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नगर निगम कमिश्नर ने की मंत्री की चरण वंदना, BJP ने लगाए गंभीर आरोप

देवस नगर निगम कमिश्नर ने एक कार्यक्रम के दौरान कैबिनेट मंत्री सज्जन सिंह वर्मा के पैर छुए, जिसको लेकर सूबे की सियासत गरमाने लगी है. बीजेपी ने कांग्रेस सरकार पर जोरदार हमला बोला है. पूर्व सीएम शिवराज सिंह चौहान ने इसे अधिकारियों के तबादलों से जोड़, तो वहीं कांग्रेस ने भी पलटवार किया है.

नगर निगम कमिश्नर के मंत्री के पैर छूने पर सियासत तेज
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Published : Nov 13, 2019, 5:17 PM IST

भोपाल। कमलनाथ सरकार के कैबिनेट मंत्री प्रद्युम्न सिंह तोमर ने सिंधिया के पांव छुए, जिसके बाद हाल ही में देवास की नगर निगम कमिश्नर संजना जैन ने कैबिनेट मंत्री सज्जन सिंह वर्मा के पैर छुए. नगर निगम कमिश्नर का मंत्री के पैर छूते हुए वीडियो वायरल होने के बाद सूबे की सियासत गरमाने लगी है. पूर्व मुख्यमंत्री शिवराज सिंह ने इस मामले में प्रदेश सरकार पर हमला बोलते हुए कहा है कि, 'सरकार में रेट तय कर दिए हैं, उसके बाद भी अधिकारियों को पैर छूने पड़ रहे हैं'. उन्होंने कहा कि ब्यूरोक्रेसी की भी अपनी मर्यादा है, ऐसा नतमस्तक होना उनकी कर्तव्यनिष्ठा पर सवाल खड़े करता है.

नगर निगम कमिश्नर के मंत्री के पैर छूने पर सियासत तेज
'पांव छूने को नहीं बनाना चाहिए राजनीतिक मुद्दा'

पूर्व मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान के आरोपों पर मध्यप्रदेश कांग्रेस के मीडिया उपाध्यक्ष भूपेंद्र गुप्ता ने उनके कार्यकाल में अधिकारियों के कारनामे याद दिलाते हुए कहा है कि, ये कोई राजनीतिक मुद्दा नहीं है और इसे इतनी गंभीरता से नहीं लेना चाहिए. जो व्यक्ति 15 साल मुख्यमंत्री रह चुका हो, उसे इन बातों का ध्यान रखना चाहिए. आगे भूपेंद्र गुप्ता ने शिवराज सिंह पर पलटवार करते हुए कहा है कि, 'पहले कलेक्टरों के 24 घंटे में तीन- तीन तबादले एक ही स्थान पर होते थे, वो किन दरों से करते थे, वो शिवराज सिंह ही जाने. उन्होंने जो भाव सूची की प्रणाली पिछले 15 साल में लागू की थी, इसका सच झूठ वही बता सकते हैं'.

'पूर्व मुख्यमंत्री मार चुके हैं अधिकारी को थप्पड़'
गुप्ता ने कहा 'जहां तक किसी अधिकारी द्वारा किसी के चरण छूने का संदर्भ है, इसमें भी शिवराज सिंह के कार्यकाल के उदाहरण देना चाहिए. हालांकि यह मामला पूरी तरह से निजी विषय है, लेकिन इनके कार्यकाल में सर पर चप्पले रखकर और धर्म ग्रंथ लेकर अधिकारी घूमे हैं. अधिकारियों ने शिवराज सिंह के जूते तक उठाने का काम किया है. यहां तक कि मुख्यमंत्री ने तो किसी अधिकारी को थप्पड़ भी मार दिया था. इस तरह की घटनाएं होती रहती हैं, यह राजनीतिक मुद्दे नहीं है. सिस्टम के अंदर जो घटनाएं घटती हैं, इनको निजी तौर पर नहीं लेना चाहिए'.

भोपाल। कमलनाथ सरकार के कैबिनेट मंत्री प्रद्युम्न सिंह तोमर ने सिंधिया के पांव छुए, जिसके बाद हाल ही में देवास की नगर निगम कमिश्नर संजना जैन ने कैबिनेट मंत्री सज्जन सिंह वर्मा के पैर छुए. नगर निगम कमिश्नर का मंत्री के पैर छूते हुए वीडियो वायरल होने के बाद सूबे की सियासत गरमाने लगी है. पूर्व मुख्यमंत्री शिवराज सिंह ने इस मामले में प्रदेश सरकार पर हमला बोलते हुए कहा है कि, 'सरकार में रेट तय कर दिए हैं, उसके बाद भी अधिकारियों को पैर छूने पड़ रहे हैं'. उन्होंने कहा कि ब्यूरोक्रेसी की भी अपनी मर्यादा है, ऐसा नतमस्तक होना उनकी कर्तव्यनिष्ठा पर सवाल खड़े करता है.

नगर निगम कमिश्नर के मंत्री के पैर छूने पर सियासत तेज
'पांव छूने को नहीं बनाना चाहिए राजनीतिक मुद्दा'

पूर्व मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान के आरोपों पर मध्यप्रदेश कांग्रेस के मीडिया उपाध्यक्ष भूपेंद्र गुप्ता ने उनके कार्यकाल में अधिकारियों के कारनामे याद दिलाते हुए कहा है कि, ये कोई राजनीतिक मुद्दा नहीं है और इसे इतनी गंभीरता से नहीं लेना चाहिए. जो व्यक्ति 15 साल मुख्यमंत्री रह चुका हो, उसे इन बातों का ध्यान रखना चाहिए. आगे भूपेंद्र गुप्ता ने शिवराज सिंह पर पलटवार करते हुए कहा है कि, 'पहले कलेक्टरों के 24 घंटे में तीन- तीन तबादले एक ही स्थान पर होते थे, वो किन दरों से करते थे, वो शिवराज सिंह ही जाने. उन्होंने जो भाव सूची की प्रणाली पिछले 15 साल में लागू की थी, इसका सच झूठ वही बता सकते हैं'.

'पूर्व मुख्यमंत्री मार चुके हैं अधिकारी को थप्पड़'
गुप्ता ने कहा 'जहां तक किसी अधिकारी द्वारा किसी के चरण छूने का संदर्भ है, इसमें भी शिवराज सिंह के कार्यकाल के उदाहरण देना चाहिए. हालांकि यह मामला पूरी तरह से निजी विषय है, लेकिन इनके कार्यकाल में सर पर चप्पले रखकर और धर्म ग्रंथ लेकर अधिकारी घूमे हैं. अधिकारियों ने शिवराज सिंह के जूते तक उठाने का काम किया है. यहां तक कि मुख्यमंत्री ने तो किसी अधिकारी को थप्पड़ भी मार दिया था. इस तरह की घटनाएं होती रहती हैं, यह राजनीतिक मुद्दे नहीं है. सिस्टम के अंदर जो घटनाएं घटती हैं, इनको निजी तौर पर नहीं लेना चाहिए'.

Intro:भोपाल। कमलनाथ सरकार के कैबिनेट मंत्री प्रद्युम्न सिंह तोमर द्वारा ज्योतिरादित्य सिंधिया के पांव छुए जाने के बाद देवास की नगर निगम कमिश्नर संजना जैन ने कैबिनेट मंत्री सज्जन सिंह वर्मा के पैर छुए थे। नगर निगम कमिश्नर का वीडियो वायरल होने के बाद सियासत तेज हो गई है. पूर्व मुख्यमंत्री शिवराज सिंह ने इस मामले में सरकार पर हमला बोलते हुए कहा है कि सरकार में रेट तय हैं, उसके बाद भी पैर छूने पढ़ रहे हैं। ब्यूरोक्रेसी की अपनी मर्यादा है, ऐसा नतमस्तक होना उनकी कर्तव्यनिष्ठा पर सवाल खड़े करता है। शिवराज सिंह के इस बयान पर कांग्रेस ने उनके कार्यकाल में अधिकारियों के कारनामे याद दिलाते हुए कहा है कि यह कोई राजनीतिक मुद्दा नहीं है और इसे इतनी गंभीरता से नहीं लेना चाहिए। जो व्यक्ति 15 साल मुख्यमंत्री रह चुका हो,उसे इन बातों का ध्यान रखना चाहिए।


Body:मध्य प्रदेश कांग्रेस के मीडिया विभाग के उपाध्यक्ष भूपेंद्र गुप्ता ने शिवराज सिंह पर पलटवार करते हुए कहा है कि पहले कलेक्टरों के 24 घंटे में तीन-तीन तबादले एक ही स्थान पर होते थे। वह किन दरों से करते थे, वह शिवराज सिंह ही जाने। उन्होंने जो भाव सूची की प्रणाली पिछले 15 साल में लागू की थी। इसका सच झूठ वही बता सकते हैं। जहां तक किसी अधिकारी द्वारा किसी के चरण छूने का संदर्भ है। इसमें भी शिवराज सिंह के कार्यकाल के उदाहरण देना चाहिए। हालांकि यह मामला पूरी तरह से निजी विषय है। लेकिन इनके कार्यकाल में सर पर चप्पले रखकर अधिकारी घूमे और धर्म ग्रंथ लेकर घूमे। अधिकारियों ने शिवराज सिंह के जूते उठाने का काम किया। यहां तक कि मुख्यमंत्री ने तो किसी अधिकारी को थप्पड़ भी मार दिया था। इस तरह की घटनाएं होती रहती हैं। यह राजनीतिक मुद्दे नहीं है। सिस्टम के अंदर जो घटनाएं घटती हैं, इनको निजी तौर पर नहीं लेना चाहिए। मैं समझता हूं कि इतनी गंभीरता पूर्व मुख्यमंत्री में होना चाहिए। जो 15 साल मुख्यमंत्री के पद पर रहा हो।


Conclusion:गौरतलब है कि शिवराज सिंह के कार्यकाल में बारिश के दौरान जहां दो होमगार्ड उन्हें कंधों पर लिए पानी पार करा रहे थे। तो एक अधिकारी उनके हाथों में जूते लिए हुए थे। दूसरी तरफ शिवराज सिंह के कार्यकाल में काफी ताकतवर माने जाने वाले एक अधिकारी का भी फोटो उनके जूते उठाते हुए वायरल हुआ था और वह सियासी गलियारों में चर्चा का विषय बना था। वही शिवराज सिंह जब एकात्म यात्रा निकाल रहे थे,तो एक महिला कलेक्टर ने सर पर ग्रंथ रखकर प्रशासनिक अधिकारी का प्रोटोकॉल तोड़ा था।
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