भोपाल। एमपी की 28 सीटों पर होने वाले उपचुनाव से पहले सूबे का सियासी पारा हाई है. उपचुनाव को लेकर बीजेपी-कांग्रेस दोनों ही पार्टियों ने अपनी पूरी ताकत झोंक दी है. वहीं तीसरा दल दोनों के चुनावी गणित बिगाड़ने की कोशिश में है. विधानसभा उपचुनाव में रायसेन जिले में आने वाली सांची विधानसभा सीट की जंग रोचक हो गई है. यहां मुख्य मुकाबला दो चौधरियों के बीच है. दल बदल कर बीजेपी में पहुंचे प्रभु राम चौधरी को कांग्रेस के उम्मीदवार मदन लाल चौधरी टक्कर दे रहे हैं. इन दोनों का सियासी भविष्य 32 हजार अनुसूचित जाति वर्ग के मतदाता तय करेंगे.
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सांची विधानसभा क्षेत्र अनुसूचित जाति वर्ग के लिए आरक्षित है. सांची विधानसभा सीट का उपचुनाव इसलिए काफी अहम है, क्योंकि यहां दशकों से जिन प्रत्याशियों के बीच चुनावी जंग होती थी वो इस बार एक ही दल में हैं. प्रभुराम चौधरी के बीजेपी में शामिल होने के बाद सालों तक चला शेजवार वर्सेज प्रभुराम चौधरी का चुनावी मुकाबला अब खत्म हो गया है.
प्रभु राम चौधरी के सामने बड़ी चुनौती
चिर प्रतिद्वंदी माने जाने वाले पूर्व मंत्री डॉ. गौरीशंकर शेजवार का समर्थन हासिल कर पाना डॉक्टर प्रभु राम चौधरी के लिए बड़ी चुनौती है, हालांकि बीजेपी संगठन के समझाइश के बाद डॉ गौरीशंकर शेजवार ने पार्टी को जिताने का भरोसा दिलाया है.
इस बार चौधरी वर्सेज चौधरी मुकाबला
दलबदल के बाद कांग्रेस के पुराने सिपाही प्रभु राम चौधरी के खिलाफ कांग्रेस ने मदन लाल चौधरी को चुनावी मैदान में उतारा है. कांग्रेस उम्मीदवार के मुकाबले प्रभु राम का राजनीतिक सफर 3 गुना ज्यादा है. मदन लाल चौधरी का राजनीतिक सफर वर्ष 2000 में कृषि उपज मंडी सदस्य के रूप में शुरू हुआ. वे सरपंच भी रहे. 2015 में जिला पंचायत सदस्य के चुनाव में बराबर वोट मिलने पर मदन लाल चौधरी के टॉस उछाल कर चुनाव जीता था, उनकी पत्नी भी जिला पंचायत सदस्य रही हैं. मदन लाल चौधरी के सामने क्षेत्र में खुद को स्थापित करना बड़ी चुनौती है. वहीं कांग्रेस की पूरी उम्मीद अनुसूचित जाति वर्ग का वोट बैंक में सेंध लगाने पर टिकी हैं.
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सांची सीट का इतिहास
बात अगर इतिहास की करें तो पांच विधानसभा चुनावों में शेजवार वर्सेज प्रभुराम चौधरी एक दूसरे के खिलाफ चुनावी मैदान में 6 बार आमने सामने आ चुके हैं, जिनमें से 2018 के विधानसभा चुनाव में प्रभुराम चौधरी और गौरीशंकर शेजवार के बेटे मुदित शेजवार के बीच हुआ चुनाव भी शामिल है. डॉक्टर प्रभु राम चौधरी ने 1985 के विधानसभा चुनाव में पहली बार कांग्रेस के टिकट पर चुनाव लड़कर बीजेपी के डॉक्टर गौरी शंकर शेजवार को चुनाव हराया था. हालांकि 2018 की विधानसभा चुनाव में शेजवार के बेटे मुदित शेजवार प्रभु राम से चुनाव हारे हैं. सांची विधानसभा सीट के पिछले 10 चुनाव परिणाम पर नजर डालें तो 7 विधानसभा चुनाव में डॉ गौरीशंकर शेजवार ने झंडा बुलंद किया है. उन्होंने 1977 में जनसंघ के टिकट पर जीत दर्ज की थी. वे साल 1990 से 2003 तक लगातार चार बार चुनाव जीतकर विधानसभा पहुंचे.
विधानसभा सीट का जातिगत गणित
सांची विधानसभा सीट पर अनुसूचित जाति वर्ग के 32,000 मतदाता हैं, जबकि मुस्लिम मतदाता 22000 के करीब हैं. इसके अलावा लोधी और किरार मतदाता भी हैं.2018 के चुनाव में मुस्लिम बाहुल्य क्षेत्र में 2013 की तुलना में 9000 ज्यादा वोट पड़े थे. इसका फायदा कांग्रेस को हुआ था.
'गौरी' तय करेंगे 'प्रभु' का भविष्य
उपचुनाव में चुनावी मैदान में उतरे प्रभु राम चौधरी का अनुसूचित जाति वर्ग में अच्छा प्रभाव है, लेकिन कांग्रेस सरकार में मंत्री बनने के बाद उनकी कार्यकर्ताओं से दूरी हुई है. क्षेत्र के दिग्गज नेता और पूर्व मंत्री गौरीशंकर शेजवार का रुख भी प्रभु राम चौधरी का भविष्य तय करेगा. कांग्रेस उम्मीदवार डॉ प्रभु राम चौधरी और बीजेपी उम्मीदवार मुदित शेजवार के बीच हार जीत का अंतर 10000 वोटों का रहा था. कांग्रेस को 89,567 वोट मिले थे, जबकि बीजेपी उम्मीदवार मुदित शेजवार को 78,754 वोट प्राप्त हुए थे.
बीजेपी-कांग्रेस ने किया जीत का दावा
दोनों ही पार्टियों के अपने दावे सांची विधानसभा सीट को लेकर बीजेपी और कांग्रेस दोनों ही जीत के दावे कर रही है. सांची विधानसभा सीट के कांग्रेस प्रभारी भूपेंद्र गुप्ता के मुताबिक कांग्रेस से बीजेपी में गए प्रभु राम चौधरी के खिलाफ क्षेत्र में आक्रोश है और यही वजह है कि उन्हें चुनाव प्रचार के लिए कार्यकर्ता भी नहीं मिल रहे. कांग्रेस उम्मीदवार का राजनीति का भाव भले ही कम हो, लेकिन क्षेत्र में उनकी अच्छी पकड़ है.सांची विधानसभा विकास के मामले में काफी पिछड़ा है ना तो यहां शैक्षणिक सुविधाएं बेहतर हैं और ना ही स्वास्थ्य सुविधाएं. उधर बीजेपी प्रवक्ता रजनीश अग्रवाल का कहना है कि सांची विधानसभा सीट बीजेपी की परंपरागत सीट रही है और प्रभु राम चौधरी के बीजेपी में आने के बाद इस सीट पर बीजेपी की ताकत दोगुनी हो गई है. बीजेपी इस सीट पर एक तरफा चुनाव जीतेगी.