भोपाल/ जबलपुर/उज्जैन। मध्य प्रदेश में गाय के नाम पर सियासत फिर से गर्म है. राजधानी भोपाल के बैरसिया में बीजेपी नेत्री निर्मला देवी शांडिल्य की गोशाला में बड़ी संख्या में हुई गायों की मौत पर सरकार ने जहां जांच के आदेश दिए हैं. वहीं पूर्व सीएम और एमपी कांग्रेस के अध्यक्ष कमलनाथ ने सरकार को कठघरे में खड़ा करते हुए कई सवाल दागे हैं. लेकिन इन सबके बीच बड़ा सवाल ये है कि सियासत के बीच गायों की दुर्दशा आखिर कब तक जारी रहेगी. फंड की कमी के कारण कबतक गाय भूख से मरती रहेगी.
'गायों की दुर्दशा पर सरकार मूकदर्शक'
बैरसिया में बीजेपी नेत्री द्वारा संचालित गोशाला में सैंकड़ों गायों के शव मिलने पर पूर्व सीएम कमलनाथ ने कहा कि ये तस्वीरें बेहद पीड़ादायक व दर्दनाक है. क्षेत्रीय लोगों के विरोध के बाद यह सारा मामला सामने आया है. पता नहीं, यह सब कितने दिनों से चल रहा है? प्रदेश की राजधानी से सटे इलाक़े की यह स्थिति है तो दूर-दराज के ग्रामीण इलाक़ों की स्थिति ख़ुद समझी जा सकती है. कमलनाथ ने कहा कि प्रदेश के कई जिलों से दम तोड़ती गायों की तस्वीरें सामने आ रही है, धार्मिक भावनाएं भी आहत हो रही है.
'गो भक्त की सरकार में ऐसे हालात!'
पूर्व सीएम ने कहा कि हमारी सरकार में हमने गोवंश की सुरक्षा,संरक्षण,संवर्धन के लिए कई उल्लेखनीय कदम उठाये थे. कमलनाथ ने बताया कि प्रदेश में प्रारंभिक चरण में हमने 1 हज़ार आधुनिक गोशालाओं का निर्माण कार्य प्रारंभ कराया था, चारे की राशि को भी बढ़ाया था, सड़कों पर दुर्घटना का शिकार हो रही गोमाता की सुरक्षा को लेकर भी हमने निर्देश जारी कर कदम उठाये थे. लेकिन अफसोस है कि जो खुद को सबसे बड़ा गो भक्त बताते हैं, उनकी सरकार में गो माता अकाल मृत्यु का शिकार हो रही है और शिवराज सरकार मूकदर्शक बनी हुई है.
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सरकार से कमलनाथ ने पूछे सवाल
मामले को लेकर पीसीसी चीफ कमलनाथ ने कहा कि सरकार स्पष्ट करे कि प्रदेश के किस-किस ज़िले में कुल कितनी गौशालाएं संचालित हो रही है, कौन-कौन संस्था इसे संचालित कर रही है, कितने गोवंश इन गोशालाओं में हैं, उन्हें इसके लिए कुल कितना अनुदान सरकार की तरफ़ से प्रतिवर्ष दिया जा रहा है. इन गोशालाओं को लेकर सरकार के क्या इंतज़ाम हैं, इन गोशालाओं में गो माता के स्वास्थ्य के परीक्षण को लेकर क्या इंतजाम हैं, नियमित देख-रेख की क्या व्यवस्था है, कौन इसके लिये जवाबदेह है, चारे-भूसे व भरण-पोषण को लेकर क्या व्यवस्था है, क्या इंतज़ाम है?
अनुदान राशि की जांच की मांग
कमलनाथ ने कहा कि यह बात भी सामने आयी है कि बैरसिया की इस गोशाला को भी पिछले कई वर्षों में लाखों का अनुदान दिया गया है, उस राशि को कहां खर्च किया गया इसकी जांच हो. उन्होंने कहा कि मैं सरकार से मांग करता हूं कि प्रदेश भर में गोशालाओं को दिये जा रहे अनुदान की राशि की भी जांच हो, गोशालाओं की मॉनिटरिंग की व्यवस्था हो, गायों का नियमित स्वास्थ्य परीक्षण हो, उनके भरण पोषण व भूसे-चारे की गोशालाओं में पूर्ण व्यवस्था हो ताकि भूख से किसी भी गाय की मौत ना हो. साथ ही सरकार ऐसी घटनाओं को रोकने के लिए तत्काल सभी आवश्यक कदम उठाए. और दोषी पर कड़ी-से-कड़ी कार्रवाई हो.
जबलपुर में डेढ़ माह में 15 गायों की मौत
कई जिलों से गायों की मौत की खबर पहले भी आई है. जबलपुर शहपुरा के गांव बड़खेरा के गोशाला में डेढ़ महीने में 15 गायों की भूख से मौत हो गई थी. सिद्धवन गोशाला में इन गायों का उचित अंतिम संस्कार तक नहीं किया गया था. एक साल में यहां 1,40,094 रुपए की राशि दी गई, जिसमें गबन की बात सामने आई थी. यहां काम करने वाले कर्मचारियों को वेतन तक नहीं मिला. वहीं जिला प्रशासन ने इसके जांच के आदेश दिए हैं.
5 गायों की भूख से मौत, कलेक्टर ने दिए जांच के आदेश, उज्जैन की गोशाला की हालत खस्ता!
उज्जैन में 5 गायों की भूख से मौत
इसी महीने उज्जैन के ग्राम पिपलिया बाजार की गोशाला में 5 गायों की भूख से मौत हो गई है. मामले को लेकर उज्जैन कलेक्टर आशीष सिंह ने जांच के आदेश दिए हैं. कमलनाथ सरकार द्वारा ऋषिकेश नाम से यह गोशाला बनाई गई थी.यहां कई गाय मरणासन हालत में दिखीं थी. ना तो इनके लिए चारे की कोई व्यवस्था दिखाई दी. यह गोशाला पंचायत के अंदर आती है, बदहाली पर सरपंच महेश बैरागी ने कम फंड मिलने की बात कही थी.
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