भोपाल। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के ड्रीम प्रोजेक्ट जल जीवन मिशन पर मध्यप्रदेश के करीबन 10 हजार गांवों में पूरे होने पर ब्रेक लग गया है. हर घर नल से जल पहुंचाने के लिए सतही जल से पानी लेकर पहले टंकियों में पहुंचाया जा रहा है. इसके बाद पाइप के जरिए घर घर पहुंचाए जाने की योजना पर काम किया जा रहा है, लेकिन प्रदेश के करीबन दस हजार गांवों में सतही जल की समस्या को देखते हुए प्रदेश के लोक स्वास्थ्य यांत्रिकीय विभाग ने बोर से पानी पहुंचाने का प्रस्ताव तैयार कर केन्द्र को भेज दिया, लेकिन केन्द्र सरकार ने इस पर अपनी असहमति जता दी है. अब विभाग नए सिरे से मशक्कत में जुट गया है.
प्रदेश के कई इलाकों में पानी की समस्या: प्रदेश सरकार द्वारा जल जीवन मिशन के अंतर्गत हर घर जल पहुंचाने के लिए 2024 का लक्ष्य निर्धारित किया गया है. इसके तहत जिलों में घरों को नल से जोड़ने के लिए प्रयास किए जा रहे हैं. सरकार ने दावा किया है कि, प्रदेश का बुरहानपुर जिला 100 फीसदी नल से जुड़ गया है. हालांकि प्रदेश के कई जिलों में काम में गति नहीं आ पाए गई है. यह खासतौर से वही जिले हैं जहां गर्मियों में पानी की किल्लत की खबरें सुर्खियां बनती हैं. प्रदेश के रतलाम, नीमच, मंदसौर, शाजापुर, छतरपुर, झाबुआ, बैतूल, छिंदवाड़ा, शिवपुरी, ग्वालियर चंबल संभाग के कई जिले हैं. इन जिलों के कई इलाकों में भूमिगत जल काफी नीचे पहुंच गया है और गर्मियों में इन इलाकों के कई गांवों में पानी के लिए लोगों को परेशान होना पड़ता है. अब यही समस्या पीएम मोदी के इस मिशन में आड़े आ रही है.
10800 गांवों में समस्या: जल जीवन मिशन के तहत नल से पानी पहुंचाने के लिए विभाग ने इन जिलों के करीबन 10800 चिन्हित किए हैं, जहां सतही जल की समस्या है. इसको देखते हुए विभाग ने बोरिंग के जरिए घरों में पानी पहुंचाने का प्रस्ताव तैयार कर केन्द्र की मंजूरी के लिए भेज दिया, लेकिन केन्द्र सरकार ने बोरिंग से पानी सप्लाई करने के प्रदेश सरकार के प्रस्ताव को नामंजूर कर दिया है. अब विभाग नए सिरे से इन गांवों में सतही जल स्रोतों को खोजने में जुटा है. इसके पीछे एक वजह यह भी है कि बोरिंग से पानी सप्लाई करने पर इसकी लागत में भी बढ़ोत्तरी होगी साथ ही भविष्य में भी इनकी सूखने पर समस्या हो सकती है. स्थाई समाधान नहीं है.