भोपाल। 46 साल पहले आज ही के दिन तत्कालीन प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी ने आपातकाल (Emergency) की घोषणा कर सबको चौंका दिया था, इसके बाद आंदोलन कर रहे सभी विरोधी नेताओं को गिरफ्तार कर जेल में ठूंस दिया गया था. भले ही इस घटना के दशकों बीत चुके हैं, पर आज भी वो घटना लोकतंत्र के सीने में नश्तर की तरह चुभता रहता है. इस दिन को हर पार्टी अपने स्तर पर भुनाती भी है, जबकि कमोबेश सभी पार्टियां अपने पैरों तले लोकतंत्र को रौंद रही हैं. मध्यप्रदेश के मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने ट्वीट कर आपातकाल को लोकतंत्र के लिए काला दिन बताया है. सीएम ने लिखा- 1975 में आज के ही दिन भारतीय लोकतंत्र (Democracy) का गला घोंटकर आपातकाल (Emergency) लागू किया गया था. आम नागरिकों के अधिकार छीन लिये गये, प्रेस के मुंह पर ताला जड़ दिया गया, विरोध में मुखर होने वाली आवाजों को काल कोठरी के अंधेरों में ठूंसकर चुप कराने का हरसंभव और क्रूरतम प्रयास किया गया.
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गरीबी हटाओ का नारा देने वाली कांग्रेस ने #आपातकाल लागू कर गरीबों के मुंह का निवाला छीनने का घनघोर पाप किया। सच्चाई के लिए उठने वाली हर आवाज पर जुल्म ढाये गये।
— Shivraj Singh Chouhan (@ChouhanShivraj) June 25, 2021 " class="align-text-top noRightClick twitterSection" data="
'समय होत बलवान'। समय ने करवट बदली और आपातकाल लगाकर जनता की शक्ति छीनने वाले स्वयं शक्तिहीन होकर कहीं के न रहे।
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— Shivraj Singh Chouhan (@ChouhanShivraj) June 25, 2021
'समय होत बलवान'। समय ने करवट बदली और आपातकाल लगाकर जनता की शक्ति छीनने वाले स्वयं शक्तिहीन होकर कहीं के न रहे।गरीबी हटाओ का नारा देने वाली कांग्रेस ने #आपातकाल लागू कर गरीबों के मुंह का निवाला छीनने का घनघोर पाप किया। सच्चाई के लिए उठने वाली हर आवाज पर जुल्म ढाये गये।
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'समय होत बलवान'। समय ने करवट बदली और आपातकाल लगाकर जनता की शक्ति छीनने वाले स्वयं शक्तिहीन होकर कहीं के न रहे।
वहीं अगले ट्वीट में CM Shivraj Singh Chauhan ने लिखा- गरीबी हटाओ का नारा देने वाली कांग्रेस ने (Emergency) लागू कर गरीबों के मुंह का निवाला छीनने का घनघोर पाप किया. सच्चाई के लिए उठने वाली हर आवाज पर जुल्म ढाये गये. 'समय होत बलवान'. समय ने करवट बदली और आपातकाल लगाकर जनता की शक्ति छीनने वाले स्वयं शक्तिहीन होकर कहीं के नहीं रहे.
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भारत के लोकतंत्र के मूल्यों की रक्षा के लिए अपना सर्वस्व झोंकने तथा #आपातकाल की क्रूर यातनाओं को सहते हुए अपने प्राणों को उत्सर्ग कर देने वाले महान आत्माओं के चरणों में विनम्र श्रद्धांजलि!
— Shivraj Singh Chouhan (@ChouhanShivraj) June 25, 2021 " class="align-text-top noRightClick twitterSection" data="
साथ ही संकल्प कि आपके सपनों के भारत के निर्माण के लिए हम सब प्राण प्रण से प्रयास करेंगे।
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— Shivraj Singh Chouhan (@ChouhanShivraj) June 25, 2021
साथ ही संकल्प कि आपके सपनों के भारत के निर्माण के लिए हम सब प्राण प्रण से प्रयास करेंगे।
एक और ट्वीट में Chief Minister ने लिखा- भारत के लोकतंत्र के मूल्यों की रक्षा के लिए अपना सर्वस्व झोंकने व आपातकाल की क्रूर यातनाओं को सहते हुए अपने प्राणों को उत्सर्ग कर देने वाले महान आत्माओं के चरणों में विनम्र श्रद्धांजलि! साथ ही संकल्प कि आपके सपनों के भारत के निर्माण के लिए हम सब प्राण प्रण से प्रयास करेंगे.
पश्चिम बंगाल के तत्कालीन सीएम सिद्धार्थ शंकर रे ने दी थी आपातकाल लगाने की सलाह
25 जून 1975 को तत्कालीन प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी ने आंतरिक सुरक्षा का हवाला देते हुए देश में आपातकाल की घोषणा कर दी थी. 12 जून 1975 को इलाहाबाद हाईकोर्ट ने उनके चुनाव को शून्य करार दिया था. बताया जाता है कि पश्चिम बंगाल के उस समय के मुख्यमंत्री सिद्धार्थ शंकर रे ने इंदिरा गांधी को आपातकाल लगाने की सलाह दी थी. आपातकाल के दौरान लोगों के मौलिक अधिकार निलंबित कर दिए गए थे. विरोध करने वाले नेताओं को जेल में डाल दिया गया. प्रेस पर पाबंदी लगा दी गई थी. बिना सूचना अधिकारी की सहमति से कोई भी खबर नहीं छापी जा सकती थी.
भाजपा के वरिष्ठ नेता लालकृष्ण आडवाणी ने इसका प्रभावशाली रूप से वर्णन करते हुए एक बार कहा था कि मीडिया तो रेंगने लगी, जबकि उन्हें केवल झुकने को कहा गया था. करीब 21 महीने तक देश में आपातकाल लगा रहा. आपातकाल के बाद 1977 में हुए आम चुनाव में जनता ने इंदिरा गांधी को 'पैदल' कर दिया. इसके बाद बनी जनता पार्टी की सरकार ने आपातकाल के दौरान की गई ज्यादतियों की जांच के लिए शाह कमीशन का गठन किया. इसके अनुसार आपातकाल के दौरान 1.10 लाख से भी अधिक लोगों की गिरफ्तारी हुई थी.
उस दिन इंदिरा गांधी ने क्या कहा
इंदिरा गांधी ने 26 जून 1975 की सुबह रेडियो पर देश को संबोधित किया. अपने संदेश में उन्होंने कहा कि जब से मैंने आम आदमी और देश की महिलाओं के फायदे के लिए कुछ प्रगतिशील कदम उठाए हैं, तभी से मेरे खिलाफ साजिश रची जा रही है. उन्होंने कहा कि देश की आंतरिक सुरक्षा को खतरा है. जयप्रकाश नारायण ने जो आंदोलन चलाए हैं, उसकी वजह से प्रजातंत्र खतरे में है. बाहरी ताकतें देश को कमजोर करने में लगी हैं. देश को तेज आर्थिक प्रगति की जरूरत है.
आपातकाल लगाने की असल वजह
1971 में इंदिरा गांधी यूपी की रायबरेली सीट से लोकसभा चुनाव जीती थीं, उनके खिलाफ संयुक्त सोशलिस्ट पार्टी की ओर से राजनारायण चुनाव लड़े थे. उन्होंने इंदिरा की जीत को कोर्ट में चुनौती दी. राजनारायण ने आरोप लगाया कि इंदिरा ने चुनाव के दौरान गलत तरीकों का इस्तेमाल किया. उनके अनुसार प्रधानमंत्री हाउस के वाहन चुनाव क्षेत्र में देखे गए थे. इलाहाबाद हाईकोर्ट के जस्टिस जगमोहन लाल सिन्हा ने राजनारायण के आरोप को सही ठहराया. उन्होंने इंदिरा गांधी के चुनाव लड़ने पर छह साल के लिए प्रतिबंध लगा दिए. फैसला 12 जून 1975 को सुनाया गया था. इलाहाबाद हाईकोर्ट ने कहा, 'जन प्रतिनिधित्व कानून के तहत इंदिरा गांधी ने सरकारी साधनों का दुरुपयोग किया.