भोपाल। मध्य प्रदेश बीजेपी के कद्दावर नेता और केन्द्रीय मंत्री प्रहलाद पटेल चर्चा में हैं. पेगासस फोन टैपिंग में प्रहलाद पटेल का नाम आने और प्रदेश में सीएम पद के लिए दिग्विजय सिंह द्वारा उनका नाम उछाले जाने के बाद कई सवाल उठ रहे हैं. प्रह्लाद पटेल और उनसे जुड़े लोगों के फोन रिकॉर्ड करवाने के दावों को लेकर एमपी के सियासी गलियारों में तरह-तरह की बातें हो रही है.
बुंदेलखंड क्षेत्र के कद्दावर नेता प्रहलाद पटेल ओबीसी वर्ग का मजबूत चेहरा माने जाते हैं. प्रदेश की सियासत में उनकी सक्रियता बहुत ज्यादा नहीं रही. लेकिन दो मामलों ने उन्हें सियासी चर्चाओं के केन्द्र में ला दिया है. पहला मामला दिग्विजय सिंह का वह ट्वीट जिसमें उन्हें सीएम पद का दावेदार बताया गया था, दूसरा पेगासस जासूसी मामले में उनका भी जिक्र आना.
वरिष्ठ पत्रकार गिरीष उपाध्याय का मानना है कि दिग्विजय सिंह कई बार अलग-अलग टारगेट करते हैं. बीजेपी में जिस तरह से अंदरूनी खींचतान चल रही है, उसमें हलचल पैदा करने के लिए दिग्विजय सिंह ने प्रह्लाद पटेल का नाम लिया होगा. गिरीष उपाध्याय का कहना है कि हो सकता है इसके पीछे दिग्विजय सिंह की कोशिश कांग्रेस की अंदरूनी घमासान से ध्यान भटकाना हो. दिग्विजय सिंह कई बार सियासी हलचल पैदा करने के लिए कोई बात कह देते हैं.
प्रहलाद पटेल की फोन टैपिंग कराए जाने को लेकर राजनीतिक जानकार भी अचंभित हैं. वरिष्ठ पत्रकार अजय बोकिल बताते हैं कि प्रहलाद पटेल की प्रदेश की सियासत में बहुत ज्यादा सक्रियता नहीं रही है. ऐसे में सवाल उठ रहा है कि आखिर प्रहलाद पटेल, उनके माली और कुक तक की फोन रिकाॅर्ड क्यों किए गए. यह अलग बात है कि सीएम पद को लेकर उनकी महत्वाकांक्षा रही है.
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अजय बोकिल का मानना है कि सीएम पद के लिए उन्हें उम्मीदवार तो माना जाता रहा, लेकिन यह उतना चर्चा में नहीं रहा, जितना प्रदेश के दूसरे नेताओं का रहा है. वरिष्ठ पत्रकार अजय बोकिल कहते हैं कि सबसे बड़ा सवाल यह है कि प्रहलाद पटेल की फोन टैपिंग किसने कराई है. यदि केन्द्रीय नेतृत्व उनसे नाराज होता तो उन्हें स्वतंत्र प्रभार नहीं दिया जाता या फिर उन्हें बाद में हटा दिया जाता. प्रहलाद पटेल का प्रदेश की राजनीति में अपना महत्व है. प्रदेश की सत्ता और संगठन में उन्हें महत्वपूर्ण जिम्मेदारी को लेकर भी कई बार उनके नाम पर चर्चा हुई है.