ETV Bharat / state

संगीत की श्रृंखला उत्तराधिकार में हुई मध्यप्रदेश के लहंगी, कोलदहका और घसियाबाजा नृत्य की प्रस्तुति - Koldahka dance

मध्यप्रदेश शासन संस्कृति विभाग द्वारा पारम्परिक संगीत की श्रृंखला 'उत्तराधिकार' में आज मध्यप्रदेश के ‘लहंगी, कोलदहका और घसियाबाजा’ नृत्य की प्रस्तुति हुई.

Dance performance
नृत्य की प्रस्तुति
author img

By

Published : Aug 24, 2020, 11:43 AM IST

भोपाल| मध्यप्रदेश शासन संस्कृति विभाग द्वारा पारम्परिक संगीत की श्रृंखला 'उत्तराधिकार' में आज मध्यप्रदेश के ‘लहंगी, कोलदहका और घसियाबाजा’ नृत्य की प्रस्तुति का प्रसारण हुआ.

Dance performance
नृत्य की प्रस्तुति

लहंगी नृत्यः सहरिया समुदाय का प्रमुख नृत्य है, सहरिया समुदाय प्रदेश के गुना, शिवपुरी, ग्वालियर, अशोकनगर आदि जिलों में निवास करते हैं. ये समुदाय अपनी बसाहट को ‘सहराना’ कहता है. सहराना के मध्य बड़ी चौपाल और उसके आसपास समुदाय के युवा पुरुष पारंपरिक गीतों और ढोलक की थाप पर विभिन्न अवसरों पर मुख्य रूप से शादी-विवाह में और अच्छी फसल की पैदावार होने पर हाथ में डंडा लेकर, गोल घेरा बनाकर नृत्य करते हैं, साथ ही बीच में एक आदमी ढोल बजाता है. नृत्य धीमी गति से प्रारंभ होता है और इसका समापन द्रुत में होता है.

Dance performance
लहंगी नृत्य

कोलदहका नृत्यः कोल समुदाय का प्रमुख नृत्य है, कोल समुदाय के लोग मुख्य रूप से मध्यप्रदेश के उत्तर-पूर्वी अंचल में बसे हैं. इस नृत्य में स्त्री और पुरुष दोनों मिलकर नृत्य करते हैं.

पुरुष वादक/गायक होता है और स्त्रियां गायन-वादन पर विभिन्न हस्त-पद मुद्राओं के साथ समान गति से नृत्य करती हैं. कोल समुदाय के लोग ऐसा मानते हैं कि स्त्री और पुरुष दोनों की साझेदारी से ही जीवन सफल होता है. जब भी इस समुदाय के जीवन में खुशी का अवसर या अनुष्ठान आता है, तब पूरे हर्षोल्लास के साथ नृत्य किया जाता है.

घसियाबाजाः घसिया जनसमुदाय बघेलखण्ड अंचल के सिंगरोली जिले और उसके आस-पास निवास करता है. इसमें घसियाबाजा एक वाद्य यन्त्र होता है, जो गोण्ड समुदाय की उपजाति ढुलिया के गुदुमबाजा से मिलता-जुलता साज है.

ऐसी मान्यता है कि जब भगवान शिव का विवाह हुआ था, तब ढुलिया और घसिया समुदाय के लोगों ने मिलकर घसियाबाजा यन्त्र के साथ अन्य वाद्य तासा, टिमकी, शहनाई, ढफ आदि को बजाकर मांगलिक ध्वनि की थी, तभी से आज तक इन समुदायों में विभिन्न अवसर-अनुष्ठानों के अवसर पर इन वादकों को मांगलिक ध्वनि के लिए आमंत्रित किया जाता है. इस वाद्य के साथ अन्य ध्वनियां मंगल नाद का आभास कराती हैं.

भोपाल| मध्यप्रदेश शासन संस्कृति विभाग द्वारा पारम्परिक संगीत की श्रृंखला 'उत्तराधिकार' में आज मध्यप्रदेश के ‘लहंगी, कोलदहका और घसियाबाजा’ नृत्य की प्रस्तुति का प्रसारण हुआ.

Dance performance
नृत्य की प्रस्तुति

लहंगी नृत्यः सहरिया समुदाय का प्रमुख नृत्य है, सहरिया समुदाय प्रदेश के गुना, शिवपुरी, ग्वालियर, अशोकनगर आदि जिलों में निवास करते हैं. ये समुदाय अपनी बसाहट को ‘सहराना’ कहता है. सहराना के मध्य बड़ी चौपाल और उसके आसपास समुदाय के युवा पुरुष पारंपरिक गीतों और ढोलक की थाप पर विभिन्न अवसरों पर मुख्य रूप से शादी-विवाह में और अच्छी फसल की पैदावार होने पर हाथ में डंडा लेकर, गोल घेरा बनाकर नृत्य करते हैं, साथ ही बीच में एक आदमी ढोल बजाता है. नृत्य धीमी गति से प्रारंभ होता है और इसका समापन द्रुत में होता है.

Dance performance
लहंगी नृत्य

कोलदहका नृत्यः कोल समुदाय का प्रमुख नृत्य है, कोल समुदाय के लोग मुख्य रूप से मध्यप्रदेश के उत्तर-पूर्वी अंचल में बसे हैं. इस नृत्य में स्त्री और पुरुष दोनों मिलकर नृत्य करते हैं.

पुरुष वादक/गायक होता है और स्त्रियां गायन-वादन पर विभिन्न हस्त-पद मुद्राओं के साथ समान गति से नृत्य करती हैं. कोल समुदाय के लोग ऐसा मानते हैं कि स्त्री और पुरुष दोनों की साझेदारी से ही जीवन सफल होता है. जब भी इस समुदाय के जीवन में खुशी का अवसर या अनुष्ठान आता है, तब पूरे हर्षोल्लास के साथ नृत्य किया जाता है.

घसियाबाजाः घसिया जनसमुदाय बघेलखण्ड अंचल के सिंगरोली जिले और उसके आस-पास निवास करता है. इसमें घसियाबाजा एक वाद्य यन्त्र होता है, जो गोण्ड समुदाय की उपजाति ढुलिया के गुदुमबाजा से मिलता-जुलता साज है.

ऐसी मान्यता है कि जब भगवान शिव का विवाह हुआ था, तब ढुलिया और घसिया समुदाय के लोगों ने मिलकर घसियाबाजा यन्त्र के साथ अन्य वाद्य तासा, टिमकी, शहनाई, ढफ आदि को बजाकर मांगलिक ध्वनि की थी, तभी से आज तक इन समुदायों में विभिन्न अवसर-अनुष्ठानों के अवसर पर इन वादकों को मांगलिक ध्वनि के लिए आमंत्रित किया जाता है. इस वाद्य के साथ अन्य ध्वनियां मंगल नाद का आभास कराती हैं.

ETV Bharat Logo

Copyright © 2024 Ushodaya Enterprises Pvt. Ltd., All Rights Reserved.