ETV Bharat / state

सत्ता का सेमीफाइनल! एमपी के रण में आमने-सामने बीजेपी-कांग्रेस, जिताऊ चेहरों की तलाश, दोनों के अपने-अपने दावे

केंद्रीय चुनाव आयोग ने जब से उपचुनाव की तारीखों का एलान किया है, तब से सियासी गलियारे की हलचल तेज हो गई है, साथ ही टिकट के दावेदारों की दौड़ भी भोपाल से बढ़कर दिल्ली तक हो गई है. खंडवा लोकसभा सीट से बीजेपी के हर्षवर्धन के मुकाबले कांग्रेस अरुण यादव पर दांव लगा सकती है, जबकि कांग्रेस का गढ़ भेदने में बीजेपी इस बार कोई कसर नहीं छोड़ रही है. अरुण यादव का नाम लगभग तय माना जा रहा है, दिग्विजय सिंह ने तो उन्हें बधाई भी दे दी है.

Preparation for MP assembly by-election of BJP Congress
उपचुनाव की तैयारी
author img

By

Published : Sep 30, 2021, 5:03 PM IST

Updated : Oct 1, 2021, 11:50 AM IST

भोपाल। मध्यप्रदेश की तीन विधानसभा और एक लोकसभा सीट पर उपचुनाव के लिए चुनाव आयोग ने शंखनाद कर दिया है, दोनों दलों के क्षत्रप आमने-सामने हैं, एक तरफ सेनापति पूर्व मुख्यमंत्री कमलनाथ हैं तो दूसरी तरफ खुद मुख्यमंत्री शिवराज सिंह मोर्चा संभाल रहे हैं, लेकिन दोनों ही सेनापति अपने भरोसेमंद मोहरों के नाम वाले पत्ते नहीं खोल रहे हैं, यही वजह है कि बस कयास ही लगाए जा रहे हैं कि कौन किस मैदान में किसके सामने होगा. वहीं बुधवार को ही बीजेपी ने नगरीय प्रशासन मंत्री भूपेंद्र सिंह को उपचुनाव की जिम्मेदारी सौंपी थी, जबकि कांग्रेस ने मुकेश नायक और राजकुमार पटेल को उपचुनाव की जिम्मेदारी सौंपी है. कुल मिलाकर कांग्रेस ने बीजेपी के एक प्रभारी के जवाब में दो प्रभारी बनाया है. दिग्विजय सिंह ने तो अरुण यादव को ट्वीट कर बधाई भी दे दी है.

एमपी विधानसभा उपचुनाव के लिए मैदान में 'महारथी', बीजेपी के एक के बदले कांग्रेस ने बनाए दो प्रभारी!

खंडवा सीट पर सेंध लगाने की ताक में बीजेपी-कांग्रेस

प्रदेश की खंडवा लोकसभा सीट पर होने वाले उपचुनाव में बीजेपी की तरफ से दिवंगत सांसद नंद कुमार सिंह चौहान के बेटे हर्षवर्धन सिंह चौहान के नाम की चर्चा है, जबकि कांग्रेस की ओर से पूर्व सांसद अरुण यादव को प्रबल दावेदार माना जा रहा है. वहीं बुरहानपुर से निर्दलीय विधायक सुरेंद्र सिंह शेरा और राजनारायण सिंह भी टिकट के लिए दौड़ लगा रहे हैं. ऐसे में अरुण यादव दिल्ली पहुंच चुके हैं, जहां वे प्रदेश अध्यक्ष कमलनाथ और प्रदेश प्रभारी मुकुल वासनिक से मुलाकात करेंगे. 1962 से अब तक हुए 15 चुनाव में इस सीट पर 8 बार भाजपा तथा बीएलडी और 7 बार कांग्रेस का कब्जा रहा है. नंदकुमार और अरुण यादव के बीच तीन बार मुकाबला हुआ था, इनमें दो बार अरुण यादव को हार का सामना करना पड़ा था, जबकि दिवंगत सांसद ने 6 बार खंडवा लोकसभा सीट का प्रतिनिधित्व किया.

कांग्रेस प्रवक्ता व पूर्व मंत्री का बयान

अपने सेनापति से मिलने दिल्ली पहुंचे अरुण यादव

पहले चर्चा थी कि अरुण यादव की उम्मीदवारी खटाई में पड़ सकती है, लेकिन जानकारों का कहना है कि खंडवा लोकसभा सीट से अरुण यादव को दमदार उम्मीदवार माना जा रहा है, कांग्रेस के कार्यकारी प्रदेश अध्यक्ष जीतू पटवारी का कहना है कि अरुण यादव को लेकर कोई असमंजस नहीं है, हो सकता है हाईकमान और कमलनाथ ने टिकट पर चर्चा को लेकर ही दिल्ली बुलाया हो, सही समय पर सभी कैंडिडेट डिक्लीयर कर दिये जाएंगे. सेनापति कमलनाथ ने उपचुनाव की तैयारी 3 महीने पहले ही शुरू कर दी थी. हालांकि, निर्दलीय विधायक सुरेंद्र सिंह शेरा भी दावेदारी के लिए दम लगा रहे हैं, जबकि शेरा नरोत्तम मिश्रा से भी मुलाकात कर चुके हैं.

टिकट के लिए भोपाल से दिल्ली तक दौड़ लगा रहे दावेदार

वहीं प्रदेश में तीन विधानसभा सीटों पर होने वाले उपचुनाव के लिए उम्मीदवारों पर महामंथन जारी है, एक-एक सीट पर कई-कई दावेदार भोपाल से दिल्ली तक दौड़ लगा रहे हैं, कुल मिलाकर उम्मीदवारों को चुनाव से पहले या जनता के बीच जाने से पहले दिल्ली दरबार में हाजिरी लगा रहे हैं क्योंकि इस चुनाव से पहले उस चुनाव को जीतना जरूरी है. कांग्रेस के 2 सीटों पर उम्मीदवार लगभग तय बताए जा रहे हैं, जबकि 2 अन्य सीटों पर छह से अधिक दावेदार मैदान में हैं. बीजेपी सांसद नंदकुमार सिंह चौहान के निधन से रिक्त हुई खंडवा लोकसभा सीट जीतने का कांग्रेस इस बार कोई मौका नहीं चूकना चाहती है. पिछले लोकसभा चुनाव में यहां से अरुण यादव चुनाव हार गए थे, अब उप चुनाव में कांग्रेस फिर से उन पर ही बाजी लगा सकती है.

पृथ्वीपुर में सहानुभूति की नाव पर सवार हो सकती है कांग्रेस

छतरपुर जिले की पृथ्वीपुर विधानसभा सीट पूर्व मंत्री बृजेंद्र सिंह के दबदबे वाली मानी जाती रही है, लेकिन कोरोना महामारी के दौरान उनके निधन से यह सीट भी खाली हो गई है. कांग्रेस चाहती है कि उनके परिवार से किसी को टिकट देकर सहानुभूति के वोट बटोरे, इसलिए बृजेंद्र सिंह राठौर के पुत्र नितेंद्र सिंह को उम्मीदवार बना सकती है, जबकि शिवराज सिंह ने जनदर्शन के दौरान वहां घोषणाओं की बारिश की थी, बीजेपी की अनीता नायक 2013 और 2018 तक विधायक रहीं, लेकिन वह ज्यादा सक्रिय नहीं रहीं. इस बार बीजेपी से गनेणी लाल दावेदारी जता रहे हैं, पर बीजेपी को 5 बार विधायक रहे बृजेन्द्र सिंह राठौर के परिवार से लड़ना है, जिन्हें कांग्रेस के इस गढ़ में सहानुभूति के वोट भी भरपूर मिलने की उम्मीद है.

क्या जोबट में काम आयेगा BJP का आदिवासी कार्ड!

अलीराजपुर जिले की जोबट विधानसभा सीट पर उपचुनाव से पहले सीएम शिवराज सिंह जनदर्शन के जरिए इमोशनल कार्ड खेल चुके हैं. मुख्यमंत्री अपने हेलीकॉप्टर में आदिवासी को बैठाकर ये संदेश देने की कोशिश किये थे कि यह सिर्फ शिव'राज' में ही संभव है कि पैदल चलने वाला सीधे हेलीकॉप्टर में बैठ गया. हालांकि, इस सीट पर आदिवासी संगठन जयस भी बीजेपी का खेल बिगाड़ेगा. कांग्रेस अगर यहां कांतिलाल भूरिया की पसंद का उम्मीदवार उतार देती है तो बीजेपी की मुश्किलें और बढ़ेंगी. तमाम कोशिशों के बावजूद बीजेपी यहां पर जीत हासिल नहीं कर पाई है, पिछले चुनाव में कांग्रेस की कलावती भूरिया ने यह सीट जीती थी, उनकी कोरोना से निधन होने की वजह से ही यह सीट खाली हुई है. कांग्रेस की तरफ से जोबट से सुलोचना रावत, महेश पटेल और दीपक भूरिया में से किसी एक पर पार्टी विचार कर सकती है, सुलोचना रावत इन सबमें सबसे आगे बताया जा रहा है.

रैगांव में बीजेपी-कांग्रेस के बीच कांटे का मुकाबला

सतना जिले की रैगांव विधानसभा सीट से कांग्रेस के टिकट पर 2018 में चुनाव लड़ी कल्पना वर्मा का नाम फाइनल कर सकती है, यह सीट भाजपा विधायक जुगल किशोर बागरी के निधन से रिक्त हुई है, कांग्रेस प्रवक्ता फिरोज सिद्दीकी का कहना है कि उपचुनाव को लेकर कांग्रेस पूरी तरह तैयार है. दिक्कत बीजेपी के साथ है क्योंकि बीजेपी उप चुनाव टालने के लिए कोर्ट का दरवाजा खटखटा चुकी है. सिद्दीकी ने कहा कि भाजपा के पास बहुत सी चुनौतियां हैं, दमोह के जनादेश की तरह ही इस उपचुनाव में भी जनता कांग्रेस का साथ देगी, जल्द ही कांग्रेस के उम्मीदवारों की सूची जारी होगी.

कमलनाथ के कामकाज को भुनाएगी कांग्रेस

कांग्रेस का कहना है कि 2018 के चुनाव में पीसीसी चीफ कमलनाथ का विशेष फोकस माइक्रो मैनेजमेंट पर था, जिसका फायदा पार्टी को मिला और प्रदेश में कांग्रेस की सरकार बनी थी. कमलनाथ सरकार के 15 महीने के कामकाज को जनता के सामने रखा जाएगा, साथ ही बढ़ती महंगाई, बेरोजगारी, पेट्रोल-डीजल और गैस की बढ़ी कीमतें चुनाव में प्रमुख मुद्दे रहेंगे. एमपी विधानसभा उपचुनाव के लिए 8 अक्टूबर से 13 अक्टूबर तक नामांकन, स्क्रूटनिंग और नाम वापसी ले सकेंगे उम्मीदवार, जबकि 30 अक्टूबर को मतदान होगा और 2 नवंबर को मतगणना होगी.

भोपाल। मध्यप्रदेश की तीन विधानसभा और एक लोकसभा सीट पर उपचुनाव के लिए चुनाव आयोग ने शंखनाद कर दिया है, दोनों दलों के क्षत्रप आमने-सामने हैं, एक तरफ सेनापति पूर्व मुख्यमंत्री कमलनाथ हैं तो दूसरी तरफ खुद मुख्यमंत्री शिवराज सिंह मोर्चा संभाल रहे हैं, लेकिन दोनों ही सेनापति अपने भरोसेमंद मोहरों के नाम वाले पत्ते नहीं खोल रहे हैं, यही वजह है कि बस कयास ही लगाए जा रहे हैं कि कौन किस मैदान में किसके सामने होगा. वहीं बुधवार को ही बीजेपी ने नगरीय प्रशासन मंत्री भूपेंद्र सिंह को उपचुनाव की जिम्मेदारी सौंपी थी, जबकि कांग्रेस ने मुकेश नायक और राजकुमार पटेल को उपचुनाव की जिम्मेदारी सौंपी है. कुल मिलाकर कांग्रेस ने बीजेपी के एक प्रभारी के जवाब में दो प्रभारी बनाया है. दिग्विजय सिंह ने तो अरुण यादव को ट्वीट कर बधाई भी दे दी है.

एमपी विधानसभा उपचुनाव के लिए मैदान में 'महारथी', बीजेपी के एक के बदले कांग्रेस ने बनाए दो प्रभारी!

खंडवा सीट पर सेंध लगाने की ताक में बीजेपी-कांग्रेस

प्रदेश की खंडवा लोकसभा सीट पर होने वाले उपचुनाव में बीजेपी की तरफ से दिवंगत सांसद नंद कुमार सिंह चौहान के बेटे हर्षवर्धन सिंह चौहान के नाम की चर्चा है, जबकि कांग्रेस की ओर से पूर्व सांसद अरुण यादव को प्रबल दावेदार माना जा रहा है. वहीं बुरहानपुर से निर्दलीय विधायक सुरेंद्र सिंह शेरा और राजनारायण सिंह भी टिकट के लिए दौड़ लगा रहे हैं. ऐसे में अरुण यादव दिल्ली पहुंच चुके हैं, जहां वे प्रदेश अध्यक्ष कमलनाथ और प्रदेश प्रभारी मुकुल वासनिक से मुलाकात करेंगे. 1962 से अब तक हुए 15 चुनाव में इस सीट पर 8 बार भाजपा तथा बीएलडी और 7 बार कांग्रेस का कब्जा रहा है. नंदकुमार और अरुण यादव के बीच तीन बार मुकाबला हुआ था, इनमें दो बार अरुण यादव को हार का सामना करना पड़ा था, जबकि दिवंगत सांसद ने 6 बार खंडवा लोकसभा सीट का प्रतिनिधित्व किया.

कांग्रेस प्रवक्ता व पूर्व मंत्री का बयान

अपने सेनापति से मिलने दिल्ली पहुंचे अरुण यादव

पहले चर्चा थी कि अरुण यादव की उम्मीदवारी खटाई में पड़ सकती है, लेकिन जानकारों का कहना है कि खंडवा लोकसभा सीट से अरुण यादव को दमदार उम्मीदवार माना जा रहा है, कांग्रेस के कार्यकारी प्रदेश अध्यक्ष जीतू पटवारी का कहना है कि अरुण यादव को लेकर कोई असमंजस नहीं है, हो सकता है हाईकमान और कमलनाथ ने टिकट पर चर्चा को लेकर ही दिल्ली बुलाया हो, सही समय पर सभी कैंडिडेट डिक्लीयर कर दिये जाएंगे. सेनापति कमलनाथ ने उपचुनाव की तैयारी 3 महीने पहले ही शुरू कर दी थी. हालांकि, निर्दलीय विधायक सुरेंद्र सिंह शेरा भी दावेदारी के लिए दम लगा रहे हैं, जबकि शेरा नरोत्तम मिश्रा से भी मुलाकात कर चुके हैं.

टिकट के लिए भोपाल से दिल्ली तक दौड़ लगा रहे दावेदार

वहीं प्रदेश में तीन विधानसभा सीटों पर होने वाले उपचुनाव के लिए उम्मीदवारों पर महामंथन जारी है, एक-एक सीट पर कई-कई दावेदार भोपाल से दिल्ली तक दौड़ लगा रहे हैं, कुल मिलाकर उम्मीदवारों को चुनाव से पहले या जनता के बीच जाने से पहले दिल्ली दरबार में हाजिरी लगा रहे हैं क्योंकि इस चुनाव से पहले उस चुनाव को जीतना जरूरी है. कांग्रेस के 2 सीटों पर उम्मीदवार लगभग तय बताए जा रहे हैं, जबकि 2 अन्य सीटों पर छह से अधिक दावेदार मैदान में हैं. बीजेपी सांसद नंदकुमार सिंह चौहान के निधन से रिक्त हुई खंडवा लोकसभा सीट जीतने का कांग्रेस इस बार कोई मौका नहीं चूकना चाहती है. पिछले लोकसभा चुनाव में यहां से अरुण यादव चुनाव हार गए थे, अब उप चुनाव में कांग्रेस फिर से उन पर ही बाजी लगा सकती है.

पृथ्वीपुर में सहानुभूति की नाव पर सवार हो सकती है कांग्रेस

छतरपुर जिले की पृथ्वीपुर विधानसभा सीट पूर्व मंत्री बृजेंद्र सिंह के दबदबे वाली मानी जाती रही है, लेकिन कोरोना महामारी के दौरान उनके निधन से यह सीट भी खाली हो गई है. कांग्रेस चाहती है कि उनके परिवार से किसी को टिकट देकर सहानुभूति के वोट बटोरे, इसलिए बृजेंद्र सिंह राठौर के पुत्र नितेंद्र सिंह को उम्मीदवार बना सकती है, जबकि शिवराज सिंह ने जनदर्शन के दौरान वहां घोषणाओं की बारिश की थी, बीजेपी की अनीता नायक 2013 और 2018 तक विधायक रहीं, लेकिन वह ज्यादा सक्रिय नहीं रहीं. इस बार बीजेपी से गनेणी लाल दावेदारी जता रहे हैं, पर बीजेपी को 5 बार विधायक रहे बृजेन्द्र सिंह राठौर के परिवार से लड़ना है, जिन्हें कांग्रेस के इस गढ़ में सहानुभूति के वोट भी भरपूर मिलने की उम्मीद है.

क्या जोबट में काम आयेगा BJP का आदिवासी कार्ड!

अलीराजपुर जिले की जोबट विधानसभा सीट पर उपचुनाव से पहले सीएम शिवराज सिंह जनदर्शन के जरिए इमोशनल कार्ड खेल चुके हैं. मुख्यमंत्री अपने हेलीकॉप्टर में आदिवासी को बैठाकर ये संदेश देने की कोशिश किये थे कि यह सिर्फ शिव'राज' में ही संभव है कि पैदल चलने वाला सीधे हेलीकॉप्टर में बैठ गया. हालांकि, इस सीट पर आदिवासी संगठन जयस भी बीजेपी का खेल बिगाड़ेगा. कांग्रेस अगर यहां कांतिलाल भूरिया की पसंद का उम्मीदवार उतार देती है तो बीजेपी की मुश्किलें और बढ़ेंगी. तमाम कोशिशों के बावजूद बीजेपी यहां पर जीत हासिल नहीं कर पाई है, पिछले चुनाव में कांग्रेस की कलावती भूरिया ने यह सीट जीती थी, उनकी कोरोना से निधन होने की वजह से ही यह सीट खाली हुई है. कांग्रेस की तरफ से जोबट से सुलोचना रावत, महेश पटेल और दीपक भूरिया में से किसी एक पर पार्टी विचार कर सकती है, सुलोचना रावत इन सबमें सबसे आगे बताया जा रहा है.

रैगांव में बीजेपी-कांग्रेस के बीच कांटे का मुकाबला

सतना जिले की रैगांव विधानसभा सीट से कांग्रेस के टिकट पर 2018 में चुनाव लड़ी कल्पना वर्मा का नाम फाइनल कर सकती है, यह सीट भाजपा विधायक जुगल किशोर बागरी के निधन से रिक्त हुई है, कांग्रेस प्रवक्ता फिरोज सिद्दीकी का कहना है कि उपचुनाव को लेकर कांग्रेस पूरी तरह तैयार है. दिक्कत बीजेपी के साथ है क्योंकि बीजेपी उप चुनाव टालने के लिए कोर्ट का दरवाजा खटखटा चुकी है. सिद्दीकी ने कहा कि भाजपा के पास बहुत सी चुनौतियां हैं, दमोह के जनादेश की तरह ही इस उपचुनाव में भी जनता कांग्रेस का साथ देगी, जल्द ही कांग्रेस के उम्मीदवारों की सूची जारी होगी.

कमलनाथ के कामकाज को भुनाएगी कांग्रेस

कांग्रेस का कहना है कि 2018 के चुनाव में पीसीसी चीफ कमलनाथ का विशेष फोकस माइक्रो मैनेजमेंट पर था, जिसका फायदा पार्टी को मिला और प्रदेश में कांग्रेस की सरकार बनी थी. कमलनाथ सरकार के 15 महीने के कामकाज को जनता के सामने रखा जाएगा, साथ ही बढ़ती महंगाई, बेरोजगारी, पेट्रोल-डीजल और गैस की बढ़ी कीमतें चुनाव में प्रमुख मुद्दे रहेंगे. एमपी विधानसभा उपचुनाव के लिए 8 अक्टूबर से 13 अक्टूबर तक नामांकन, स्क्रूटनिंग और नाम वापसी ले सकेंगे उम्मीदवार, जबकि 30 अक्टूबर को मतदान होगा और 2 नवंबर को मतगणना होगी.

Last Updated : Oct 1, 2021, 11:50 AM IST
ETV Bharat Logo

Copyright © 2024 Ushodaya Enterprises Pvt. Ltd., All Rights Reserved.