भोपाल। ग्रामीण क्षेत्र में रहने वाले हजारों लोग ऐसे हैं, जो आज भी अपनी भूमि का मालिकाना हक प्राप्त करने के लिए परेशान हो रहे हैं, लेकिन अब प्रदेश सरकार ने ऐसे लोग, जिनके पास अपनी भूमि को लेकर कोई मालिकाना दस्तावेज नहीं है और ना ही ऐसे लोगों का राजस्व रिकॉर्ड में उल्लेख है, उन्हें मालिकाना हक देने की तैयारी कर ली है.
राजस्व एवं परिवहन मंत्री गोविंद सिंह राजपूत ने मंत्रालय में राजस्व विभाग की इस संबंध में समीक्षा बैठक की. बैठक के दौरान मंत्री गोविंद सिंह ने इस संबंध में पूरी तैयारी करने के लिए अधिकारियों को निर्देशित किया, दरअसल स्वामित्व योजना के तहत ग्रामीण क्षेत्रों के लोगों को मालिकाना हक दिया जाएगा. इस योजना की शुरुआत 2 अक्टूबर को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी करेंगे.
इस समीक्षा बैठक के दौरान गोविन्द सिंह राजपूत ने कहा कि, स्वामित्व योजना का शुभारंभ प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और सीएम शिवराज सिंह चौहान 2 अक्टूबर को करेंगे. इस योजना के तहत ग्रामीण क्षेत्रों के आबादी एरिया में निवासरत ऐसे लोग, जिनके पास कोई मालिकाना दस्तावेज नहीं है और ना ही उनका राजस्व रिकॉर्ड में उल्लेख है, उन्हें जमीन का मालिकाना हक दिया जाएगा. इसके साथ ही राजस्व मंत्री ने कहा कि, यह योजना प्रदेश के 3 जिलों सीहोर, हरदा और डिंडोरी के 11-11 गांवों में शुरु की जाएगी, ताकी गांव की संपत्तियों का रिकॉर्ड तैयार किया जा सके.
वहीं आबादी क्षेत्र में निवासरत ग्रामीणों को उनकी भूमि का स्वामित्व प्राप्त होगा, जिससे बैंक से ऋण, संपत्ति बंटवारा और विक्रय करना सरल होगा. बता दें, पहले चरण में मध्यप्रदेश के 10 जिलों में 10 हजार गांव का सर्वे का लक्ष्य रखा गया है.
गोविंद सिंह राजपूत ने बताया कि, आमजन को भू-अभिलखों की नकल सहज उपलब्ध कराने एवं भूमि के संपूर्ण रिकॉर्ड सुरक्षित रखने के उद्देश्य से अभिलेखों का डिजिटाइजेशन किया जा रहा है, जिससे खसरा, बी-1, अधिकार अभिलेख, मिसल-बंदोबस्त, निस्तार पत्रक, रि-नंबरिंग सूची और वाजिब उल अर्ज संबंधी अभिलेखों की नकल 24 घंटे ऑनलाइन पर उपलब्ध रहेंगी. जिसमें लगभग 15 करोड़ पुराने अभिलेखों का डिजिटाइजेशन किया जाएगा. आगर-मालवा में डिजिटाइजेशन का काम शुरु किया जा चुका है.
राजस्व मंत्री ने बताया कि, भूमि का सीमांकन किसानों की बड़ी समस्या रही है, जिसके कारण उनमें प्रायः विवाद की स्थिति बनती रहती है. वहीं भूमि को कोर्स पद्धति के द्वारा सीमांकन सटीक और सरल हो जाएगा, जिसमें लगभग 90 तहसीलों में नेटवर्क टावर लगाए जाएंगे. इस योजना के क्रियान्वयन से समय की बचत होगी, साथ ही खराब मौसम और बोई हुई फसल के समय भी भूमि का सीमांकन किया जा सकेगा.
राजस्व मंत्री ने बताया कि, अभी तक किसानों को बैंक लोन के लिए कलेक्ट्रेट, पटवारी, बैंक आदि के चक्कर लगाने पड़ते थे. लेकिन अब शासन ने भूमि बंधक प्रक्रिया को ऑनलाइन कर दिया है, जिससे अब नागरिकों को बैंक में जाकर सिर्फ आवेदन करना होगा और शेष प्रक्रिया बैंक ही करेगा. इसी प्रकार राजस्व संग्रहण की दृष्टि से लैंड रेवेन्यू एकाउंटिंग सिस्टम विकसित किया गया है, जिससे राजस्व आसानी से और पारदर्शी तरीके से संग्रहित किया जा सकेगा.
इसके साथ मंत्री ने बताया कि, अभी तक राजस्व न्यायालय में अलग-अलग शुल्क देना होता था. जिसके कारण काम में काफी समय लग जाता था, लेकिन अब आवेदक मात्र 100 रूपये शुल्क देकर जानकारी प्राप्त कर सकेंगे.