मंडला। देशभर में जारी कोरोना कहर के बीच अब लोगों का जीना बेहाल हो गया है. एक चरफ जहां लोग महामारी के खौफ से घर में कैद हैं, तो दूसरी तरफ लगातार जारी लॉकडाउन से आर्थिक हालात अब बद से बदतर हो चुकी हैं, इस बीच सरकार से उम्मीद किए बैठे लोगों की स्थिति ऐसी हो गई है कि इन्हें दो वक्त की रोटी के लिए संघर्ष करना पड़ रहा है.
जनधन योजना की हकीकत
मध्यप्रदेश के मंडला जिले में कोरोना महामारी और लॉकडाउन से प्रभावित ऐसे लोग जो गरीबी रेखा के नीचे जीवन यापन करते हैं उनके लिए सरकार ने मदद के लिए हाथ बढ़ाए हैं, किसी को तीन महीने का राशन मिला तो किसी को गैस सिलेंडर के पैसे मिले हैं, और किसी को उनके खाते में सीधे रकम भेजी गई, लेकिन प्रदेश के कुछ जिले ऐसे भी हैं, जहां सच्चाई हैरान कर देने वाली है.
जिले में जनधन योजना के 4 लाख से ज्यादा खाते
कोरोना महामारी ने लोगों को ऐसा दौर दिखाया जो शायद ही कभी देखने को मिला हो, ऐसे में एक तरफ महामारी से लड़ाई तो दूसरी तरफ जनता खासकर गरीबों लाचारों को राहत पहुंचाना सरकार के लिए बड़ी चुनौती रही है. मंडला जिले में प्रधानमंत्री जनधन योजना के कुल 4 लाख 18 हजार 56 खाते हैं जिनमे पुरुषों के मुकाबले महिलाओं के खातों की संख्या ज्यादा है, जिले में कुल 1 लाख 85 हजार 252 पुरूषों के खाते जनधन योजना के तहत खुले हैं, जबकि 2 लाख 32 हजार 804 महिलाओं के खाते जिले भर के अलग अलग बैंकों में प्रधानमंत्री जनधन योजना के तहत खोले गए हैं.
जिले में बांटे गए 11 करोड़ रूपये
केंद्र सरकार के द्वारा कोरोना महामारी को देखते हुए प्रत्येक गरीबी रेखा के नीचे रह रहे नागरिकों को राहत के तौर पर तीन महीने तक 500 रुपये प्रतिमाह दिए गए, जिसका लाभ प्रधानमंत्री जनधन योजना के पोर्टल के मुताबिक जिले की बात करें तो 2 लाख 68 हजार 268 लोगों को इसका लाभ मिल चुका है. मंडला जिले के अग्रणी जिला प्रबंधक अमित कुमार केसरी के मुताबिक प्रधानमंत्री गरीब कल्याण योजना के तहत जिले में 11 करोड़ 64 लाख रुपया बांटा जा चुका है.
खरगोन जिले के ग्रामीणों को नहीं मिला कोई लाभ
वहीं मध्यपप्रदेश के खरगोन जिले में जब ईटीवी भारत की टीम जन धन योजना की हकीकत पता करने पहुंची तो लोगों के जवाब हैरान कर देने वाले थे, गांव की महिलाओं का कहना था कि तीन महीने 500 रूपये मिलना तो दूर उन्हें अब तक एक भी महीने की राशि नहीं मिली है, और सरकारी योजना के तहत उन्हें अब तक एक भी किश्त नहीं मिली है.
बैंक के कर्मचारी नहीं देते कोई कोई जवाब
इतना ही नहीं खरगोन के मोतीपुरा की रहने वाली संगीता ने बताया कि बैंक वाले बार-बार दौड़ाया करते हैं, लेकिन अभी तक जनधन के तहत खोले गए खाते में एक भी किश्त नहीं आई हैं. वहीं कुछ महिलाओं का कहना है कि वह कई बार बैंक जाकर शिकायत की, लेकिन बैंक वालों से उन्हें कभी संतोषजनक जवाब तक नहीं मिले.
लॉकडाउन में बरोजगार हुए लोगों ने लगाई मदद की गुहार
गरीबी रेखा के नीचे रहने वाले लोगों को प्रधानमंत्री जनधन योजना के तहत लाभ तो मिला, लेकिन ऐसे लोगों के सामने मुसीबत अब भी है जो गरीबी रेखा के नीचे तो नियमों और शर्तों के लिहाज से नहीं आते लेकिन ऐसे रोजगार से जुड़े हैं जो लॉकडाउन के चलते बंद हो गए हैं. और आज बसों के ड्राइवर कन्डेक्टर, मूर्तिकला, जूट या अन्य कलाओं के कलाकार, पर्यटन से जुड़े होटल व्यवसायी के पास रोजगार की फिलहाल कोई व्यवस्था नहीं है, लेकिन सरकारी योजनाओं के उस सांचे में वे फिट नहीं बैठते जहां उनकी मदद के लिए कोई आगे आए.
फाइलों में कैद है योजनाएं
लिहाजा योजनाएं कितनी भी बनें, लेकिन कोई न कोई वर्ग ऐसा बच ही जाता है जिन्हें योजनाओं का लाभ जरूरत के समय नहीं मिल पाता है. प्रधानमंत्री जनधन योजना के तहत सभी गरीबों को मदद पहुंचाने का लक्ष्य रखा गया और पूरा भी हुआ है, लेकिन कुछ जिले ऐसे भी हैं जहां ये योजनाएं महज फाइलों में कैद हैं.