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जनजातीय संग्रहालय के अभिनयन में आज हुई आदिवासी लोक नृत्यों की प्रस्तुति

भोपाल स्थित जनजातीय संग्रहालय में प्रत्येक शुक्रवार आयोजित होने वाली अभिनयन श्रृंखला के अंतर्गत आदिवासी लोक कला एवं बोली विकास अकादमी द्वारा कोरकु गदली और थर्ड थापटी, गुडूमबजा, बधाई और नौरता की प्रस्तुति हुई.

presentation of tribal folk dances
आदिवासी लोक नृत्यों की प्रस्तुति
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Published : Nov 6, 2020, 10:14 PM IST

भोपाल। मध्य प्रदेश संस्कृति विभाग द्वारा मध्यप्रदेश जनजातीय संग्रहालय में आयोजित अभिनयन श्रृंखला के अंतर्गत आदिवासी लोक कला एवं बोली विकास अकादमी द्वारा जनजातीय सांस्कृतिक कार्यक्रमों का आयोजन किया गया, आज के कार्यक्रम में मंशाराम ने कोरकु गदली और थर्ड थापटी, दिनेश भरवे ने गुडूमबजा, दादू लाल दंडोतिया ने बधाई और नौरता की प्रस्तुति दी.

प्रस्तुति की शुरुआत भारिया जनजाति के सर्वाधिक लोकप्रिय समूह नृत्य भड़म से हुई. यह नृत्य भारियाओं द्वारा शादी विवाह के अवसर पर किया जाने वाला नृत्य है, इसमें ढोल, टिमकी वादक पहले घेरा बनाते हैं, घेरे के बीच का एक नर्तक लकड़ी उठाकर दोधरा गाता है.

कोरकु जनजाति नृत्य की प्रस्तुति के अंतर्गत गदली नृत्य में स्त्री के एक हाथ में चिटकोला तथा दूसरे हाथ में रुमाल और पुरुष के हाथ में घुंघरू वाला घुंघरूमाला और पंखा होता है. ढोलक की लय और ताल पर नर्तक हाथों और पैरों की विभिन्न मुद्राओं को बनाते हुए गोल गहरे में नृत्य करते हैं.

बुंदेलखंड अंचल में जन्म, विवाह और तीज त्योहारों के अवसर पर बधाई नृत्य किया जाता है, इस नृत्य में स्त्री एवं पुरुष दोनों ही उमंग से भरकर नृत्य करते हैं. गुडूमबजा गोंड जनजाति की उपजाति ढुलिया का पारंपरिक नृत्य है. कलाकारों द्वारा गुदुम वाद्य, मंजीरा, शहनाई, टिमकी आदि वाद्यों से जनजाति के पारंपरिक गीतों की धुनों पर वादन और नृत्य करते हैं.

भोपाल। मध्य प्रदेश संस्कृति विभाग द्वारा मध्यप्रदेश जनजातीय संग्रहालय में आयोजित अभिनयन श्रृंखला के अंतर्गत आदिवासी लोक कला एवं बोली विकास अकादमी द्वारा जनजातीय सांस्कृतिक कार्यक्रमों का आयोजन किया गया, आज के कार्यक्रम में मंशाराम ने कोरकु गदली और थर्ड थापटी, दिनेश भरवे ने गुडूमबजा, दादू लाल दंडोतिया ने बधाई और नौरता की प्रस्तुति दी.

प्रस्तुति की शुरुआत भारिया जनजाति के सर्वाधिक लोकप्रिय समूह नृत्य भड़म से हुई. यह नृत्य भारियाओं द्वारा शादी विवाह के अवसर पर किया जाने वाला नृत्य है, इसमें ढोल, टिमकी वादक पहले घेरा बनाते हैं, घेरे के बीच का एक नर्तक लकड़ी उठाकर दोधरा गाता है.

कोरकु जनजाति नृत्य की प्रस्तुति के अंतर्गत गदली नृत्य में स्त्री के एक हाथ में चिटकोला तथा दूसरे हाथ में रुमाल और पुरुष के हाथ में घुंघरू वाला घुंघरूमाला और पंखा होता है. ढोलक की लय और ताल पर नर्तक हाथों और पैरों की विभिन्न मुद्राओं को बनाते हुए गोल गहरे में नृत्य करते हैं.

बुंदेलखंड अंचल में जन्म, विवाह और तीज त्योहारों के अवसर पर बधाई नृत्य किया जाता है, इस नृत्य में स्त्री एवं पुरुष दोनों ही उमंग से भरकर नृत्य करते हैं. गुडूमबजा गोंड जनजाति की उपजाति ढुलिया का पारंपरिक नृत्य है. कलाकारों द्वारा गुदुम वाद्य, मंजीरा, शहनाई, टिमकी आदि वाद्यों से जनजाति के पारंपरिक गीतों की धुनों पर वादन और नृत्य करते हैं.

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