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12 साल 355 मौतें, टाइगर स्टेट मध्य प्रदेश में दम तोड़ रहे बाघ, NTCA रिपोर्ट में खुलासा - TIGER DEATH IN MP

टाइगर स्टेट मध्य प्रदेश बाघों की मौत के मामलों में भी सबसे आगे है. यहां साल 2024 में अब तक 44 बाघों की मौत हुई.

355 TIGER DEATHS IN MP
मध्य प्रदेश में सबसे ज्यादा बाघों की मौत (ETV Bharat)
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By ETV Bharat Madhya Pradesh Team

Published : Dec 23, 2024, 6:47 PM IST

Updated : Dec 27, 2024, 4:50 PM IST

भोपाल: मध्यप्रदेश में टाइगर का कुनबा लगातार बढ़ रहा है. छिंदवाड़ा के पेंच टाइगर रिजर्व में पिछले दिनों बाघिन के 3 शावकों के साथ चहल कदमी करती तस्वीरों ने सभी को खुशी से भर दिया. माना जा रहा है कि प्रदेश में टाइगरों की संख्या 900 के पास हो चुकी है. प्रदेश में बाघों की संख्या जहां लगातार बढ़ रही है, वहीं प्रदेश में बाघों की मौत का आंकड़ा चिंता पैदा कर रहा है. 2012 से अब तक मध्य प्रदेश में 355 बाघों की मौत हुई है.

2024 में अब तक 44 बाघों की मौत
मध्यप्रदेश में इस साल बाघों की मौत के आंकड़ों ने पिछले सालों का रिकॉर्ड तोड़ दिया है. NTCA (राष्ट्रीय बाघ संरक्षण प्राधिकरण) की रिपोर्ट के मुताबिक, मध्यप्रदेश में साल 2024 में अभी तक 44 बाघों की मौत हो चुकी है, जो अब तक का रिकॉर्ड है. हालांकि वन विभाग के अधिकारी प्रदेश में बाघों की संख्या के हिसाब से मौत के आंकड़े सामान्य बता रहे हैं.

tiger death in mp
कहां कितने बाघों की मौत हुई (ETV Bharat)

लगातार हो रही बाघों की मौत
साल 2022 में हुई गणना में मध्यप्रदेश में बाघों की संख्या 785 पाई गई थी. 2018 में हुई गणना में मध्यप्रदेश में यह संख्या 526 थी. प्रदेश में टाइगर की संख्या लगातार बढ़ रही है. बाघों की बढ़ती संख्या को देखते हुए मध्यप्रदेश में दो नए टाइगर रिजर्व रातापानी और माधव नेशनल पार्क को टाइगर रिजर्व का दर्जा दिया जा चुका है. प्रदेश में बाघों की बढ़ती संख्या के साथ प्रदेश में बाघों की लगातार मौत के आंकड़े भी बढ़ रहे हैं. इस साल अभी तक 44 बाघों की मौत हो चुकी है. साल 2024 में अप्रैल माह को छोड़ दें तो हर माह बाघों की मौत हुई है.

किस राज्य में कितने बाघों की मौत हुई
बाघों की मौतों का यह आंकड़ा अब तक का सबसे ज्यादा है. साल 2023 में मध्यप्रदेश में 43 बाघों की मौत हुई थी. जबकि इसके पहले साल 2022 में 34 बाघों की मौत हुई. साल 2021 में 41 और साल 2020 में 46 बाघों ने दम तोडा था. साल 2012 से 2024 के बीच मध्यप्रदेश में 355 बाघों की मौत हुई है. बाघों की मौत को लेकर पीसीसीएफ वाइल्ड लाइफ शुभरंजन सेन कहते हैं कि, ''वन क्षेत्रों में बाघों की संख्या में लगातार इजाफा हो रहा है. इसलिए मौतों की संख्या भी बढ़ी. वन क्षेत्रों में सुरक्षा के इंतजाम मजबूत हुए हैं. इसकी वजह से शिकार के मामले अब कम हो गए हैं.''

उधर देखा जाए तो मध्यप्रदेश में बाघों की मौत के मामले देश में सबसे ज्यादा हैं. महाराष्ट्र में इस दौरान 261 बाघों की मौत हुई है. जबकि कर्नाटक में 179 बाघों की मौत हुई है. उत्तराखंड में 132 बाघों की मौत हुई. वहीं तमिलनाडु में 89 बाघों की मौत हुई.

बाघ मध्य प्रदेश के रौनक पड़ोसी राज्यों में, टाइगर आबाद करने का पावरपैक फॉर्म्यूला

कसावट लाएं तो कम हो सकती है मौतें
प्रदेश में बाघों की मौत को लेकर वाइल्ड लाइफ एक्टिविस्ट अजय दुबे चिंता जताते हैं. वे कहते हैं कि, ''मध्यप्रदेश पिछले करीबन 11 सालों से बाघों की मौत के मामले में देश में टॉप पर है. प्रदेश में बाघों की नेचुरल डेट नहीं, अननेचुरल डेथ यानी एक्सीडेंट, शिकार के मामले भी सबसे ज्यादा हैं. प्रदेश में बाघों की संख्या बढ़ी, लेकिन उनके मुकाबले ट्रेंड स्टॉफ वन विभाग में नहीं बढ़ा. हालात यह है कि प्रदेश के पेंच और कान्हा टाइगर रिजर्व में डेपोटेशन पर अधिकारी तैनात हैं. विभाग में प्रशासनिक कसावट की जरूरत है. यदि प्रशासनिक कसावट लाई जाए तो बाघों की मौतों को कम किया जा सकता है.''

अजय दुबे का कहना है कि, ''बाघों के बीच टेरिटोरियल फाइट भी तब होती है, जब जंगल में पर्याप्त शिकार नहीं होता. प्रदेश में यह आंकड़ा ज्यादा है, इसलिए साफ है जंगल में शिकार कम है.'' पूर्व आईएफएस अधिकारी सुदेश बाघमारे कहते हैं कि, ''शिकार की तलाश में बाघ जंगल के दायरे से सटे ग्रामीण इलाकों में पहुंच रहे हैं और नतीजा इंसान और बाघ के बीच फाइटिंग के रूप में आ रहा है.''

भोपाल: मध्यप्रदेश में टाइगर का कुनबा लगातार बढ़ रहा है. छिंदवाड़ा के पेंच टाइगर रिजर्व में पिछले दिनों बाघिन के 3 शावकों के साथ चहल कदमी करती तस्वीरों ने सभी को खुशी से भर दिया. माना जा रहा है कि प्रदेश में टाइगरों की संख्या 900 के पास हो चुकी है. प्रदेश में बाघों की संख्या जहां लगातार बढ़ रही है, वहीं प्रदेश में बाघों की मौत का आंकड़ा चिंता पैदा कर रहा है. 2012 से अब तक मध्य प्रदेश में 355 बाघों की मौत हुई है.

2024 में अब तक 44 बाघों की मौत
मध्यप्रदेश में इस साल बाघों की मौत के आंकड़ों ने पिछले सालों का रिकॉर्ड तोड़ दिया है. NTCA (राष्ट्रीय बाघ संरक्षण प्राधिकरण) की रिपोर्ट के मुताबिक, मध्यप्रदेश में साल 2024 में अभी तक 44 बाघों की मौत हो चुकी है, जो अब तक का रिकॉर्ड है. हालांकि वन विभाग के अधिकारी प्रदेश में बाघों की संख्या के हिसाब से मौत के आंकड़े सामान्य बता रहे हैं.

tiger death in mp
कहां कितने बाघों की मौत हुई (ETV Bharat)

लगातार हो रही बाघों की मौत
साल 2022 में हुई गणना में मध्यप्रदेश में बाघों की संख्या 785 पाई गई थी. 2018 में हुई गणना में मध्यप्रदेश में यह संख्या 526 थी. प्रदेश में टाइगर की संख्या लगातार बढ़ रही है. बाघों की बढ़ती संख्या को देखते हुए मध्यप्रदेश में दो नए टाइगर रिजर्व रातापानी और माधव नेशनल पार्क को टाइगर रिजर्व का दर्जा दिया जा चुका है. प्रदेश में बाघों की बढ़ती संख्या के साथ प्रदेश में बाघों की लगातार मौत के आंकड़े भी बढ़ रहे हैं. इस साल अभी तक 44 बाघों की मौत हो चुकी है. साल 2024 में अप्रैल माह को छोड़ दें तो हर माह बाघों की मौत हुई है.

किस राज्य में कितने बाघों की मौत हुई
बाघों की मौतों का यह आंकड़ा अब तक का सबसे ज्यादा है. साल 2023 में मध्यप्रदेश में 43 बाघों की मौत हुई थी. जबकि इसके पहले साल 2022 में 34 बाघों की मौत हुई. साल 2021 में 41 और साल 2020 में 46 बाघों ने दम तोडा था. साल 2012 से 2024 के बीच मध्यप्रदेश में 355 बाघों की मौत हुई है. बाघों की मौत को लेकर पीसीसीएफ वाइल्ड लाइफ शुभरंजन सेन कहते हैं कि, ''वन क्षेत्रों में बाघों की संख्या में लगातार इजाफा हो रहा है. इसलिए मौतों की संख्या भी बढ़ी. वन क्षेत्रों में सुरक्षा के इंतजाम मजबूत हुए हैं. इसकी वजह से शिकार के मामले अब कम हो गए हैं.''

उधर देखा जाए तो मध्यप्रदेश में बाघों की मौत के मामले देश में सबसे ज्यादा हैं. महाराष्ट्र में इस दौरान 261 बाघों की मौत हुई है. जबकि कर्नाटक में 179 बाघों की मौत हुई है. उत्तराखंड में 132 बाघों की मौत हुई. वहीं तमिलनाडु में 89 बाघों की मौत हुई.

बाघ मध्य प्रदेश के रौनक पड़ोसी राज्यों में, टाइगर आबाद करने का पावरपैक फॉर्म्यूला

कसावट लाएं तो कम हो सकती है मौतें
प्रदेश में बाघों की मौत को लेकर वाइल्ड लाइफ एक्टिविस्ट अजय दुबे चिंता जताते हैं. वे कहते हैं कि, ''मध्यप्रदेश पिछले करीबन 11 सालों से बाघों की मौत के मामले में देश में टॉप पर है. प्रदेश में बाघों की नेचुरल डेट नहीं, अननेचुरल डेथ यानी एक्सीडेंट, शिकार के मामले भी सबसे ज्यादा हैं. प्रदेश में बाघों की संख्या बढ़ी, लेकिन उनके मुकाबले ट्रेंड स्टॉफ वन विभाग में नहीं बढ़ा. हालात यह है कि प्रदेश के पेंच और कान्हा टाइगर रिजर्व में डेपोटेशन पर अधिकारी तैनात हैं. विभाग में प्रशासनिक कसावट की जरूरत है. यदि प्रशासनिक कसावट लाई जाए तो बाघों की मौतों को कम किया जा सकता है.''

अजय दुबे का कहना है कि, ''बाघों के बीच टेरिटोरियल फाइट भी तब होती है, जब जंगल में पर्याप्त शिकार नहीं होता. प्रदेश में यह आंकड़ा ज्यादा है, इसलिए साफ है जंगल में शिकार कम है.'' पूर्व आईएफएस अधिकारी सुदेश बाघमारे कहते हैं कि, ''शिकार की तलाश में बाघ जंगल के दायरे से सटे ग्रामीण इलाकों में पहुंच रहे हैं और नतीजा इंसान और बाघ के बीच फाइटिंग के रूप में आ रहा है.''

Last Updated : Dec 27, 2024, 4:50 PM IST
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