भोपाल। जेल को सजा काटने की जगह के तौर पर देखा जाता है, लेकिन इसका असल मकसद अपराधियों को सुधारना होता है. ओपन जेल के नाम से यही विचार आता है कि कोई जेल ओपन कैसे हो सकती है. दरअसल, ये जेल ऐसी होती हैं जिनमें दीवारें, सलाखे और ताले नहीं होते. यहां सुरक्षा व्यवस्था भी कम होती है. इन जेलों में उन कैदियों को रखा जाता है, जिनका व्यवहार अच्छा हो और जो नियमों पर खरा उतरते हैं. यहां रखे जाने वाले कैदी खेती आदि कर पैसे कमा सकते हैं और अपने परिवार के साथ रह सकते हैं.
भोपाल ओपन जेल में रहने वाले जगदीश पिछले 2 सालों से सेंट्रल जेल के बाहर ही चाय नाश्ते की दुकान लगाते हैं. जगदीश ने हत्या के आरोप में 14 साल जेल में सजा काटी है और साल 2018 से ओपन जेल में रहने के लिए आवेदन दिया था. चयन होने के बाद से ही जगदीश और उसका परिवार ओपन जेल में रह रहा है. चाय नाश्ते की दुकान से जो आमदनी होती है. उसी से जगदीश का घर चलता है.
परिवार के साथ सुख और काम करने की आजादी
जगदीश ने ईटीवी भारत से खास बातचीत में बताया कि ओपन जेल में रहकर उसने कई काम सीखे हैं. जगदीश ने बताया कि ओपन जेल में रहने वाले कैदी अलग-अलग काम करते हैं और कोई ऑटो चला रहा है तो कोई सब्जी की दुकान लगाता है. इतना ही नहीं कुछ कैदी तो नौकरी भी कर रहे हैं और अपने परिवार का पूरा खर्च उठा रहे हैं.
प्रदेश में है 6 ओपन जेल
मध्य प्रदेश में 6 ओपन जेल में संचालित की जाती है. ओपन जेलों में कुल 94 कैदी अपने परिवार के साथ रह रहे हैं. मध्य प्रदेश की ओपन जेल में रहने के लिए हर साल करीब 400 से 500 आवेदन जेल विभाग के पास पहुंचते हैं. भोपाल की ओपन जेल में कुल 14 कैदी अपने परिवार के साथ रह रहे हैं और नौकरियां छोटा-मोटा कारोबार कर अपने परिवार का पालन पोषण कर रहे हैं.
यह है ओपन जेल का कंसेप्ट
मध्यप्रदेश में भोपाल, इंदौर, जबलपुर, सागर, होशंगाबाद और सतना में ओपन जेल संचालित की जा रही है. इन जेलों को बनाने के पीछे सरकार और जेल विभाग का उद्देश्य है कि कैदी सजा काटने के बाद समाज से जुड़कर ठीक ढंग से अपना जीवन यापन कर सकें. इसलिए उन्हें एक मौका दिया जाता है. साथ ही ओपन जेल में घर की तरह ही परिवार के सदस्य भी रह सकते हैं. जिससे परिवार और बच्चों के साथ कैदी समय गुजार सकें और कोई काम या नौकरी कर परिवार का पालन पोषण कर सके. इसके अलावा एक मुख्य उद्देश्य यह भी है कि जेल से बाहर आने के बाद कैदी कहीं फिर से अपराध की दुनिया में ना लौट जाए. इसलिए उसे परिवार के साथ रखकर काम या नौकरी करने की सलाह दी जाती है. वहीं जेल विभाग भी कैदियों को स्थापित करने के लिए पूरे प्रयास करता है.
ओपन जेल के लिए कैदियों का होता है चयन
ओपन जेल में रहने के लिए कैदियों को जेल विभाग को आवेदन देना होता है. इसके बाद विभाग इन आवेदनों के जरिए कैदियों का चयन करते हैं. हालांकि ज्यादातर उन्हीं कैदियों को ओपन जेल में रखा जाता है जिनका सजा के दौरान जेल में अच्छा आचरण होता है या फिर उनकी सजा खत्म होने में 1 या 2 साल का समय बचा हो.
हर साल आते हैं 400 से 500 आवेदन
जेल विभाग के अधिकारियों ने बताया कि मध्य प्रदेश की ओपन जेल में कुल 94 कैदियों को रखने की क्षमता है. इसके अलावा छिंदवाड़ा में भी एक ओपन जेल खोले जाने का प्रस्ताव है. हर साल 15 अगस्त पर कैदियों से आवेदन मांगे जाते हैं. जिसमें करीब 400 से 500 आवेदन आते हैं. लेकिन इनमें से कुछ ही कैदियों का चयन किया जाता है. भोपाल ओपन जेल में कुल 14 कैदी फिलहाल अपने परिवार के साथ रह रहे हैं.
बाहर निकलकर जी रहे आम जिंदगी
कहते हैं अपराध से घृणा करो अपराधी से नहीं की सोच के साथ मध्य प्रदेश सरकार और जेल विभाग जेल में सजा काट रहे कैदियों को सुधरने और जेल से बाहर निकल कर एक अच्छा जीवन जीने का मौका देते हैं. ओपन जेल में रहने वाले कैदियों को किसी तरह का प्रतिबंध नहीं होता है. वह कहीं भी आ जा सकते हैं. लेकिन नगर निगम सीमा से बाहर जाने से पहले उन्हें जेल विभाग से अनुमति लेनी होती है. ओपन जेल में रहने वाले अधिकांश कैदी आज बाहर निकल कर अच्छा जीवन जी रहे हैं और अपने परिवार का पालन पोषण भी कर रहे हैं.