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यौन अपराध रोकने के लिए स्कूली सिलेबस में कानून का पाठ शामिल कराने की तैयारी - मध्यप्रदेश में नाबालिग से हो रहे रेप

मध्यप्रदेश में नाबालिग से हो रहे रेप के मामले रोकने के लिए अब पुलिस नवाचार करने जा रही है. पुलिस की योजना स्कूली सिलेबस में कानून का पाठ पढ़ाने की है. पुलिस का मानना है कि इससे बच्चे कानून की नजर से भी अच्छा-बुरा समझ सकेंगे. कोई भी गलत कदम उठाने से पहले इसको भी ध्यान में रख सकेंगे. (law lessons in school syllabus) (Include law lessons in syllabus)

Include law lessons in syllabus
स्कूली सिलेबस में कानून का पाठ
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Published : Apr 21, 2022, 7:58 PM IST

भोपाल। नाबालिग बच्चियों के यौन शोषण की घटनाओं में कमी लाने के लिए मध्यप्रदेश पुलिस अब बच्चों को कानून का पाठ पढ़ाने की तैयारी कर रही है. कानून का यह पाठ कक्षा 9 वीं से 12 वीं तक के सिलेबस में शामिल कराने पर विचार किया जा रहा है. इसके लिए पुलिस मुख्यालय की महिला सेल द्वारा एक प्रस्ताव तैयार किया जा रहा है, जिसे जल्द ही शासन को सौंपा जाएगा ताकि युवावस्था में कदम रख रहे बच्चों को कानून के बारे में बताया जा सके और वह समझ सकें कि उनकी किन नासमझी और शरारतों से वे कानूनी तौर पर किन मुश्किलों में पड़ सकते हैं.

पुलिस मुख्यालय ने बनाया प्लान : पुलिस अधिकारियों का मानना है कि लोगों में कानून की जानकारी और डर होना बहुत जरूरी है ताकि वे समझ सकें कि उनके किस कृत्य की कानूनन उन्हें क्या सजा मिल सकती है. बचपन में यह उन्हें समझ आ जाए तो बड़े होने पर भी वे ऐसा कोई गलत कदम उठाने से डरेंगे. इसको ध्यान में रखते हुए पुलिस मुख्यालय की महिला अपराध शाखा द्वारा इसका प्रस्ताव तैयार कराया जा रहा है. इसमें बच्चों को आसान भाषा में कानून के बारे में कैसे बताया जा सकता है, साथ ही किस अपराध की कानून में क्या सजा निर्धारित है, इसके बारे में बताया जाएगा. इस बारे में प्रस्ताव तैयार कर जल्द ही शासन को भेजा जाएगा. पुलिस मुख्यालय कानून के इस पाठ को पाठ्यक्रम में शामिल कराने की तैयारी कर रही है. महिला शाखा की एडीजी प्रज्ञा ऋचा श्रीवास्तव के मुताबिक हमारा विचार है कि कानून के बारे में बच्चों को बताया जाए और इसे कक्षा 9 से सिलेबस में शामिल किया जाए, ताकि युवावस्था में कदम रख रहे बच्चे कानून की नजर से भी अच्छा-बुरा समझ सकें और वे नासमझी में कोई भी गलत कदम उठाने से पहले इसको भी ध्यान में रख सकें.

बेटी की प्रताड़ना से परेशान बुजुर्ग दंपत्ति ने पुलिस से लगाई मदद की गुहार, मकान पर कब्जा करने के लिए गुंडों से पिटवाया

मध्यप्रदेश में महिला अपराधों का ग्राफ चिंताजनक : मध्यप्रदेश में महिला अपराधों का ग्राफ कम होने का नाम नहीं ले रहा है. एनसीआरबी के आंकड़ों के हिसाब से देखा जाए तो पॉस्को अधिनियम के तहत देशभर में 47 हजार 221 मामले दर्ज किए गए हैं. इसमें देशभर में मध्यप्रदेश तीसरे स्थान पर है. मध्यप्रदेश में साल 2020 में 5648 मामले दर्ज किए गए. हालांकि बच्चों से अपराध के मामले में प्रदेश सरकार द्वारा सख्त कार्रवाई की जा रही है, लेकिन इसके बाद भी घटनाएं लगातार सामने आ रही हैं. ऐसी कई घटनाओं में नाबालिग भी आरोपी होते हैं. रिटायर्ड अधिकारियों का कहना है कि यह बहुत अच्छा कदम है. बच्चों को कानून की जानकारी देने की तैयारियों का पुलिस के रिटायर्ड अधिकारियों ने भी स्वागत किया है. रिटायर्ड डीजी अरूण गुर्टू के मुताबिक लिव इन को लेकर हाईकोर्ट ने हाल में टिप्पणी की है. बच्चों से जुड़े अपराध लगातार सामने आ रहे हैं, सायबर अपराध भी लगातार बढ़ रहे हैं. हालांकि ऐसे मामलों में कार्रवाई होती है, लेकिन बच्चों को यदि स्कूलों में ही कानून की धाराओं के बारे में बताया जाए तो निश्चिततौर पर भविष्य में इसका सकारात्मक परिणाम दिखाई देगा. (law lessons in school syllabus) (Include law lessons in syllabus)

भोपाल। नाबालिग बच्चियों के यौन शोषण की घटनाओं में कमी लाने के लिए मध्यप्रदेश पुलिस अब बच्चों को कानून का पाठ पढ़ाने की तैयारी कर रही है. कानून का यह पाठ कक्षा 9 वीं से 12 वीं तक के सिलेबस में शामिल कराने पर विचार किया जा रहा है. इसके लिए पुलिस मुख्यालय की महिला सेल द्वारा एक प्रस्ताव तैयार किया जा रहा है, जिसे जल्द ही शासन को सौंपा जाएगा ताकि युवावस्था में कदम रख रहे बच्चों को कानून के बारे में बताया जा सके और वह समझ सकें कि उनकी किन नासमझी और शरारतों से वे कानूनी तौर पर किन मुश्किलों में पड़ सकते हैं.

पुलिस मुख्यालय ने बनाया प्लान : पुलिस अधिकारियों का मानना है कि लोगों में कानून की जानकारी और डर होना बहुत जरूरी है ताकि वे समझ सकें कि उनके किस कृत्य की कानूनन उन्हें क्या सजा मिल सकती है. बचपन में यह उन्हें समझ आ जाए तो बड़े होने पर भी वे ऐसा कोई गलत कदम उठाने से डरेंगे. इसको ध्यान में रखते हुए पुलिस मुख्यालय की महिला अपराध शाखा द्वारा इसका प्रस्ताव तैयार कराया जा रहा है. इसमें बच्चों को आसान भाषा में कानून के बारे में कैसे बताया जा सकता है, साथ ही किस अपराध की कानून में क्या सजा निर्धारित है, इसके बारे में बताया जाएगा. इस बारे में प्रस्ताव तैयार कर जल्द ही शासन को भेजा जाएगा. पुलिस मुख्यालय कानून के इस पाठ को पाठ्यक्रम में शामिल कराने की तैयारी कर रही है. महिला शाखा की एडीजी प्रज्ञा ऋचा श्रीवास्तव के मुताबिक हमारा विचार है कि कानून के बारे में बच्चों को बताया जाए और इसे कक्षा 9 से सिलेबस में शामिल किया जाए, ताकि युवावस्था में कदम रख रहे बच्चे कानून की नजर से भी अच्छा-बुरा समझ सकें और वे नासमझी में कोई भी गलत कदम उठाने से पहले इसको भी ध्यान में रख सकें.

बेटी की प्रताड़ना से परेशान बुजुर्ग दंपत्ति ने पुलिस से लगाई मदद की गुहार, मकान पर कब्जा करने के लिए गुंडों से पिटवाया

मध्यप्रदेश में महिला अपराधों का ग्राफ चिंताजनक : मध्यप्रदेश में महिला अपराधों का ग्राफ कम होने का नाम नहीं ले रहा है. एनसीआरबी के आंकड़ों के हिसाब से देखा जाए तो पॉस्को अधिनियम के तहत देशभर में 47 हजार 221 मामले दर्ज किए गए हैं. इसमें देशभर में मध्यप्रदेश तीसरे स्थान पर है. मध्यप्रदेश में साल 2020 में 5648 मामले दर्ज किए गए. हालांकि बच्चों से अपराध के मामले में प्रदेश सरकार द्वारा सख्त कार्रवाई की जा रही है, लेकिन इसके बाद भी घटनाएं लगातार सामने आ रही हैं. ऐसी कई घटनाओं में नाबालिग भी आरोपी होते हैं. रिटायर्ड अधिकारियों का कहना है कि यह बहुत अच्छा कदम है. बच्चों को कानून की जानकारी देने की तैयारियों का पुलिस के रिटायर्ड अधिकारियों ने भी स्वागत किया है. रिटायर्ड डीजी अरूण गुर्टू के मुताबिक लिव इन को लेकर हाईकोर्ट ने हाल में टिप्पणी की है. बच्चों से जुड़े अपराध लगातार सामने आ रहे हैं, सायबर अपराध भी लगातार बढ़ रहे हैं. हालांकि ऐसे मामलों में कार्रवाई होती है, लेकिन बच्चों को यदि स्कूलों में ही कानून की धाराओं के बारे में बताया जाए तो निश्चिततौर पर भविष्य में इसका सकारात्मक परिणाम दिखाई देगा. (law lessons in school syllabus) (Include law lessons in syllabus)

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