकि बसों से अच्छी तरह से घर चल जाता था, इसमें कई ड्राइवर और बस मालिक ऐसे भी हैं, जिनकी हर महीने की ईएमआई जाती है, जिन्होंने बस खरीदी थी और उसकी ईएमआई आज भी भर रहे हैं, उन लोगों के लिए लॉकडाउन में गुजारा करना बेहद मुश्किल हो गया है.