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बीजेपी ऑफिस के सामने धरने पर बैठे शिक्षकों को पुलिस ने जबरन उठाया, दर्ज की गई FIR

भोपाल में बीजेपी ऑफिस के बाहर धरने पर बैठे चयनित शिक्षकों को पुलिस ने जबरन धरन से उठा दिया है. इसके अलावा चयनित शिक्षकोें पर कोरोना गाइडलाइन के उल्लंघन की FIR भी दर्ज की गई है.

बीजेपी ऑफिस के सामने धरने पर बैठे शिक्षकों को पुलिस ने जबरन उठाया
बीजेपी ऑफिस के सामने धरने पर बैठे शिक्षकों को पुलिस ने जबरन उठाया
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Published : Aug 18, 2021, 10:07 PM IST

भोपाल। बीजेपी कार्यालय के बाहर दिनभर से धरने पर बैठे चयनित शिक्षकों को आखिरकार पुलिस ने धरने से उठा दिया. शाम करीब 6 बजे कलेक्टर अविनाश लवानिया, डीआईजी इरशाद वली भारी पुलिस बल के साथ मौके पर पहुंचे. इसके बाद चयनित शिक्षकों को मौके से हटने, और नहीं हटने पर नामजद FIR की चेतावनी भी दी गई. लेकिन शिक्षक मौके से नहीं हटे.

पुलिस ने शिक्षकों को जबरन उठाया

बारिश के बीच पुलिस बल ने मौके से एक-एक शिक्षक को हटाना शुरू किया. इस दौरान कई शिक्षक उठने को तैयार नहीं हुए. जिन्हें पुलिस ने जबरन धक्का देकर उठा दिया. इसके बाद मीडिया से बातचीत करते हुए डीआईजी ने बताया कि कोरोना गाइड लाइन का उल्लंघन करने के चलते धरने पर बैठे लोगों पर FIR दर्ज की गई है.

मौके पर पहुंचे जीतू पटवारी का हुआ विरोध

"बहनों ने बुलाया तो राखी बंधवाने आया"

इससे पहले दोपहर में भोपाल में प्रदर्शन कर रहे चयनित शिक्षकों से मिलने पूर्व मंत्री और कांग्रेस विधायक जीतू पटवारी और केके मिश्रा पहुंचे. इस दौरान उन्होंने कई महिला शिक्षिकाओं से राखी भी बंधवाई. हालांकि इस दौरान कुछ चयनित शिक्षक गो बैक के नारे भी लगाते हुए नजर आए. जिसके चलते जीतू पटवारी जल्द ही मौके से लौट गए. कुछ चयनिथ शिक्षकों ने कांग्रेस पर राजनीति करने का आरोप लगाया और कहा कि "15 महीने की कांग्रेस की सरकार ने भी उन्हें कुछ नहीं दिया सिर्फ धोखा दिया और एक समय जीतू पटवारी ने उनसे मिलने से मना कर दिया था"

बहनों ने राखी बांधने बुलाया था

"सीएम राखी के मौके पर बहनों को उनका हक दे दे"

मौके पर पहुंचे जीतू पटवारी ने मीडिया से चर्चा करते हुए कहा कि "चयनित शिक्षक बहनें और भांजिया अपने मामा शिवराज को राखी बांधने आई थी. तोहफे में उन्होंने सिर्फ नियुक्ति देने की मांग की थी. लेकिन मामा ने उनसे राखी नहीं बंधवाई. मुझे चयनित शिक्षिका बहनों को फोन आया इसलिए मैं यहां आया और उनसे राखी बंधवाई है" जीतू पटवारी ने कहा कि सीएम से मांग है कि इसमें कोई राजनीति नहीं है. वो राखी के मौके पर सिर्फ इन बहनों को इनका हक दे दे.

जीतू पटवारी ने विरोध होने का किया खंडन

मौके पर विरोध होने और गो बैक के नारे लगने की बातों का जीतू पटवारी ने खंडन किया. पटवारी से कांग्रेस शासनकाल के दौरान किसी के मिलने नहीं जाने के आरोपों पर सवाल पूछा गया, तो उनका कहना था कि कांग्रेस के शासनकाल में पीसी शर्मा और अन्य जिम्मेदार मंत्री शिक्षकों से मिलने धरना स्थल पर जाते थे.

राखी लेकर 'मामा' से 'हक' मांगने पहुंची भांजियां, जीतू पटवारी पहुंचे तो लगने लगे 'वापस जाओ' के नारे, देखिए वीडियो

बीजेपी ऑफिस पहुंचकर सीएम को राखी बांधने की मांग की

इससे पहले चयनित महिला शिक्षिकाएं बीजेपी ऑफिस पहुंची थी, जहां उन्होंने सीएम शिवराज को राखी बांधने की मांग की थी. पुलिस ने इन शिक्षिकाओं को बैरिकेड लगाकर रोक दिया था. इस दौरान महिला शिक्षिकाएं वहीं सड़क पर धरने पर बैठ गई थी. हालात ये हो गए थे कि शिक्षिकाएं अपनी मांगों को बताते-बताते रोने लगी और कुछ तो बेहोश हो गई. शिक्षिकाओं ने कैमरे के सामने ही उठक बैठक लगाकर सरकार से माफी मांगी, कि आखिर उनका दोष क्या है और क्यों उनकी मांगें पूरी नहीं की जा रही हैं.

क्यों विरोध कर रहे हैं चयनित शिक्षक ?

2018 में विधानसभा चुनाव से पहले शिक्षकों के 30 हजार पदों को भरने के लिए परीक्षा आयोजित की गई थी. परीक्षा होने के बाद पास हुए शिक्षकों का चयन कर लिया गया और दस्तावेज सत्यापन की प्रक्रिया शुरू की गई. लेकिन ये प्रक्रिया कोरोना समेत कई कारणों के चलते बीच में अटक गई. परीक्षा के 3 साल बाद भी नियुक्ति नहीं मिलने से परेशान चयनित शिक्षक अब विरोध-प्रदर्शन की राह पर उतर आए हैं.

भोपाल। बीजेपी कार्यालय के बाहर दिनभर से धरने पर बैठे चयनित शिक्षकों को आखिरकार पुलिस ने धरने से उठा दिया. शाम करीब 6 बजे कलेक्टर अविनाश लवानिया, डीआईजी इरशाद वली भारी पुलिस बल के साथ मौके पर पहुंचे. इसके बाद चयनित शिक्षकों को मौके से हटने, और नहीं हटने पर नामजद FIR की चेतावनी भी दी गई. लेकिन शिक्षक मौके से नहीं हटे.

पुलिस ने शिक्षकों को जबरन उठाया

बारिश के बीच पुलिस बल ने मौके से एक-एक शिक्षक को हटाना शुरू किया. इस दौरान कई शिक्षक उठने को तैयार नहीं हुए. जिन्हें पुलिस ने जबरन धक्का देकर उठा दिया. इसके बाद मीडिया से बातचीत करते हुए डीआईजी ने बताया कि कोरोना गाइड लाइन का उल्लंघन करने के चलते धरने पर बैठे लोगों पर FIR दर्ज की गई है.

मौके पर पहुंचे जीतू पटवारी का हुआ विरोध

"बहनों ने बुलाया तो राखी बंधवाने आया"

इससे पहले दोपहर में भोपाल में प्रदर्शन कर रहे चयनित शिक्षकों से मिलने पूर्व मंत्री और कांग्रेस विधायक जीतू पटवारी और केके मिश्रा पहुंचे. इस दौरान उन्होंने कई महिला शिक्षिकाओं से राखी भी बंधवाई. हालांकि इस दौरान कुछ चयनित शिक्षक गो बैक के नारे भी लगाते हुए नजर आए. जिसके चलते जीतू पटवारी जल्द ही मौके से लौट गए. कुछ चयनिथ शिक्षकों ने कांग्रेस पर राजनीति करने का आरोप लगाया और कहा कि "15 महीने की कांग्रेस की सरकार ने भी उन्हें कुछ नहीं दिया सिर्फ धोखा दिया और एक समय जीतू पटवारी ने उनसे मिलने से मना कर दिया था"

बहनों ने राखी बांधने बुलाया था

"सीएम राखी के मौके पर बहनों को उनका हक दे दे"

मौके पर पहुंचे जीतू पटवारी ने मीडिया से चर्चा करते हुए कहा कि "चयनित शिक्षक बहनें और भांजिया अपने मामा शिवराज को राखी बांधने आई थी. तोहफे में उन्होंने सिर्फ नियुक्ति देने की मांग की थी. लेकिन मामा ने उनसे राखी नहीं बंधवाई. मुझे चयनित शिक्षिका बहनों को फोन आया इसलिए मैं यहां आया और उनसे राखी बंधवाई है" जीतू पटवारी ने कहा कि सीएम से मांग है कि इसमें कोई राजनीति नहीं है. वो राखी के मौके पर सिर्फ इन बहनों को इनका हक दे दे.

जीतू पटवारी ने विरोध होने का किया खंडन

मौके पर विरोध होने और गो बैक के नारे लगने की बातों का जीतू पटवारी ने खंडन किया. पटवारी से कांग्रेस शासनकाल के दौरान किसी के मिलने नहीं जाने के आरोपों पर सवाल पूछा गया, तो उनका कहना था कि कांग्रेस के शासनकाल में पीसी शर्मा और अन्य जिम्मेदार मंत्री शिक्षकों से मिलने धरना स्थल पर जाते थे.

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बीजेपी ऑफिस पहुंचकर सीएम को राखी बांधने की मांग की

इससे पहले चयनित महिला शिक्षिकाएं बीजेपी ऑफिस पहुंची थी, जहां उन्होंने सीएम शिवराज को राखी बांधने की मांग की थी. पुलिस ने इन शिक्षिकाओं को बैरिकेड लगाकर रोक दिया था. इस दौरान महिला शिक्षिकाएं वहीं सड़क पर धरने पर बैठ गई थी. हालात ये हो गए थे कि शिक्षिकाएं अपनी मांगों को बताते-बताते रोने लगी और कुछ तो बेहोश हो गई. शिक्षिकाओं ने कैमरे के सामने ही उठक बैठक लगाकर सरकार से माफी मांगी, कि आखिर उनका दोष क्या है और क्यों उनकी मांगें पूरी नहीं की जा रही हैं.

क्यों विरोध कर रहे हैं चयनित शिक्षक ?

2018 में विधानसभा चुनाव से पहले शिक्षकों के 30 हजार पदों को भरने के लिए परीक्षा आयोजित की गई थी. परीक्षा होने के बाद पास हुए शिक्षकों का चयन कर लिया गया और दस्तावेज सत्यापन की प्रक्रिया शुरू की गई. लेकिन ये प्रक्रिया कोरोना समेत कई कारणों के चलते बीच में अटक गई. परीक्षा के 3 साल बाद भी नियुक्ति नहीं मिलने से परेशान चयनित शिक्षक अब विरोध-प्रदर्शन की राह पर उतर आए हैं.

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