भोपाल। बुंदेलखंड के किनारे मालवा क्षेत्र का एक हिस्सा सिरोंज शहर कभी राजस्थान के टोंक रियासत का हिस्सा था. दिल्ली और गुजरात के बीच व्यापार मार्ग होने के चलते सिरोंज में व्यापारियों की संख्या अधिक थी, ऐसे व्यापारियों में सबसे प्रसिद्ध महेश्वरी समाज था, जिन्होंने एक घटना के बाद सिरोंज क्षेत्र छोड़ दिया.
सिरोंज शहर में महेश्वरी समाज व्यापार में बहुत अग्रणी था और बहुत ही प्रतिष्ठित था. अग्रवाल समाज भी उनके साथ व्यापार करता था. महेश्वरी समाज की पूरे सिरोंज में आज भी पुरानी दुकानें हैं और पुराने घर बिल्डिंग देखने को मिलते हैं.
लेकिन एक दिन माहेश्वरी समाज की महिला किसी कारण से शहर में गई, उसकी चप्पल धोखे से तांगे से गिर गई, सुबह-सुबह सफाई कर्मी ने सफाई करते समय चप्पल देखी जो काफी कीमती चप्पल थी. उसने वह चप्पल कोतवाल के सुपुर्द कर दी, कोतवाल ने चप्पल को देखा तो उसे लगा की यह किसी बड़े घर की महिला की चप्पल है, उन्होंने शहर में पता करवाया फिर उस महिला को चप्पल देने के लिए बुलवाया, लेकिन अपने मान सम्मान की खातिर इस समाज के लोग वहां नहीं गए, और वो शहर को हमेशा के लिए छोड़ कर यहा से चले गए.
वरिष्ठ अधिवक्ता व इतिहास के जानकार लेखराज सिंह बघेल के मुताबिक इस घटना को लेकर उन्होंने महेश्वरी समाज के लोगों ने बात की, महेश्वरी समाज का कहना है कि इस समय वहां टोंक रियासत का शासन है, कहीं ऐसा न हो कि वहां जाने के उनके मान सम्मान पर आंच आ जाए, इसलिए महेश्वरी समाज ने सामूहिक मीटिंग करके यह फैसला लिया कि वे लोग सिरोंज से चले जाएंगे.
माहेश्वरी समाज ने रातों-रात अपने घरों को छोड़ दिया, और तब से आज तक महेश्वरी समाज के लोग सिरोंज में नहीं रहते हैं. इतना ही नहीं समाज के बुजुर्ग लोग यहां का पानी भी नहीं पीते. अगर नई पीढ़ी की बात की जाए, युवा पीढ़ी भी यहां नौकरी करने से बचती है, साथ ही यहां पोस्टिंग लेने से भी मना कर देती है, वहीं इस शहर में व्यापार करने वाले यहां बस अपनी दुकानें चलाने आते हैं, और रात से पहले वापस अपने शहर निकल जाते हैं.